प्रदेश सरकार द्वारा बनाई ‘रोजगार सृजन सब्सिडी योजना’ अधिसूचित – दुष्यंत चौटाला
योजना के तहत प्रदेशवासियों को रोजगार देने वाले उद्योगों को दी जाएगी सब्सिडी – उपमुख्यमंत्री
न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए विभिन्न श्रेणियों के उद्यमों के लिए ‘रोजगार सृजन सब्सिडी योजना’ अधिसूचित की है ताकि कुशल, अर्ध-कुशल एवं अकुशल श्रेणी के व्यक्तियों को क्षमता निर्माण के साथ-साथ रोजगार के अवसर मिल सके।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, जिनके पास उद्योग एवं वाणिज्य विभाग का प्रभार भी है, ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं, स्थापित या स्थानांतरित क्लस्टरों, सूक्ष्म, लघु, मध्यम, बड़ी और मेगा परियोजनाओं, थ्रस्ट सेक्टर, आयात प्रतिस्थापन, आवश्यक क्षेत्र, जैव ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा उद्यमों (एमएसएमई, बड़ी, मेगा परियोजनाओं) और डेटा केंद्र एवं को-लोकेशन सुविधा (एमएसएमई, बड़ी, मेगा परियोजनाओं) को कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रेणी में हरियाणा अधिवासी व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाने पर प्रोत्साहन एवं सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन सब्सिडी योजना के तहत अल्ट्रा मेगा परियोजनाओं को राज्यभर में हरियाणा उद्यम संवर्धन बोर्ड द्वारा प्रोत्साहन के अनुकूलित पैकेज की पेशकश की जाएगी। रोजगार सृजन सब्सिडी की मात्रा और अवधि बोर्ड द्वारा तय की जाएगी। इसी प्रकार, क्लस्टर, जिसमें अन्य देशों व राज्यों से हरियाणा में स्थापित या स्थानांतरित समान आर्थिक गतिविधियों में लगे कम से कम 10उद्यम हैं, को मेगा प्रोजेक्ट माना जाएगा, बशर्ते यह एफसीआई के मानदंडों को पूरा करता हो। बोर्ड द्वारा उनके लिए लागत लाभ विश्लेषण के आधार पर प्रोत्साहन का एक विशेष पैकेज तय किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ‘बी’, ‘सी’ व ‘डी’ श्रेणी खण्डों के कुशल, अर्ध-कुशल व अकुशल श्रेणी में हरियाणा अधिवासी व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करने वाली नई औद्योगिक इकाइयों को 7 वर्षों के लिए ईएसआई व पीएफ नंबर के साथ पेरोल या अनुबंध पर प्रत्यक्ष रोजगार हेतू अनुसूचित जाति, महिला वर्ग के लिए 36,000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष और सामान्य श्रेणी के लिए 30,000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष की सब्सिडी दी जाएगी। इसी प्रकार, थ्रस्ट सेक्टर, आयात प्रतिस्थापन, आवश्यक क्षेत्र, जैव ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा उद्यमों और डेटा केंद्र एवं को-लोकेशन सुविधा (एमएसएमई, बड़ी, मेगा परियोजनाओं)के मामले में अनुसूचित जाति, महिला वर्ग के लिए 48,000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष और सामान्य श्रेणी के लिए 36,000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष की सब्सिडी की अनुमति दी जाएगी। बशर्ते इन इकाइयों में न्यूनतम 50 प्रतिशत नियुक्तियां हरियाणा या स्थानीय रोजगार के लिए समय-समय पर संशोधित राज्य सरकार अधिनियम,जो भी अधिकतम हो, के अनुसार, की गई हों। उन्होंने कहा कि पंजीकृत किसान उत्पादक संगठन व एकीकृत पैक हाउस (ग्रेडिंग, सॉर्टिंग, पैकेजिंग आदि सुविधाओं वाले) भी पात्र होंगे।
डिप्टी सीएम ने कहा कि यह योजना पहली जनवरी, 2021 से प्रभावी मानी जाएगी और पाचं वर्षों की अवधि के लिए परिचालन में रहेगी। पहली जनवरी, 2021 को या उसके बाद और 31 दिसम्बर, 2025 से पहले वाणिज्यिक उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयां योजना के तहत पात्र होंगी। औद्योगिक इकाइयों को पोर्टल पर आईईएम, उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र और हरियाणा उद्यम ज्ञापन दर्ज करना होगा। इकाई केवल पे रोल या अनुबंध पर सीधे रोजगार के संबंध में सब्सिडी के लिए पात्र होगी और उसके पास ईएसआई, पीएफ नंबर होना चाहिए। इकाई को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित प्रतिबंधात्मक सूची में न रखा गया हो। इसके अतिरिक्त, इकाई को सक्षम प्राधिकारी से एनओसी, सीएलयू प्राप्त हो और संवितरण के समय इकाई नियमित उत्पादन में होनी चाहिए और बंद इकाई को सब्सिडी जारी नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इकाइयों को हरियाणा निवासी प्रमाण पत्र (कुशल, अर्ध-कुशल व अकुशल) श्रेणी के व्यक्तियों के संबंध में रोजगार सृजन सब्सिडी के लिए सूचीबद्ध दस्तावेजों के साथ निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन महानिदेशक, महानिदेशक, उद्योग एवं वाणिज्य, एमएसएमई को वित्तीय वर्ष की समाप्ति की तिथि से तीन माह के भीतर विभाग के वेब पोर्टल पर प्रस्तुत करना होगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यदि इकाई वित्तीय वर्ष की समाप्ति या योजना की अधिसूचना की तिथि से तीन मास के भीतर, जो भी बाद में हो, सभी तरह से पूर्ण दावा प्रस्तुत नहीं करती है, तो वह रोजगार सृजन सब्सिडी के लिए पात्रता नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी स्तर पर यह पाया जाता है कि आवेदक ने गलत तथ्यों के आधार पर रोजगार सृजन सब्सिडी का दावा किया है, तो आवेदक को 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की चक्रवृद्धि दर के साथ सहायता वापस करने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा और उन्हें अनुदान से वंचित कर दिया जाएगा।