न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। आजादी के अमृत महोत्सव के निमित्त स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ‘देशभक्ति गीत लोकार्पण’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि डॉ. रवीन्द्र ऋषि सुविख्यात चिकित्सक एवं समाजसेवी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता यू.आई.ई.टी. के निदेशक प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने की जबकि विशेष सान्निध्य संस्थान के शोध निदेशक डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा का रहा। इस अवसर पर कुवि परीक्षा नियंत्रक डॉ. हुकम सिंह भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि यह वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत संपूर्ण देश में अनेकों कार्यक्रम होंगे। इस अवसर पर विद्या भारती ने भी देशभक्ति गीत समाज को समर्पित किया। अतः ‘‘नव युग की नव गति नव लय हम, साध रहे होकर निर्भय। मुक्तकंठ से दसों-दिशा में, गूंजे भारत माँ की जय।।’’ उन्होंने बताया कि अमृत महोत्सव के अवसर पर इस गीत का लोकार्पण सभी प्रदेशों में किया जाएगा।
मुख्यातिथि डॉ. रविन्द्र ऋषि ने गीत का लोकार्पण करते हुए सभी को शुभकामनाएं दीं तथा देशभक्ति के महत्व को बताया। इस अवसर पर डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ने आजादी के समय के अपने संस्मरण साझा किए। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त को जब यूनियन जैक उतारा गया और हिन्दुस्तानी झंडा फहराया गया तो जनसमूह में अपार जोश था। इधर अंग्रेजी झंडा उतर रहा था, उधर पराधीनता का कलंक उतर रहा था। दुनिया का सबसे ब़ड़ा लोकतंत्र भारत है। आज सबसे बड़ी पराधीनता भाषा की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हम अपनी भाषा के गौरव को फिर से स्थापित करेंगे। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. सी.सी. त्रिपाठी ने कहा कि विद्या भारती में ऐसा वातावरण है कि यहां आकर कोई भी अपरिचित महसूस नहीं करता। विद्या भारती का उद्देश्य केवल शिक्षा ही नहीं अपितु भारतीय संस्कृति को भी जन-जन तक पहुंचाना है। इसी के निमित्त आजादी के अमृत महोत्सव पर इस गीत का लोकार्पण किया गया है। इस गीत के माध्यम से केवल विद्या भारती में ही नहीं अपितु दसों दिशाओं में भारत माता की जय गूंजेगी। उन्होंने कहा कि गीत एक माध्यम होते हैं जिससे लोग आपस में जुड़ते हैं। इस अवसर पर डॉ. हुकम सिंह ने भी शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम का संचालन सुश्री पिंकी, हरीश जोशी एवं सुखविन्द्र सैनी ने किया।