-भारत में 5 मिलियन से अधिक मरीजों के लिये मात्र 70,000 आईसीयू बेड उपलब्ध-डॉ. मनिंदरजीत कौर
-डाल्टा वेरियंट, ओरिजिनल कोविड 19 स्ट्रेन से 225 प्रतिशत अधिक ट्रांसमिसिबल है-डॉ प्रीति शर्मा
-संक्रमण, सांस लेने में दिक्कत, निमोनिया, सीओपीडी, सेप्सिस आईसीयू में दाखिल करने के मुख्य संकेत-डा. रोहिनी मल्होत्रा
-डॉक्टरों, नर्सों और सहयोगी स्टाफ की टीम कोविड की संभावित तीसरी लहर से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार- डा. मनिंदरजीत कौर
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरूक्षेत्र। ट्राइसिटी में गंभीर बीमारियों और आईसीयू देखभाल के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ग्रेशियन सुपरस्पेशलिटी अस्पताल मोहाली की क्रिटिकल केयर टीम ने एक प्रेस कान्फ्रेंस आयोजित की और क्रिटिकल केयर, कोविड केयर और वेंटिलेशन के बारे में विभिन्न तथ्यों और मिथकों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। इस अवसर पर बोलते हुए अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट (पुमोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर) डॉ. प्रीति शर्मा ने कहा कि क्रिटिकल या इंटेंसिव केयर जीवन के लिए खतरनाक स्वास्थ्य स्थितियों का निदान या प्रबंधन हैं, जिन्हें अक्सर लाइफ स्पोर्ट सिस्टम की आवश्यकता होती है। इन इकाइयों में सुविधाओं को सबसे अच्छा और सबसे तकनीकी रूप से उन्नत माना जाता है, जो एक अस्पताल दे सकता है।
आईसीयू में 24/7 स्पेशलाइज्ड डॉक्टर, स्पेशलाइज्ड नर्स, रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट, फिजिकल थेरेपिस्ट, फार्मासिस्ट, नर्स प्रैक्टिशनर, डाइटिशियन और फिजिशियन असिस्टेंट हैं। वेंटीलेटर, नॉन इनवेसिव वेंटिलरर्स डायलिसिस मशीन, ईसीएचओ, हाई फ्लो नेज़ल कैनुलास, एडवांस्ड कार्डिएक मॉनिटर्स आईसीयू जैसी बेहतरीन तकनीक से लैस अस्पताल ही मरीज की देखभाल का उच्चतम स्तर सुनिश्चित करता है। डॉ. प्रीति शर्मा ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर में ग्रीसियन सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आईसीयू टीम ने कोविड 19 से पीडि़त 700 से अधिक गंभीर बीमार रोगियों का इलाज किया और कई लोगों की जान बचाई। ग्रीसियन अस्पताल में दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, मेरठ, पानीपत, जम्मू, बरेली, देहरादून, हरिद्वार, मथुरा आदि दूर-दूर क्षेत्रों से गंभीर रूप से बीमार मरीज आए हैं और स्वस्थ होकर लौटे।
डॉ प्रीति ने यह भी कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में हर 10,000 लोगों पर सात डॉक्टर हैं, जो वैश्विक औसत से आधा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डाटा से पता चलता है कि देश को 50,000 से अधिक क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों की आवश्यकता है, लेकिन क्रिटिकल केयर में औपचारिक प्रशिक्षण और योग्यता के लिए सिर्फ 8,350 डॉक्टर हैं। डा. प्रीति ने जानकारी दी कि कोविड की तीसरी लहर का सामना करने के लिए ग्रीसियन अस्पताल द्वारा कोविड की देखभाल के बारे में नर्सों, डॉक्टरों का नियमित आईसीयू प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर बोलते हुए ग्रेशियन अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट और क्रिटिकल केयर प्रमुख डॉ मनिंदरजीत कौर ने कहा, कोविड 19 और फ्लू दोनों सांस की संक्रामक बीमारी हैं और एक ही लक्षण को अलग करना मुश्किल है और जांच की आवश्यकता है, क्योंकि कोविड 19 घातक हो सकता है। कोविड 19 के सामान्य रूप से प्रकार अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा हैं, जिसमें डेल्टा सबसे घातक है। उन्होंने बताया कि लगभग सभी बड़े अस्पताल चाहे वह निजी हो या सार्वजनिक इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) है। किसी भी अस्पताल में 10-20 बेड के क्रिटिकल केयर अलग-अलग सेक्शन हमेशा भरे रहते हैं।
कई लोगों के लिए आईसीयू एक ऐसी जगह है, जो ज्यादातर पॉली-ट्रॉमा (दुर्घटनाओं) के रोगियों को लेता है, लेकिन नए युग के संक्रमण और जीवन शैली की बीमारियों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए वायरल संक्रमण कोविड 19, डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, निमोनिया अस्थमा, सीओपीडी, किडनी फेल्योर, लीवर फेलियर, स्ट्रोक, सीकेडी में भी आईसीयू की मांग पहले से कहीं अधिक है। डॉ मनिंदरजीत कहते है, भारत में 50 लाख रोगियों को आईसीयू देखभाल की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 70,000 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। अधिक आईसीयू बैड्स की आवश्यकता पर वह बताते हैं कि बदलती जनसांख्यिकी जोकि वृद्ध व्यक्तियों के उच्च अनुपात और कोविड जैसे नए संक्रमण के कारण बुनियादी ढांचे पर बोझ को और बढ़ाएगी।
अपने अनुभव को साझा करते हुए ग्रेशियन अस्पताल में इमरजैंसी मेडीसन कंस्लटेंट डा. रोहिनी मल्होत्रा ने कहा कि भारत ने लाइफ साइंस इंडस्ट्री में काफी विकास किया है, लेकिन देखभाल विशेषज्ञ बहुत कम हैं। भारत में प्रति 10,000 लोगों पर लगभग 10 बैड्स के अस्पताल हैं, जबकि वैश्विक औसत प्रति 10,000 लोगों पर 30 बैड्स हैं। इसके अतिरिक्त 10 बैड्स के अस्पताल में एक आईसीयू बैड होने की उम्मीद है, जोकि भारतीय जनसंख्या मानक के करीब भी नहीं है।