हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड ने पाठयक्रम तैयार करने के लिए बनाई सरस्वती सिलेबस कमेटी
केयूके से डा. प्रीतम सिंह को बनाया सिलेबस कमेटी का अध्यक्ष
15 सितम्बर तक कमेटी को रिपोर्ट सौंपने की सौंपी जिम्मेवारी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भारत की प्राचीनतम पवित्र सरस्वती नदी के इतिहास को स्कूली पाठयक्रम में शामिल किया जाएगा। यह पाठयक्रम छटी कक्षा से बारहवीं कक्षा तक तैयार किया जाएगा। इस पाठयक्रम को तैयार करने के लिए सरस्वती सिलेबस कमेटी का भी गठन किया गया है। इस सिलेबस कमेटी के अध्यक्ष कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डा. प्रीतम सिंह को बनाया गया है। इस कमेटी में कुल 11 सदस्यों को शामिल किया गया है। अहम पहलू यह है कि इस कमेटी को 15 सितम्बर 2021 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेवारी भी दी गई है।
हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने बुधवार को बातचीत करते हुए कहा कि हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के चेयरमैन एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा और हरियाणा के शिक्षामंत्री कंवरपाल के आदेशानुसार ही हरियाणा की धरा से बहने वाली 5 हजार वर्ष से भी ज्यादा पुरानी पवित्र सरस्वती नदी के बारे में युवा पीढ़ी को बताने तथा ज्ञान और संस्कार देने के उदेश्य से सरस्वती नदी के इतिहास को पाठयक्रम में शामिल करने की योजना तैयार की है। यह पाठयक्रम छटी से बारहवीं कक्षा तक पढ़ाया जाने का प्रपोजल है। इसलिए इस पाठयक्रम को तैयार करने के लिए हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की तरफ से एक सरस्वती सिलेबस कमेटी का गठन किया है।
इस सिलेबस कमेटी के हैड कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डा. प्रीतम सिंह को बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस कमेटी में जिओलॉजी विभाग की रिसर्च आफिसर डा. दीपा मेहता को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। इसके साथ-साथ इस कमेटी में विद्या भारती शिक्षण संस्थान के निदेशक डा. रामेन्द्र सिंह, सीईआरएसआर कुरुक्षेत्र के निदेशक प्रोफेसर डा. एआर चौधरी, पंजाब विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर प्रियातोष, जिओग्राफी विभाग कुरुक्षेत्र के प्रोफेसर डा. केतकी राणा, पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आशीष तिवान, एससीईआरटी गुरुग्राम के रिप्रिजेंटिव, स्कूल लैक्चरर डा. रेविका हुड्डा, जीएमएसएसएसएस इस्माईलाबाद के प्रोफेसर डा. दिनेश यादव, जीएचएस जलबेहड़ा की जिओग्राफी पीजीटी प्रतिका, एचएसएचडीबी के जिओलॉजी की रिसर्च अधिकारी डा. दीपा को शामिल किया गया है।
उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने कहा कि भारत की सबसे प्राचीनतम नदी सरस्वती का एक अलग ही ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। इस नदी के तटों के किनारे ही भारतीय संस्कृति पली, बढ़ी और विकसित हुई है। इस नदी के किनारे अनेकों ऋषि मुनियों ने तप किया। देश को ज्ञान का प्रकाश देने वाली इस नदी को अब पाठयक्रम में शामिल करके भारत की इस प्राचीन संस्कृति को फिर से जींवत किया जाएगा। जब देश के बच्चे अपनी विरासत और धरोहर के बारे में जानेंगे तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी को शिक्षित और संस्कारवान बनाया जा सकेगा।