75 पार कर चुके पद्मश्री हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा का जलवा आज भी बरकरार
राजीव गांधी ने आर्टिस्ट कोटे में दिलाया था मुझे दिल्ली के मिंटो ब्रिज के निकट तीन कमरों का फ्लैट
मगर उनके बाद प्रधानमंत्री बने नरसिम्महाराव ने करा दिया था आर्टिस्ट कोटे में मिला फ्लैट खाली
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। सत्ता पर काबिज हस्तियों को क्या भा जा जाए और क्या चुभ जाए,इसका अंदाजा लगाना आमजन के लिए टेढ़ी खीर है और हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा के व्यंग्यबाणों में भी ज्यादा मोल,तोल और भाव का फंडा नहीं होता,जब छोड़ना है तो छोड़ ही देते हैं। फिर चाहे वह अफ्सरशाही हो या राजनीति के दिग्गज चेहरे। अपनी चार लाइनों सुनाकर कई दशकों से हास्य और व्यंग्य सुनने वाले श्रोताओं में वे अलग स्थान रखते हैं। फुहड़ता इनमें आसपास नहीं होती,अपने पुराने तीरों को बेशक बार बार छोड़ते हों,मगर बोर बोर उन्हें कभी नहीं कहा गया। वे कभी बोर कर भी नहीं सकते। शारीरिक संरचना, भाव भंगिमाएं और गोल गोल आंखें निकाल कर बगैर मुस्कुराए जब वे कुछ बोलते हैं तो बरबस सामने बैठे श्रोताओं को हंसी ही आती है,फिर चाहे वह कितना ही पुराना माल परोस रहे हों।देश के दिग्गज हास्य कवियों की श्रेणी में शुमार सुरेंद्र शर्मा 75 पार कर चुके हैं और आधी सदी से ज्यादा वे इस क्षेत्र में हैं,लेकिन उनके खास शैली में किए जाने वा काव्य पाठ का जलवा बरकरार है।
पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा का आज जिक्र अचानक इसलिए किया,क्योंकि अपने फेसबुक वाल पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का स्मरण करते हुए एक वीडियो शेयर किया है। इसमें उन्होंने उस घटनाक्रम का जिक्र किया,जब उनके पास दिल्ली में रहने को घर नहीं था,लेकिन बड़ी हस्तियों के बीच उनका उठना बैठना और काव्यपाठ से वह काफी चर्चित हो चुके थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी उन्हें पसंद करते थे। इसी तरह की एक खास मुलाकात का जिक्र सुरेंद्र शर्मा ने सोशल मीडिया पर किया है,जोकि काफी ट्रेंड हो रहा है।उन्होंने स्वर्गीय राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि एक कार्यक्रम में वह राजीव गांधी के साथ बैठे थे,यहां उन्हें चुटकुला सुनाने को कहा,उन्होंने चुटकुला सुनाया कि एक व्यक्ति दिल्ली में रहता था और उसके पास घर नहीं था। घर नहीं मिलने पर उसने दुःखी होकर यमुना नदी में छलांग लगा दी। इसी बीच एक तरबूज बहते हुए उसके नजदीक आ गया।
मौत को गले लगाने से पहले उसने सोचा चलो मरना तो है ही,इससे पहले ये तरबूज ही खा लेता हूं,उसे हाथ लगाते ही उसमें एक जिन्न निकला। और उसी पुराने किस्से कहानियों तरह पूछ डाला,क्या चाहिए मेरे आका। जिन्न को पाकर उस आदमी ने मरने का इरादा छोड़ दिया। बोला मुझे तो दिल्ली में बस तीन कमरों का एक फ्लैट दिला दो। अब इस बात को सुन जिन्न ने उस आदमी को जोरदार चमाट जड़ दिया। बोला, साले अगर फ्लैट होता तो क्या मैं इस तरबूज में रहता। सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि यह चुटकुला सुन राजीव गांधी ने कोई अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने कहा इसका क्या मतलब हुआ। बस इतने बड़े आदमी के यह पूछना था कि मैने तो अपनी परेशानी बता दी और तभी पास खड़े एक राजनेता को मनपसंद की जगह आर्टिस्ट कोटे में तीन कमरों के फ्लैट का बंदोबस्त करने को राजीव गांधी ने कह दिया।
सुरेंद्र शर्मा के अनुसार उन्हें सिर्फ 10 दिनों के भीतर दिल्ली के मिंटो ब्रिज के पास तीन कमरों वाला फ्लैट मिल गया। इस फ्लैट में वह बरसों बरस रहे,मगर नरसिम्महाराम जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे यह फ्लैट खाली करा लिया गया। सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि सरकारी सेवाएं ज्यादा भी नहीं लेनी चाहिए,अगर मुझसे उस फ्लैट खाली नहीं कराया जाता तो शायद में उस दौर में नया फ्लैट बुक भी नहीं कराता और आज इतनी महंगाई के दौर में दिल्ली में अपना घर खरीदना मेरे बहुत मुश्किल हो जाता। सुरेंद्र शर्मा कहते हैं कि सही समय पर अगर सही ढंग से सही व्यक्ति तक बात पहुंच जाए तो,सही काम होने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगता। मूल रुप से हरियाणा वासी यह कवि आज देश-दुनिया में जाना जाता है।