मान्यताः एक हजार से हैं यहां तीन देवता विराजमान,भूत प्रेत और नाकारात्मक शक्तियों से मिलता है यहां छुटकारा
महंत किशोरपुरी जी और उनके गुरु महंत गणेशपुरी महाराज से पहले 12 महंतों का होता है उल्लेख
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के लिए खोले कई शिक्षण संस्थान
जीतेंद्र जीतू/न्यूज डेक्स राजस्थान
दौसा। देश-दुनिया में विख्यात मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की मान्यता है कि यहां तीन देवता लगभग 1000 वर्षों से विराजमान है,जहां अब तक 14 महंत सेवाएं दे चुके है और पिछले 55 वर्षों से गद्दी पर बैठे पदेन अध्यक्ष 88 वर्षीय महंत किशोरी पुरी महाराज भी आज देह त्याग देवलोक को प्रस्थान कर चुके हैं। इस खबर से मेहंदीपुर में शोक है,मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए कुछ समय के लिए बंद कर दिए गए हैं,बाजार बंद हैं और महंत जी के अंतिम दर्शनों को यहां भीड़ जमा है। राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्र,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,विधानसभा अध्यक्ष,सांसद जसकौर मीणा, मंत्री ममता भूपेश ने महंत जी द्वारा बालिका शिक्षा और सेवा कार्यों का स्मरण करते हुए शोक जताया है।
महंत किशोरपुरी महाराज के निजी सचिव दीपक गुप्ता के अनुसार महाराज जी छाती के संक्रमण सहित अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को जयपुर से मेहंदीपुर बालाजी लाया गया है। वहीं पर संत परंपरा के अनुसार महंतजी को समाधि दी जाएगी।महंत किशोरपुरी का जन्म साल 1944 में मेहंदीपुर बालाजी के पास गांव उदय पुरा में हुआ था। उन्होंने बाल्यवास्था में ही अपने गुरु मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के महंत गणेश पुरी महाराज से दीक्षा ली थी और 55 वर्ष पहले वे इस गद्दी पर आसीन हुए थे। बालाजी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत किशोरपुरी ने अपने सेवाकाल में बालिका शिक्षा को खूब बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक स्कूल और पीजी कॉलेज, संस्कृत कॉलेज, आईटी कॉलेज की स्थापना की गई और पिछले काफी समय से वह महिला यूनिवर्सिटी के लिए प्रयासरत थे।
महेंदीपुर बाली मंदिर की मान्यता के साथ कई किस्से कहानियां यहां से जुड़ी हैं साथ ही इस मंदिर के स्वर्णकाल के रुप में महंत किशोरपुरी जी महाराज के गणेशपुरी जी का सेवाकाल को कहा जाता है,जबकि उनके कार्यों को मंहत किशोरपुरी जी ने भी आगे बढ़ाया।यह मंदिर अरावली पहाड़ियों में है,जहां भगवान हनुमान भगवान जी स्वयंभू मूर्ति विराजमान है। कहा जाता है कि इस मूर्ति को किसी कलाकार के हाथों से नहीं बनाया गया था और पुराने समय में इस मंदिर के महंत को एक सपना आया था, सपने में उन्हें तीन देवता देखे थे।यहीं से बाला जी के मंदिर निर्माण का संकेत मिलने की मान्यता है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिला में स्थित है। इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है। श्रद्धालुओं को विश्वास है कि बालाजी महाराज के दर्शन कल्याणकारी हैं,जहां चमत्कारी शक्तियों के साथ भूत प्रेत जैसी नाकारात्मक शक्तियों से निजात मिलती है। हालांकि इस मंदिर का वातावरण दूसरे मंदिरों से काफी जुदा है। यहां भयानक आवाजें सुनाई देती हैं। यह आवाजें उन नर नारियों की होती हैं,जोकि भूत प्रेत जैसी नाकारात्मक शक्तियों से निजात पाने के लिए यहां तक लाए जाते हैं।
इस मंदिर के प्रति मान्यता है कि बालाजी महाराज सभी समस्याओं को दूर करते हैं। इसलिए यहां मंदिर के बाहर आपको दुकानदारों से जो वस्तुएं मिलेंगी,उसे आपको अपने शरीर पर से 5 उतार कर इसे आग में डालना होगा। इसके पश्चात सभी संकटों से मुक्ति के लिए बालाजी से प्रार्थना की जाती है। मगर कमजोर ह्रदय के लोग यहां आकर दहल सकते हैं। मेहंदीपुर में 4 चैंबर बने हैं, पहले दो चैंबर हनुमान जी और भैरव की मूर्ति के दर्शन होंगे। आखिरी विशाल कक्ष उन महिलाओं और पुरुषों से भरा दिखेगा,जिन पर भूत प्रेत केा साया होता है ।
मेहंदीपुर बालाजी पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह अनिवार्य नियम हैं
पहला मंदिर के भीतर किसी भी अजनबी को न छुआ जाए और उससे बातचीत ना करें
दूसरा मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का आहार या जलपान न करें
तीसरा मंदिर जाने से पहले प्याज और मांसाहार का सेवन ना करें
चौथा गांव से लौटते समय किसी से भी प्रसाद या अन्य सामग्री ना ले और घर लेकर जाएं
पांचवां मंदिर से जाते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए