महाराजा अग्रसेन वास्तव में मानवता के धर्म थे : पं. विजय शंकर मेहता
कुरुक्षेत्र की अग्रवाल धर्मशाला में प्रारम्भ हुई श्री अग्र भागवत कथा
महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद एवं उपायुक्त मुकुल कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया कथा का शुभारम्भ
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न हुई पावन गीता की जन्मस्थली धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के रेलवे रोड़ पर स्थित अग्रवाल धर्मशाला में अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन कुरुक्षेत्र जिला इकाई द्वारा आयोजित श्री अग्र भागवत कथा का शुक्रवार को शुभारम्भ हुआ। इस मौके पर महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज एवं उपायुक्त मुकुल कुमार के साथ राष्ट्रीय संगठन मंत्री खरैती लाल सिंगला, सत्यनारायण सिंगला, के.डी.बी. सदस्य महेंद्र सिंगला, जिला अध्यक्ष अजय गोयल, रामनिवास बंसल व डा. अनूप सिंगला ने दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारम्भ किया।
कथा के शुभारम्भ से पूर्व स्वामी ज्ञानानंद महाराज एवं उपायुक्त मुकुल कुमार ने व्यासपीठ पर नमन करते हुए माल्यार्पण किया। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने अपने आशीर्वचनों में कहाकि समाज को सही दिशा देने के लिए ही महाराजा अग्रसेन जैसी विशेष विभूतियाँ दैवीय शक्तियों के साथ धरती पर अवतरित होती हैं। महापुरुषों की प्रेरणा से ही हमारे समाज में आस्था, भक्ति एवं श्रद्धा जागृत होती है। उन्होंने कहाकि महापुरुषों की प्रेरणा से ही हम सनातन धर्म की परम्पराओं के अनुसार पर्व मनाते हैं। महाराजा अग्रसेन के समाज के प्रति दिखाए मार्ग पर चलते हुए अग्रवाल समाज देश विदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा, धर्म एवं समाजसेवा के लिए अनेकों बड़ी बड़ी संस्थाएं चला रहा है।
व्यासपीठ से विख्यात कथावाचक पं. विजय शंकर मेहता ने पहले दिन की कथा में कहाकि महाराजा अग्रसेन वास्तव में मानवता के धर्म थे। उनकी श्री अग्र भागवत कथा अशांत मन को शांत करने वाली एवं व्याकुल मन को दिशा देने वाली है। अग्रसेन की कथा पर परमात्मा के पंच स्वरूपों का प्रभाव है। प. विजय शंकर मेहता ने बताया कि महाराजा अग्रसेन भगवान राम के वंशज हैं। राजा परीक्षित एक ऋषि मुनि जी के श्राप के कारण हुई मौत से दुःखी होकर उनके पुत्र जन्माजेय जी ने अवसाद ग्रस्त हो कर नागवंश को समाप्त करने हेतु यज्ञ प्रारम्भ किया। महर्षि व्यास जी ने महर्षि जैमिनी जी को महाराज जन्माजेय जी को अग्र भागवत कथा सुनाने को कहा, जिसे सुनकर जन्माजेय अवसाद से मुक्त हुए।
पं. विजय शंकर मेहता ने बताया कि महाराज अग्रसेन का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। कम उम्र में ही गुरु से शिक्षा प्राप्त कर महाराज अग्रसेन ने अपना राजकाज संभाला और उसे पूरी तरह से व्यवस्थित किया। वे प्रबंधन के ज्ञाता थे। सबसे पहले प्रबंधन को देखते थे। हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। इस मौके पर महेन्द्र सिंगला, खरैती लाल सिंगला, अनूप सिंगला, अजय गोयल, रामनिवास बंसल, सत्य नारायण सिंगला, मित्रसेन गुप्ता, मनीष मित्तल, राजेश सिंगला, सुशील कंसल, राजीव गर्ग, राज कुमार मित्तल, जंग बहादुर सिंगला, कपिल मित्तल, सौरभ चौधरी, लाडवा से अग्र नारी शक्ति में संतोष गुप्ता, भावना गुप्ता, कमलेश बंसल, स्वीटी गुप्ता, शोभा बसंल, उर्मिल सिंगला, उर्मिल अग्रवाल, शशि बाला गर्ग, शशि गोयल, सुषमा मंगला, मीना गुप्ता, शिल्पी गुप्ता, सुमीता मंगला, पुष्पा गर्ग इत्यादि मौजूद थे।
भव्य कलश यात्रा :
श्री अग्र भागवत की कथा शुभारम्भ से पूर्व 108 महिलाओं द्वारा भव्य कलश यात्रा निकालकर की गई। कलश यात्रा सनातन धर्म मंदिर नई कालोनी से प्रारम्भ होकर रेलवे रोड़ के विभिन्न बाजारों से होती हुई कथा स्थल अग्रवाल धर्मशाला पहुंची। जिसमें महिलाएं पारंपरिक रंग के परिधान में नजर आई और पुरुष भी भक्तिभाव में नजर आए। कलश के साथ ध्वज लेकर भी लोग शामिल हुए।