न्यूज डेक्स संवाददाता
जींद।शिवरात्रि पर्व पर शुक्रवार सुबह 4 बजे से शिव मंदिरों में जलाभिषेक शुरू हो जाएगा। शहर के सबसे प्राचीन शिवालय प्राचीन भूतेश्वर मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। पूरे भवन पर लाइट्स की सजावट देर रात देखते ही बन रही थी। कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं के लिए तीर्थ प्रबंधक सीमिति ने एतिहत्यान हिदायतें जारी की है।सफीदों गेट अपराही मोहल्ला स्थित पुराणों में वर्णित इस प्राचीन शिवालय में पवित्र शिवलिंग स्व प्रकट है। इसलिए इस मंदिर का धार्मिक महत्व है। मंदिर प्रबंधक कमेटी के प्रधान देसराज अरोड़ा ने बताया कि शिवालय में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंधक कमेटी ने विशेष प्रबंध किए हैं। मंदिर में प्रवेश से पहले पूरी तरह सेनिटेशन की व्यवस्था की गई।
श्रद्धालुओं को थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवेश की व्यवस्था की गई है। उन्होंने श्रद्धालुओं से सहयोग का अनुरोध किया है।-इन मंदिरों में होगा जलाभिषेक-शिवरात्रि पर्व पर प्राचीन भूतेश्वर मंदिर के अलावा रानी तालाब स्थित हरि कैलाश मंदिर, जवालमलेश्वर महादेव, बनखंड महादेव, जयंती देवी मंदिर, सोमनाथ मंदिर व ठिठरी महादेव आदि मंदिरों में मुख्य तौर पर जलाभिषेक होगा।
तीर्थ प्रबंधक कमेटी ने जारी की हिदायतें शुक्रवार को शिवरात्रि पर्व पर सफीदों गेट, जींद स्थित प्राचीन भूतेश्वर तीर्थ की प्रबंध सीमिति ने हिदायतें जारी कर श्रद्धालुओं को पालन करने का अनुरोध किया है। सीमिति ने यह भी अनुरोध किया है कि कोशिश ये हो कि मंदिर में जलाभिषेक के लिए वही श्रद्धालु आये जिसने व्रत रखा हो। भीड़ भाड़ न करें। मास्क लगाकर आएं और सोशल डिस्टनसिंग का पालन करें।
सुबह 4 बजे से 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा जलाभिषेक का उत्तम समय-शिवरात्रि पर्व पर वैसे तो पूरा दिन जलाभिषेक हो सकता है, मगर सुबह 4 बजे से सुबह 6 बजकर 21 मिनट तक का समय अति उत्तम शुभ रहेगा। रुद्राभिषेक दिन में ही होगा, रात को नहीं होगा। प्राचीन भूतेश्वर तीर्थ के मुख्य पुजारी ललन प्रसाद तिवारी ने बताया कि श्रावण महीने में देश की सभी नदियां रजस्वला होती है, मगर गंगा, नर्मदा, यमुना, सरस्वती, सरयू, चंद्रभागा, सर्वधा व सती आदि नदियां पवित्र रहती है। जलाभिषेक के लिए इन नदियों का जल उपयोग में लिया जा सकता है।पंडित ललन प्रसाद ने बताया कि दूध, दही, गुड़ या शक्कर, शहद का पंचामृत बनाकर लुटिया लेकर शिव परिवार के चरणों मे छींटा दें। फिर पंचामृत से स्नान कराएं। बाद में जलाभिषेक करें। इसके बाद बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक व दूब को पवित्र शिवलिंग पर अर्पण करें और श्रद्धानुसार फल व फूल अर्पित करें।