पांडवों ने भी यहीं भगवान शिव का अभिषेक व अनुष्ठान किया
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से सावन शिवरात्रि पर महाभारत कालीन काम्यकेश्वर तीर्थ पर ऐसी सजावट की गई कि मंदिर रंगीन रोशनियों से जगमगा उठा। पवित्र शिवलिंग की सजावट का नजारा तो अलग ही देखने वाला था। उल्लेखनीय है कि सावन महीने में काम्यकेश्वर तीर्थ पर शिव पूजन व जलाभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है। तीर्थ में स्थित शिव मंदिर में शिव भक्तों ने दूध, दही, गंगाजल आदि चढ़ाकर सुख-समृद्धि की कामना की गई। तीर्थ पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ब्राह्मणों ने विश्व शांति यज्ञ किया। यज्ञ के उपरांत भंडारे का आयोजन हुआ।
उसमें साधु-महात्माओं और ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया। विश्व शांति यज्ञ में जयराम विद्यापीठ की ओर से सेवकों, ब्रह्मचारियों व यजमान श्रद्धालुओं ने पूर्णाहुति डाली। तीर्थ सेवक सुमिंद्र शास्त्री ने बताया कि इस स्थान पर मात्र प्रवेश से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर पुण्य का भागी बनता है। वनवास के दौरान पाडव आठ वर्ष 11 महीने तक इसी जगह पर रहे। उनके साथ 10 हजार के करीब शास्त्रोतियानिष्ठ ब्राह्मण रहते थे, जो नित्य प्रति भगवान शिव का अभिषेक व अनुष्ठान किया करते थे। नीतिवेता विदुर जी, वेदव्यास जी, मारकंडेय जी एवं लोमहर्षण ऋषि जी नित्यप्रति महापुरुषों के जीवन का वृतात इसी धरा पर बताते थे।
समाज एवं ब्राह्मणों के उद्धार के लिए सरस्वती यहां पर कुंड के रूप में प्रकट होकर पश्चिम वाहिनी होकर बहने लगी। उसी कुंज में साक्षात भगवान सूर्य नारायण पूषा नाम से प्रत्येक रविवार को विद्यमान रहते है। इस मौके पर रोहित कौशिक, सुखदेव कमोदा, सोनू शर्मा कमोदा, धर्मपाल शर्मा, शशि भूषण, रामपाल, संत लाल लौहार माजरा, खरैती लाल सिंगला, लालचंद, कर्मचंद, टेक सिंह, सुशील, चंद्रभान, शीशपाल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व श्रद्धालु मौजूद रहे।