Sunday, November 24, 2024
Home Kurukshetra News नागपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड का पहला बैच भारतीय सेना को सौंपा

नागपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड का पहला बैच भारतीय सेना को सौंपा

by Newz Dex
0 comment

रक्षा मंत्री ने इसे रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्म-निर्भरता प्राप्ति के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी का आदर्श उदाहरण बताया

डीआरडीओ प्रयोगशाला से टेक्नोलॉजी हस्तातंतरण के बाद इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड कंपनी द्वारा ग्रेनेड बनाया गया

मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड आक्रामक और रक्षात्मक दोनों मोड में अत्यधिक सटीक और विश्वसनीय ढंग से कार्य करता है

रक्षा मंत्री ने इसे रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में महत्वपूर्ण मील का पत्थर और आत्म-निर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम बताया

पिछले दो वर्षों में 17,000 करोड़ रुपए से अधिक का रक्षा निर्यात किया गया

न्यूज डेक्स इंडिया

दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन(डीआरडीओ)के टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला से टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के बाद इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड(ईईएल) द्वारा बनाया गया मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड(एमएमएचजी) का पहला बैच नागपुर,महाराष्ट्र में 24 अगस्त,2021 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय सेना को सौंपा गया।

ईईएल के अध्यक्ष एस एन नुवाल ने निजी क्षेत्र से हथियार की पहली डिलीवरी के मौके पर एमएमएचजी की स्केल प्रतिकृति रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी। इस अवसर पर सेनाध्यक्ष जनरल एस एस नरवणे,रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी, इनफैंट्री महानिदेशक ले. जनरल ए के सामंत्रा और अन्य लोग भी उपस्थित थे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सेना को एमएमएचजी सौंपे जाने को सावर्जनिक और निजी क्षेत्र के बीच बढ़ते सहयोग का आदर्श उदाहरण और रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्म-निर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा “ आज का दिन भारतीय रक्षा क्षेत्र के इतिहास में यादगार दिन है। रक्षा उत्पादन के मामले में हमारा निजी उद्योग परिपक्व हो रहा है। यह न केवल रक्षा मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में मील का पत्थर है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के विजन को हासिल करने में भी मील का पत्थर है।” रक्षा मंत्री ने कोविड-19 प्रतिबंधों के बीच ऑर्डर की तेजी से डिलीवरी के लिए डीआरडीओ तथा ईईएल की सराहना की और आशा व्यक्त की कि अगली खेप की डिलीवरी तेजी से होगी।

रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र को सशस्त्र बलों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने वाले आत्म-निर्भर उद्योग में बदलने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों की जानकारी दी। इन उपायों में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर की स्थापना, रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति (डीपीईपीपी) 2020 का प्रारूप तैयार करना, घरेलू कंपनियों से खरीद के लिए 2021-22 के लिए पूंजी प्राप्ति बजट के अंतर्गत आधुनिकीकरण कोष का 64 प्रतिशत निर्धारित करना , आत्म-निर्भरता और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 200 रक्षा सामग्रियों की स्वदेशीकरण की सार्थक सूचियों को अधिसूचित करना, आयुध फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) का निगमीकरण, ऑटोमेटिक रूट के अंतर्गत एफडीआई की सीमा 49 से 74 प्रतिशत तथा सरकारी रूट से 74 प्रतिशत से ऊपर करना तथा पूंजी प्राप्ति के लिए बाइ इंडियन -आईडीडीएम(स्वदेश में डिजायन, विकसित और निर्मित) को शीर्ष प्राथमिकता देना शामिल है।

राजनाथ सिंह ने सरकर की एक अन्य पहल यानी डीआरडीओ द्वारा तकनीक हस्तांतरण का विशेष उल्लेख किया। इन उपायों को रक्षा उद्योग की रीढ़ बताते हुए उन्होंने इनक्यूबेटर होने के लिए डीआरडीओ की सराहना की जो निशुल्क टेक्नोलॉजी हस्तांतरण कर रहा है और 450 से अधिक पेटेंटों को परीक्षण सुविधाओं की पहुंच प्रदान कर रहा है। इससे उद्योग न केवल उपयोग के लिए तैयार टेक्नोलॉजी में सक्षम बना है बल्कि समय,ऊर्जा और धन की बचत की है।

रक्षा मंत्री ने रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार(आईडेक्स) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य आत्म-निर्भरता की प्राप्ति और एमएसएमई, स्टार्ट-अप,व्यक्तिगत अन्वेषकों , अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा एकेडेमी को शामिल करके रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार तथा टेक्नोलॉजी विकास को बढ़ावा देना है। इस पहल के अंतर्गत सशस्त्र बलों, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा प्रतिष्ठानों तथा ओएफबी की कठिनाइयों को चिन्हित किया गया है और समाधान के लिए डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज((डीआईएससी) के माध्यम से उद्यमियों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप तथा अन्वेषकों के समक्ष लाया गया है।

राजनाथ सिंह ने ‘मल्टी-मोड ग्रेनेड’, ‘अर्जुन-मार्क-1’ टैंक, ‘ अनमैन्ड सरफेस व्हेकिल ‘ और ‘ सी थ्रू आर्मर ‘ जैसे स्वदेश में विकसित उत्पादों के लिए उद्योग की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे उत्पाद न केवल तैयार किए जा रहे हैं,बल्कि बड़े पैमान पर इनका निर्यात किया जा रहा है। वर्ष 2016-17 से 2018-19 के दौरान निर्यात प्राधिकृत संख्या 1,210 थी जो पिछले दो वर्षों में बढ़ कर 1,774 हो गई। परिणामस्वरूप पिछले दो वर्षों में 17,000 करोड़ रुपए से अधिक का रक्षा निर्यात हुआ। राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही न केवल घरेलू उपयोग के लिए रक्षा उत्पाद बनाएगा बल्कि पूरे विश्व के लिए बनाएगा।

ग्रेनेड न केवल अधिक घातक है बल्कि उपयोग में भी सुरक्षित है। इसकी डिजायन विशिष्ट है जो रक्षात्मक(फ्रैगमेंटेशन) तथा आक्रामक( स्टन) मोड में भी काम करता है। इसमें सटीक विलंब समय है ,उपयोग में उच्च विश्वसनीयता है तथा ले जाने में सुरक्षित है। नए ग्रेनेड प्रथम विश्व युद्धके विशिष्ट जायन के ग्रेनेड नंबर 36 का स्थान लेगा जो अभी तक सेवा में है।

ईएल ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के लिए 10 लाख आधुनिक हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए 01 अक्टूबर, 2020 को रक्षा मंत्रालय के साथ एक करार पर हस्ताक्षर किया था। डिलीवरी थोक उत्पादन मंजूरी से दो वर्षों में की जाएगी। ईईएल को थोक उत्पादन मंजूरी मार्च,2021 में दी गई थी। पहले आदेश की डिलीवरी पांच महीने के भीतर की गई है।

ईईएल ने 2016 में डीआरडीओ से तकनीक प्राप्त की थी, इसे डेटोनिक्स में उच्च गुणवत्ता बनाए रखते हुए सफलतापूर्वक समाविष्ट किया गया। भारतीय सेना और गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) ने 2017-18 की गर्मियों और सर्दियों में मैदानों, रेगिस्तान और ऊंचाई पर व्यापक परीक्षण सफलतापूर्वक किया।

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00