कल्याण सिंह आरएसएएस के प्रचारक अपने श्रद्धेय मंगीलाल शर्मा को देते थे राजनीति में लाने का श्रेय
प्रधानमंत्री,गृहमंत्री,यूपी के सीएम और देशभर के राजनेताओं सहित राजनीतिक गुरु के पुत्र कुशाभाऊ ठाकरे विवि के कुलपति बल्देव भाई शर्मा ने जताया शोक
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली।एक जमाने में भाजपा के फायर ब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राजस्थान और हिमाचल के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का आज निधन हो गया। उनके निधन का समाचार फैलते ही उन्हें चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें चाहने वाले सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि बाबूजी कल्याण सिंह व्यक्ति नहीं एक विचार थे।
शनिवार देर शाम को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया। वे काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्हें लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था,लेकिन चार जुलाई को उनकी हालत फिर से बिगड़ गई। इस वजह से उन्हें पीजीआई में रेफर किया गया। शनिवार की देर शाम उन्होंने पीजीआई में ही अंतिम सांस ली। अस्वस्थ होने के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई नेता उनका कुशलक्षेम जाने के लिए पहुंचते रहे,मगर आज शाम उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई है।
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ में अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव वासी किसान परिवार में हुआ था। कल्याण सिंह बाल स्वयं सेवक थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उनकी सक्रियता बनी रही। कल्याण सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में कड़ी मेहनत से उच्च शिक्षा प्राप्त की और बतौर शिक्षक अध्यापन का कार्य शुरु किया। इसी के साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर राजनीति के गुण भी सीखते रहे। कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में रहकर गांव-गांव जाकर लोगों में जागरूकता पैदा करते रहे। उन्हें राजनीति में लाने का श्रेष्य आरएसएस के प्रचार मांगीलाल शर्मा को जाता है। पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ के लेने के दौरान उन्हें मंच से अपने श्रद्धेय मंगीलाल शर्मा का स्मरण करते हुए उन्हें अपना राजनीतिक गुरु कहा था,क्योंकि वे राजनीति की बजाए संघ में ही सक्रिय रहना चाहते थे और प्रचारक मंगीलाल शर्मा के आदेश पर उन्होंने राजनीति के क्षेत्र की ओर कूच किया और फिर लगातार बुलंदियों को छुआ।
कल्याण सिंह 1967 में अपना पहला विधानसभा चुनाव अतरौली से जीतकर उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। साल 1967 से लगातार 1980 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। इस बीच देश में आपातकाल के समय 1975-76 में 21 माह तक जेल में रहे और तमाम यात्नाएं सहन की। इस बीच कल्याण सिंह को अलीगढ़ और बनारस की जेलों में रखा गया। आपातकाल समाप्त होने के बाद 1977 में राम नरेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनकी सरकार में कल्याण सिंह को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।साल 1980 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कल्याण सिंह विधानसभा का चुनाव हार गये थे। भाजपा के गठन के बाद कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया।
राममंदिर निर्माण आंदोलन जब चरण पर था तो उसी दौरान कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और आंदोलनरत रामसेवकों द्वारा जब अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया तो इसकी जिम्मेदारी लेते हुए,कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।नब्बे के दशक में भाजपा के फायर ब्रांड नेता रहे कल्याण सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह,यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित देशभर के राजनेताओं और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने शोक जताया है। वहीं उनके राजनीतिक गुरु रहे आरएसएस के प्रचारक मंगीलाल शर्मा के सुपुत्र विख्यात पत्रकार एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़ के कुलपति डा.बल्देव भाई शर्मा ने इसे राष्ट्रीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि बाबू कल्याण सिंह जी की जीवन समाजसेवा को समर्पित रहा। वे अपने राजनीतिक सफर में नैतिक मूल्यों अडिग रहे।