नई शिक्षा नीति को लागू करने में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं इसके शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली हैः शर्मा
वैश्विक समाज व वैश्विक नागरिक निर्माण के लिए शिक्षकों को अपनी जिम्मेवारी को गंभीरता से निर्वाह करना होगाः शर्मा
भारतीय संस्कृति, भाषा एवं भारतीयता नई शिक्षा नीति की आत्माः प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा
विद्यार्थी केंद्रित एवं नए भारत के निर्माण का रौडमैप है नई शिक्षा नीतिः प्रो. सोमनाथ सचदेवा
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रोल आफ टीचर्स इन नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत के भाग्य को बदलने वाला दस्तावेज है। यह एक ऐसी नीति है जो भारत में वैश्विक नागरिक तैयार करने में मदद करेगा व समाज की विभिन्न समस्याओं के निदान का कारण बनेगा। वे बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेंटर फार कान्टिनूयिंग एजुकेशन रूसा 2.0 तथा फैकल्टी डेवलेपेमेंट सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में रोल आफ टीचर्स इन नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में बोल रहे थे। इससे पहले मॉं सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद, रविंद्र नाथ टैगोर एवं महात्मा गांधी ने देश में जिस तरह की शिक्षा व्यवस्था की कल्पना की थी यह शिक्षा नीति बिल्कुल वैसी ही है। किसी भी देश में बड़ा बदलाव शिक्षा क्षेत्र के सहयोग के बिना संभव नहीं है। यह दस्तावेज आने वाले दो दशकों में भारत में बड़े बदलाव का कारण बनेगा। प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि इस दस्तावेज को बनाने के लिए लगभग पांच वर्ष तक गंभीर चर्चा हुई है। देश भर से आए करीब 2.5 लाख सुझावों को इसमें शामिल कर इसे तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के अंदर प्राकृतिक रुप से मौजूद है उसे बाहर निकालने में यह नीति मदद करेगी व हमारे विद्यार्थियों के र्स्वांगीण विकास का आधार बनेगी। उन्होंने कहा कि इस नीति का उदेश्य शिक्षित लोगों को समाज के लिए उपयोगी बनाना है ताकि वे सक्रिय होकर देश व समाज निर्माण में अपना योगदान दे सकें।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजो के समय से ही देश में शिक्षा नीति निर्माण शुरू हो गया था, उन्होंने ऐसी नीतियों की रचना कि जिससे भारतीय समाज हमेशा उनका गुलाम रह सके। आजादी के बाद हमने कुछ अच्छे प्रयास किए लेकिन भारत केंद्रित शिक्षा व्यवस्था अभी भी एक सपना है। उस सपने को पूरा करने के लिए यह देश भर में विचार कर इसे तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय न केवल हरियाणा का बल्कि देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है। ऐसे में नई शिक्षा नीति शत प्रतिशत लागू हो व इसे लागू करने में अन्य विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का अनुसरण करें यही सभी शिक्षकों को प्रयास करना चाहिए। उन्होंने सभी शिक्षकों से आह्वान किया भविष्य के लिए ऐसे पाठयक्रमों का निर्माण करें जिससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा हों बल्कि हमारे विद्यार्थी रोजगार के अवसर पैदा करने वाले बनें।
प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में और नए कीर्तिमान बनाएगा लेकिन यह तभी संभव होगा जब शिक्षक पूरी सक्रियता के साथ नए भारत के लिए नए एवं रचनात्मक पाठयक्रमों का निर्माण करेंगे। इस मौके पर उन्होंने सभी शिक्षकों का आभार भी प्रकट किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि भारतीय संस्कृति, भाषा एवं भारतीयता नई शिक्षा नीति की आत्मा है। यह विद्यार्थी केंद्रित एक ऐसा दस्तावेज है जो नए भारत के निर्माण में अपना योगदान देगा। भारत की आने वाली पीढ़ियों को सर्वांगीण विकास हो यही नई शिक्षा नीति का मूल उदेश्य है। इन्हीं उदेश्यों को पूरा करने के लिए देश भर में इसे लागू करने के लिए भी उतना ही विचार विमर्श हो रहा है। नई शिक्षा नीति में नई सूचना तकनीक आधारित शिक्षा, शिक्षकों की नियुक्तियां, प्रदर्शन के आधार पर प्रमोशन, शोध की गुणवत्ता, विश्वविद्यालयों एवं शिक्षकों की स्वायतता सहित सभी विषयों पर प्रमुखता के साथ चर्चा की गई है।
उन्होंने कहा कि पूरी शिक्षा नीति विद्यार्थी एवं शिक्षक केंद्रित है। इसलिए इसे लागू करने में भी शिक्षकों की भूमिका ही महत्वपूर्ण होने वाली है। कुलपति ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने इस लागू करने के लिए पूरी रूपरेखा पहले ही बना ली है। नई शिक्षा नीति के अनुसार पाठयक्रमों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि न केवल हरियाणा में बल्कि देश के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए हमारे शिक्षक एवं पाठयक्रम रोल मॉडल बनें उसी दिशा में हम काम कर रहे हैं। कुलपति ने सभी शिक्षकों से आहवान किया कि आने वाली पीढ़ियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में विश्वविद्यालय में अग्रणी रहा है। इसलिए शिक्षकों का यह नैतिक दायित्व है कि वे भारत एवं विद्यार्थी केंद्रित शिक्षक नीति को लागू करने में आउट ऑफ बॉक्स विचार करें, रचनात्मक पाठयक्रम बनाएं ताकि विद्यार्थियों की रूचि शिक्षा में और बढ़ें।
कुलपति ने कहा कि महात्मा गांधी के अनुसार सर्वांगीण विकास का अर्थ है- आत्मा, मस्तिष्क, वाणी और कर्म- इन सभी का संतुलन होना चाहिए। हमारे शिक्षकों भी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में अहम् योगदान देंगे और उनमें इन तीनों तत्वों का विकास कर उन्हें रोजगारपरक बनाएंगे। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के अनुसार, सर्वांगीण विकास का अर्थ है- हृदय से विशाल, मन से ऊँचा और कर्म से महान होता है। यही भावना विद्यार्थियों में विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षकों को भी बड़ी सोच के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि महान दार्शनिक आचार्य महाप्रज्ञ के अनुसार व्यक्तित्व निर्माण का कार्य बहुत कठिन है। एक निस्वार्थ और जागरूक शिक्षक ही व्यक्तित्व निर्माण कर सकता है। हमें निस्वार्थ भाव व जागरूकता के साथ कार्य करना है। उन्होंने बताया कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था है कि अगर कोई देश भ्रष्टाचार मुक्त है और एक सुंदर दिमाग वाले व्यक्ति वहां रहते हैं, तो निश्चित ही तीन लोगों की इसमें अहम् भूमिका रहते हैं। वे हैं पिता, माता और शिक्षक हैं। हमारे समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने शिक्षकों पर अपनी निष्ठा जाहिर की है उस पर हमें खरा उतरना है।
उन्होंने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार, शिक्षक देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसलिए वे अधिक सम्मान के पात्र हैं। इन सन्दर्भों में, नई शिक्षा नीति में ऐसा माहौल बनाने के लिए शिक्षकों की अहम भूमिका है। इस मौके पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने प्रोफेसर कैलाश चंद्र शर्मा का विश्वविद्यालय में उदबोधन के लिए आभार जताया एवं विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनंदन किया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीन एकेडमिक अफेयर प्रोफेसर मंजूला चौधरी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद इसे सही रूप में पाठयक्रमों के माध्यम से लागू करना शिक्षकों की जिम्मेवारी हैं। हमारे भविष्य के पाठयक्रम कैसे हों, भविष्य में हम विद्यार्थियों को किस तरह के कौशल एवं रोजगार मिलेंगे इस बारे में शिक्षकों को विचार करना चाहिए। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने इस सत्र से ही कई नए पाठयक्रम नई शिक्षा नीति के तहत लागू करने की घोषणा की है और वह शिक्षकों के सहयोग से ही संभव हो पाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी शिक्षकों का सहयोग इसी तरह से जारी रहेगा और हम देश की आवश्यकताओं के अनुसार नए पाठयक्रमों के निर्माण में सफल साबित होंगे।
इस मौके पर फैकल्टी डिवलेपमेंट सेंटर के निदेशक प्रोफेसर तेजेंद्र शर्मा ने सभी का स्वागत किया एवं सेंटर का कंटीनियुंग एजुकेशन के निदेशक प्रोफेसर एएस बूरा ने सभी का धन्यवाद किया। मंच का संचालन प्रोग्राम कोर्डिनेटर डॉ अशोक कुमार ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ संजीव शर्मा, प्रोफेसर एसपी सिंह, प्रोफेसर श्याम कुमार, प्रोफेसर एएस बूरा, प्रोफेसर तेजेंद्र शर्मा सहित सभी डीन, निदेशक, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।