न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर ध्वजारोहण किया गया। इस अवसर पर मुख्यातिथि विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय संगठन मंत्री जे.एम. काशीपति थे। कार्यक्रम में संस्कृति शिक्षा संस्थान के शोध निदेशक डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा एवं विद्या भारती हरियाणा प्रांत के संगठन मंत्री रवि कुमार भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने किया।
इस अवसर पर विद्या भारती द्वारा तैयार कराए गए देशभक्ति गीत ‘‘नव युग की नव गति नव लय हम, साध रहे होकर निर्भय। मुक्तकंठ से दसों-दिशा में, गूंजे भारत माँ की जय’’ का वीडियो लोकार्पण किया। कार्यक्रम में माननीय जे.एम. काशीपति ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सदियों से जो पराधीनता थी, जिसके कारण भारत माता ने जो कष्ट उठाए हैं, उससे मुक्ति करने के लिए ज्ञात-अज्ञात लाखों वीर बलिदानियों ने बलिदान दिया, इसका सुपरिणाम 15 अगस्त 1947 को हमें मिला। स्वतत्रता के तुरंत पश्चात् भी पाकिस्तान ने आक्रमण कर कश्मीर को हड़पने की कोशिश की, लेकिन उस समय गृहमंत्री सरदार पटेल के दृढ़ निश्चय के कारण हमने कश्मीर को बचाया। जे.एम. काशीपति ने स्वतंत्रता के पश्चात भारत पर किए गए आक्रमणों का उल्लेेख करते हुए बताया कि किस प्रकार भारतीय वीरों ने देश को आक्रमणकारियों से बचाया। उन्होंने कहा कि देश की अखंडता को बनाए रखना सभी का दायित्व है। देश के बारे में सतत् सोचते रहना, सजग रहना आवश्यक होता है। जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया, उनका स्मरण करना, उन्हें नमन भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को वैभव सम्पन्न बनाना, सभी सुखी रहें, सभी को शिक्षा मिले, सभी का विकास हो और देश में शांति रहे, समाज संगठित रहे, इस प्रकार से काम करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। भारत इतना शक्तिशाली होना चाहिए। वह विश्व कल्याण का चिंतन कर सकता है। भारत सदैव ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’, ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के सिद्धांत पर चला है।
अमृत महोत्सव में हमें क्या, क्या करना चाहिए, इस पर चर्चा करते हुए काशीपति जी ने कहा कि विद्या भारती द्वारा तैयार किए गए देशभक्ति गीत को अपने-अपने घरों में परिवार सहित गाना चाहिए। यह गीत अपने परिचितों को भी देकर अमृतोत्सव में सम्मिलित करने का अवसर देना चाहिए। गीत सामूहिक रूप से बोलने से उसका प्रभाव मन पर और परिवार पर भी रहता है। हमें अपने-अपने घरों में बच्चों को देशभक्त वीरों की कहानियां सुनानी चाहिए। एक दूसरे से परिवार मिलन कार्यक्रम होना चाहिए। परिवार व्यवस्था को हमें सुदृढ़ करना होगा। परिवार कल्पना के कारण ही भारत विश्वगुरु बन सकता है। यह अक्षुण्ण रहे। ऐसे ही कार्यक्रम हम अमृतोत्सव पर करें, इसका हमें संकल्प लेना चाहिए।
इस अवसर पर डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ने 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा कि रात्रि 12 बजे जब यूनियन जैक उतर रहा था जो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भारत पर गुलामी का जो कलंक था, वह धुल रहा था। जनसमूह में भारी उत्साह था। डॉ. सिन्हा ने देशभक्ति से ओतप्रोत अनेक संस्मरण साझा किए।