न्यूज डेक्स संवाददाता
जींद।आठवीं पातशाही बाला प्रीतम गुरु हरकृष्ण साहिब का प्रकाशोत्सव सोमवार को शहर में श्रद्धा व धूमधाम से मनाया गया। इस प्रकाशोत्सव की खुशी में गुरुद्वारा गुरू तेग बहादुर साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का भोग डाला गया एवं धार्मिक दिवान सजाया गया।गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई जसबीर सिंह, भाई हरदीप सिंह, भाई कर्मजीत सिंह के जत्थे ने गुरुबाणी शब्द गायन किए और गुरू की महिमा का बखान किया।
उन्होंने अपनी वाणी में बताया कि गुरु हरराय साहिब और माता किशन कौर के दूसरे पुत्र गुरू हरिकृष्ण साहिब थे। मात्र पांच साल की छोटी सी आयु में गुरु हरकिशन साहिब को गुरुपद प्रदान किया गया था। इसके बाद भाई जरनैल सिंह शाहाबाद वालों के रागी जत्थे ने गुरुबाणी शब्दों द्वारा संगतों का मन मोह लिया। प्रसिद्ध कथावाचक भाई त्रिलोक सिंह मुंबई से ने गुरू हरकृष्ण साहिब की जीवनी से संगतों को रूबरू करवाते हुए कहा कि गुरू हरकिशन ने बहुत ही कम समय में जनता के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करके लोकप्रियता हासिल की थी।
ऊंच-नीच और जाति का भेदभाव मिटा कर उन्होंने सेवा का अभियान चलाया। लोग उनकी मानवता की इस सेवा से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें बाला पीर कहकर पुकारने लगे। उनके पिता की मौत पर उन्होंने किसी तरह का कोई शोक नहीं किया बल्कि संगत में यह पैगाम पहुंचाया कि गुरुजी परमात्मा की गोद में गए हैं, इसलिए उनके जाने का कोई शोक नहीं मनाएगा। गुरद्वारा साहिब के हैड ग्रंथी गुरविंद्र सिंह रत्तक ने अपने प्रवचनों में गुरु की महिमा का उल्लेख करते हुए बताया कि गुरू धारण किए बगैर हमारा जीवन अधूरा माना गया है। इस अवसर पर संगतो में गुरू का अटूट लंगर भी बरताया गया।