पालनहार श्री गणेश को हम विदाई कैसे दे सकते हैं, भगवान श्री गणेश तो हर क्षण हमारे बीच विद्यमान हैं – ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 1 सितम्बर : देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में पिछले 10 दिन से चल रहे श्री गणेश उत्सव का विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ अगले वर्ष फिर भगवान श्री गणेश के आगमन की कामना के साथ समापन किया गया। इस मौके पर ब्रह्मचारी के निर्देशानुसार आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री ने संस्था के ट्रस्टियों के के कौशिक, राजेश सिंगला, श्रवण गुप्ता, खरैती लाल सिंगला, के के गर्ग, टेक सिंह लौहार माजरा, सुरेंद्र गुप्ता, यशपाल राणा, सतबीर कौशिक एवं रोहित कौशिक इत्यादि से पूजन करवाकर आरती की। इस के उपरांत भगवान श्री गणेश की प्रतिमा का मिर्जापुर के निकट भक्तिभाव के साथ नहर में विसर्जन किया गया। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने कहाकि हम सभी भगवान श्री गणेश के भक्त हैं। हम कौन होते हैं भला, भगवान श्री गणेश को बनाने वाले, रचने वाले, मिट्टी से गढ़ने वाले। हम उनकी प्रतिमा या मूर्ति बना सकते हैं लेकिन उन्हें नहीं। ना हम उन्हें विसर्जित कर सकते हैं। भगवान तो हर वक्त हमारे साथ हैं। उन्होंने कहाकि क्या हम अपने घर के बुजुर्गों को कुछ दिन घर में रख कर उन्हें वापिस जाने का कहते हैं? नहीं, तो फिर पालनहार श्री गणेश को हम विदाई कैसे दे सकते हैं? ब्रह्मचारी ने कहाकि भगवान श्री गणेश तो हमारे देवता हैं उन्हें ना हम स्थापित कर सकते हैं, ना बना सकते हैं ना ही विसर्जन कर सकते हैं। हम उनकी प्रतिमा ही निर्मित, स्थापित और विसर्जित कर सकते हैं। श्री गणेश चतुर्थी के दिन जिस हर्षोल्लास से गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और उनकी विधि विधान से 10 दिनों तक पूजा करते हैं, ठीक उसी प्रकार आनंदपूर्वक विघ्नहर्ता गणेश जी को विदा किया जाता है और उनसे फिर अगले वर्ष आने की प्रार्थना की जाती है ताकि वे हमारे सभी कष्टों और संकटों का नाश करें। ब्रह्मचारी ने बताया कि पूरे श्री गणेश उत्सव में विश्व में शांति के साथ कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए भगवान श्री गणेश से कामना की गई। भगवान श्री गणेश की कृपा से कोरोना के चंगुल से मुक्त होकर फिर से सभी लोग सुख शांति का जीवनयापन कर सकेंगे।
जयराम विद्यापीठ में गणेशोत्सव संपन्न, प्रतिमा का भक्तिभाव से विसर्जन
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