कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कन्नूर, इंदौर, नागपुर, मेरठ, भागलपुर और पानीपत में केंद्र स्थापित किए जाएंगे
वस्त्र मंत्रालय हथकरघा इकोसिस्टम का निर्माण कर रहा है
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। हथकरघा उद्योग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए वस्त्र मंत्रालय ने कई नई पहल की हैं। कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कन्नूर, इंदौर, नागपुर, मेरठ, भागलपुर और पानीपत के बुनकर सेवा केंद्रों (डब्ल्यूएससी) में 10 और डिजाइन संसाधन केंद्र (डीआरसी) राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी) द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य हथकरघा क्षेत्र में डिजाइन-आधारित उत्कृष्टता का निर्माण करना और बुनकरों, निर्यातकों, निर्माताओं व डिजाइनरों की सैंपल/ बेहतर उत्पाद और उनके विकास के लिए डिजाइन रिपॉजिटरी तक पहुंच की सुविधा प्रदान करना है।
मंत्रालय ने एनआईएफटी को इन बातों को ध्यान में रखते हुए शामिल किया है क्योंकि वह वस्त्र मंत्रालय का एक आंतरिक संगठन है। जिसका हथकरघा भी एक अहम हिस्सा है। एनआईएफटी की फैशन और डिजाइन क्षेत्र में विशेषज्ञता है जिसका इस्तेमाल हथकरघा क्षेत्र को बाजारसे जोड़ने के लिए किया जा सकता है। एनआईएफटी द्वारा सभी डब्ल्यूएससी में चरणबद्ध तरीके से डीआरसी स्थापित किए जा रहे हैं जिसमें निर्यातकों, निर्माताओं, डिजाइनरों, बुनकरों और अन्य संबंधित लोगों के लिए डिजाइन और संसाधनों की एक बड़ी लिस्ट उपलब्ध होगी।
दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, जयपुर और वाराणसी के डब्ल्यूएससी में डीआरसी की स्थापना और उनका उद्घाटन किया जा चुका है। जबकि कांचीपुरम में आठवें डीआरसी का उद्घाटन माननीय वस्त्र मंत्री द्वारा 7 अगस्त 2021 को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर किया गया था।
शुरू में, मुंबई, चेन्नई और वाराणसी में हथकरघा डिजाइन केंद्र साल 1956 में स्थापित किए गए थे। बाद में इन डिजाइन केंद्रों की गतिविधियों का विस्तार हथकरघा वस्त्रों के अन्य क्षेत्रों को कवर करने के लिए किया गया।जिन्हें बाद में बुनकर सेवा केंद्र (डब्ल्यूएससी) के रूप में नामित किया गया। समय के साथ प्रत्येक बुनकर सेवा केंद्र ने बड़ी संख्या में हथकरघा डिजाइन और नमूने तैयार किए। इस बीच हथकरघा उत्पादों के डिजाइन इनोवेशन, प्रशिक्षण और मार्केटिंग क्षमता में सुधार के लिए योगदान देने वाले प्रतिष्ठित डिजाइनरों को शामिल करने और उन्हें अलग-अलग बुनकर समूहों से जोड़ने के प्रयास भी किए गए।
इसके अलावा कई डिजाइनरों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी किए गए। लेकिन इन प्रयास को सीमित सफलता मिली और कुछ समय बाद पूरी तरह से इनका विकास रुक गया। जिसके जरिए एक इन हाउस रिपॉजिटरी रखने की अवधारणा को महत्व दिया गया। जहां पर योगदानकर्ताओं और लाभार्थियों दोनों के पास डिजाइन साझा करने के लिए एक कॉमन प्लेटफॉर्म हो सकता है। भले ही वह फैशन से सीधे तौर से नहीं जुड़े हों।एनआईएफटी को चरणबद्ध तरीके से सभी डब्ल्यूएससी में डीआरसी स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
1986 में स्थापित, एनआईएफटी देश में फैशन शिक्षा का अग्रणी संस्थान है और टेक्सटाइल व अप्रैल उद्योगों को पेशेवर मानव संसाधन प्रदान करने में सबसे आगे है। वर्षों से देश के विभिन्न हिस्सों में अपने 17 कैंपस के साथ एनआईएफटी डिजाइन विकास और हथकरघा व हस्तशिल्प की स्थिति के क्षेत्र में एक ज्ञान (नॉलेज) देने वाले सेवा प्रदाता के रूप में काम कर रहा है।