ईशरगढ़ की पुरातन बावड़ी को धरोहर के रुप में किया जाएगा विकसित:धुम्मन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र 1 अगस्त हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने कहा कि गांव ईशरगढ़ में जीटी रोड़ से सिर्फ 200 मीटर दूर स्थित पुरातन बावड़ी को एक धरोहर के रुप में विकसित करने का काम किया जाएगा। इस बावड़ी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए इसका जीर्णोद्घार करने का काम भी किया जाएगा। सरस्वती नदी के क्षेत्र में स्थित इस बावड़ी का अपना एक अलग ही इतिहास है।
उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच रविवार को गांव ईशरगढ़ में स्थित पुरातन बावड़ी का निरीक्षण करने के उपरांत बातचीत कर रहे थे। इससे पहले उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच व गांव के पूर्व सरपंच गुरमीत सिंह ने बावड़ी के बारीकि से निरीक्षण किया और इसके बारे में प्रचलित किवदंती को लेकर चर्चा भी की है। उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने कहा कि इस बावड़ी का बहुत प्राचीन इतिहास है और ग्रंथों व प्रचलित किवदंतियों के अनुसार यह बावड़ी करीब सैंकड़ों साल पुरानी है।
इस बावड़ी को लक्खी राय वंजारा की बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि व्यापार के लिए दूर दराज के क्षेत्रों में जाते समय लक्खी राय वंजारा सरस्वती नदी के इस क्षेत्र में रुका करता था। इस दौरान ही लक्खी राय वंजारा द्वारा ही बावड़ी का निर्माण किया गया था। प्राचीन काल में सरस्वती नदी का बहाव क्षेत्र बहुत विशाल था, इसलिए लक्खी राय वंजारा द्वारा सरस्वती नदी के तट पर इस बावड़ी का निर्माण किया गया। इस बावड़ी की प्राचीन इंटों और बनावट को देखकर भी इसके काफी पुरानी बावड़ी होने के प्रमाण मिलते है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का निरतंर प्रयास है कि सभी ऐतिहासिक और प्राचीन तीर्थों और स्थानों को एक धरोहर के रुप में विकसित किया जाए और सरकार अपने इसी विजन को लेकर कार्य भी कर रही है। जहां सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर लाने के प्रयास किए जा रहें, वहीं सरस्वती नदी के तट पर स्थित प्राचीन घाटों के नवीनीकरण और सौंदर्यकरण का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ-साथ सरस्वती नदी के बहाव क्षेत्र में पडऩे वाले सभी प्राचीन स्थानों को भी धरोहर के रुप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड द्वारा इस प्राचीन बावड़ी को एक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने का काम किया जाएगा ताकि हरियाणा की प्राचीन विरासत से पर्यटकों को आत्मसात होने का मौका मिल सके।
गांव के पूर्व सरपंच गुरमीत सिंह ने कहा कि गुरु तेग बहादुर के सिर को जब कल्म कर दिया गया था, तो लक्खी राय वंजारा ने ही अपने घर को आग लगाकर गुरु तेग बहादुर के शरीर का अंतिम संस्कार किया था। इसी लक्खी राय वंजारा द्वारा इस बावड़ी का निर्माण किया गया था। उन्होंने उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच और सरकार से मांग की है कि इस उपेक्षित लक्खी राय वंजारा की बावड़ी को विकसित किया जाए। इस बावड़ी के साथ ही पंचायत की जमीन है। पंचायत की इस जमीन पर सरकार पार्क आदि बनाकर इस स्थान का सौंदर्यकरण करे, इसके लिए पंचायत द्वारा जमीन देने के लिए प्रस्ताव भी पारित करने का वादा किया है। इसके साथ-साथ यह स्थान राष्टï्रीय राजमार्ग जीटी रोड़ से सिर्फ 200 मीटर दूर है। इसके लिए जीटी रोड़ से सीधा रास्ता भी निकाला जाए।