केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली में “लोक सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम” पर कार्यशाला को संबोधित किया
“मिशन कर्मयोगी (एमके)”, लोक सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) वर्तमान उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना चाहता है और एक योग्यता-आधारित शिक्षा और विकास में प्रवेश करने के लिए उन्हें आगे बढ़ाना चाहता है।
“अगले वर्ष जनवरी तक देश के हर जिले में एकल सामान्य पात्रता परीक्षा आयोजित करने के प्रयास जारी”
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोग से सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी सुधार ‘मिशन कर्मयोगी’ के माध्यम से लोक सेवकों के कामकाज और कार्य प्रणाली को ‘शासन से कर्त्तव्य’ में स्थानांतरित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है, ताकि वे आश्वस्त हों और उन्हें सौंपे गए कार्य को करने में सक्षम हों।
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान में राष्ट्रीय लोक सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि यह क्षमता निर्माण भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के समय में हो रहा है और भारत न केवल इन 75 वर्षों तक अस्तित्व में रहा है बल्कि यह एक राष्ट्र के रूप में विकसित भी हुआ है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रशासनिक सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को एक ऐसी संस्कृति दी है जो ‘नए भारत’ के अनुरूप है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी में ‘अलग हटकर’ सोचने का साहस और दृढ़ विश्वास है।
वर्तमान समय में लोक सेवकों की भूमिका के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकारी कर्मचारियों के दायित्वों में बदलाव आया है और उनकी जवाबदेही बढ़ी है। उन्होंने कहा कि किसी भी जिम्मेदार राष्ट्र का अंतिम उद्देश्य अपने नागरिकों के लिए ‘जीवन की सुगमता’ सुनिश्चित करना होता है और भारत इस रास्ते पर अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है।
मंत्री महोदय ने कहा कि वर्ष 2016 में मोदी सरकार द्वारा एक क्रांतिकारी निर्णय लिया गया था, जिसके अंतर्गत लोक सेवकों को अपने संबंधित कैडर में जाने से पहले सहायक सचिव के रूप में तीन महीने का कार्यकाल पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल जनवरी तक प्रत्येक जिला स्तर पर एक ही सामान्य पात्रता परीक्षा आयोजित करने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक संस्थागत तंत्र के लाभों को लोक सेवकों के साथ साझा किया,ताकि वे भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार कर सकें। इस अवसर पर कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग के सचिव दीपक खांडेकर, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान-आईआईपीए के महानिदेशक एस एन त्रिपाठी और आईआईपीए के रजिस्ट्रार अमिताभ रंजन सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।