· मांग की – केंद्र व राज्य सरकार को हरियाणा में मानवाधिकार उल्लंघन रोकने की एडवाइजरी जारी करे मानवाधिकार आयोग और पीड़ितों को मुआवजा देने के आदेश दिये जाएं
· किसान से टकराव न किसान हित में है, न देशहित में है, न किसी दल के हित में है और न ही प्रदेश के हित में है – दीपेन्द्र हुड्डा
· मानवाधिकारों के खुले उल्लंघन वाली सोच के साथ हरियाणा सरकार चल रही– दीपेन्द्र हुड्डा
न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से अनुरोध किया कि वो अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए करनाल में किसानों के साथ हुई बर्बरता का संज्ञान ले केंद्र व राज्य सरकार को मानवाधिकार उल्लंघन रोकने की एडवाइजरी जारी करे और पीड़ितों को मुआवजा देने के आदेश भी दिये जाएं। उन्होंने करनाल में किसानों के साथ हुई बर्बरता का जिक्र करते हुए बताया कि इस घटना में रायपुर जटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गयी और एक युवा मंजीत को काफी चोट आई साथ ही उन्हें एक आंख से दिखना बंद हो गया। इसके अलावा इस घटना में काफी लोग घायल हुए हैं उन्हें मुआवजा देने के निर्देश दिये जाएं। ताकि इससे सरकार को संदेश जाए। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि किसान से टकराव न किसान हित में है, न देशहित में है, न किसी दल के हित में है और न ही प्रदेश के हित में है। बातचीत से समाधान ही रास्ता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष अपनी बात रखते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में बड़े स्तर पर मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन हो रहा है, ऐसा उदाहरण देश में और कहीं नहीं है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि खट्टर सरकार खुद को किसान विरोधी सरकार के रूप में साबित कर चुकी है। मानवाधिकारों के खुले उल्लंघन वाली सोच के साथ हरियाणा सरकार चल रही है, ‘किसानों के सर फोड़ने’ का आदेश देने वाले अधिकारी का बचाव खुद मुख्यमंत्री कर रहे हैं।
इससे ज्यादा दुर्भाग्य नहीं हो सकता कि जिस दिन ब्रितानी सरकार द्वारा हिन्दुस्तानियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का प्रतीक जलियाँवाला बाग़ के रेनोवेशन का उदघाटन हो रहा था, उसी दिन करनाल में सरकार के अधिकारी बर्बरता और बेशर्मी से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे थे। इस घटना से देशवासियों में चौतरफा रोष है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लगातार किसानों की आवाज़ कुचलने के प्रयास हो रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि हरियाणा सरकार किसान विरोध में देश में नंबर 1 का मेडल जीतने की प्रतिस्पर्धा में लगी हुई है। हरियाणा में किसानों के खिलाफ व्यापक स्तर पर देशद्रोह के मुकदमे का इस्तेमाल किया जा रहा है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि अगर देश में संविधान के कोई मायने हैं तो मानवाधिकार आयोग को करनाल में किसानों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज मामले का तुरंत संज्ञान लेकर हरियाणा सरकार के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और मौके पर NHRC टीम भेजकर पूरी घटना की न्यायिक जांच करानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के साथ बर्बरता करने वाले अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए और जांच पूरी होने तक अधिकारियों को निलंबित रखा जाए, साथ ही जांच में बाकी कोई अधिकारी भी इसमें शामिल पाए जाएँ तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि करनाल में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से 15 किलोमीटर दूर शांतिपूर्ण ढंग से बैठे किसानों को जानबूझ कर उकसाने के लिये बर्बरता से लाठीचार्ज हुआ। हरियाणा के अन्दर लगातार लाठीचार्ज, आंसू गैस, वाटर कैनन और किसानों पर देशद्रोह के झूठे मुक़दमे के माध्यम से किसान की आवाज़ कुचलने के प्रयास हरियाणा सरकार कर रही है। अब यह लड़ाई सत्ता का अभिमान और किसान का स्वाभिमान, न्याय-अन्याय और 3 कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ सत्ता के अहंकार को तोड़ने की भी लड़ाई है। हम ये लड़ाई लड़ेंगे, हम किसानों के साथ हैं।
दीपेंद्र हुड्डा ने आज हरियाणा कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ज्ञापन सौंपा। इस उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल में उनके अतिरिक्त कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा, विधायक व पूर्व मंत्री किरण चौधरी, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव, AICC सचिव वीरेंद्र राठौर, आशीष दुआ समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।