न्यूज डेक्स संवाददाता
रोहतक। नैतिक मूल्यों से दूरी, दिखावे और ठसक का भाव किसी भी परिवार के लिए कितना घातक हो सकता है,इसके अनगिनत उदाहरण है,मगर ताजा रोहतक में बबलू पहलवान परिवार का है। इस घटना से केवल रोहतक या हरियाणा नहीं,बल्कि जिसने में भी इस घटना और इसके पीछे के हालात को जाना समझा वह सिहर उठा। कुछ संगठन अब इस घटना को लेकर विचार गोष्ठियां और समाज में इस तरह के कृत्य सामने ना हो,इस पर भी विचार विमर्श हो रहा है। खबरों की दुनिया में इस तरह के घटनाक्रम घूमते आइने की तरह दिखते हैं। शादी विवाह और अन्य कार्यक्रमों में ठसक का इसी तरह का भाव ही हर्ष फायर कराता है और यदा कदा उसके दुष्परिणाम समाज के बेकसूर लोग भुगतते हैं। हर्ष के बीच शोक इसी भाव से पैदा होता है।
रोहतक के इस बहुचर्चित हत्याकांड की गुत्थी पुलिस सुलझा चुकी है। जब खुलासा हुआ इस हंसते खेलते घर को चिता की लपटों में झुलसाने वाला कोई और नहीं,बल्कि चाकलेटी शक्ल वाला घर का लड़ला अभिषेक मलिक निकला। और हत्या के पीछे का कारण जेंडर चेंज और समलैंगिक संबंध जैसी बातें सामने आई,जिसमें अभिषेक के पिता बबलू पहलवान रोड़ा बने हुए थे।अमूमन इस तरह के घटनाक्रमों में आरोपी को बातों और मीडिया की सुर्खियों में कलयुग से जोड़ कर इस तरह से अलहदा खड़ा किया जाता है,जैसे किसी कलयुग के इंसान ने सतयुग की मानव जाति पर प्रहार किया हो। सच्चाई हम सब जानते होते हैं कि सभी कलयुग में जी रहे हैं और कृत्य करने वाला और घृणित कृत्य के शिकार सब इसी युग के जीव जंतु हैं। सच्चाई यह भी भुला दी जाती है कि यदा कदा इस तरह के घटनाक्रमों के लिए शब्दों की तरह अपभ्रंश हुई संस्कृति जिम्मेदार है। विशेष कर पारिवारिक वातावरण में किन किन बातों का ध्यान रखा जाए,इसे भुला दिया जाता है।
ठीक बबलू पहलवान द्वारा बेटी के जन्मदिन पर तैयार कराए गए उस केक की भांति,जिस पर फूल पत्तियां यहां कुछ अच्छी आकृतियों की जगह पिस्टल डिजाइन कराया गया था। अगर खुशी के पल और शगुन के व्यजनों में भी मौत का सामान परोसा जा रहा है और परिवार के बड़े इसे ना केवल मूक सहमति दे रहे हैं,बल्कि उसे देख कर इंज्वाय मोड पर हैं तो इसका अंदाजा खुद लगा सकते हैं। यदि भोजन में मीठा डालेंगे तो मीठे खाने का ही अहसास होगा,यदि उसमें विष घुला है तो घातक असर भी सामने ही होगा। संयुक्त परिवार का टूटना,आधुनिकता की दौड़ में अपनी विशुद्ध परंपराओं को छोड़ना और आदर्श विचारों का मजाक बनाना तमाम तरह की बुराइयों की मजबूत नींव तैयार करता है।
अब बबलू पहलवान, उनकी पत्नी, बेटी व सास की हत्या के मामले से सब हैरान है। अपने ही परिवार का वजूद को मिटाने वाला आरोपी बेटा अभिषेक उर्फ मोनू समलैंगिक था। रिमांड के दौरान पुलिस पूछताछ में इस तरह के कई खुलासे मोनू कर चुका है। वह सेक्स रिअसाइन्मेंट सर्जरी के जरिए अपना जेंडर चेंज कराना चाहता था यह भी वह पुलिस को बता चुका है। सर्जरी के लिए पिछले एक साल से इंटरनेट पर इस तरह के क्लीनिक्स के बारे में जानकारी जुटा रहा था यह भी जानकारी पुलिस को मिली। जेंडर चेंज कराकर वह उत्तराखंड के दोस्त के साथ विदेश जाना चाहता था यह तथ्य भी सामने आया। परिवार को इन सब बातों के पता चलने पर। तनावपूर्ण स्थित और पिता द्वारा मोनू की पिटाई की गई थी यह भी बात सामने आई है।
साथ ही यह भी बात सामने आई है कि हत्याकांड में प्रॉपर्टी विवाद का कोई एंगल नहीं मिला है। हत्याकांड में प्रॉपर्टी विवाद का कोई एंगल नहीं मिला है। इस हत्याकांड के पीछे सबसे बड़ा कारण मोनू का समलैंगिक होना बताया जा है। मोनू उत्तराखंड के नैनीताल के एक युवक के साथ पिछले 4 साल से दोस्ताना संबंधों में था। दोनों की दोस्ती 4 साल पहले दिल्ली में केबिन क्रू कोर्स के दौरान हुई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जेंडर चेंज कराने के बाद मोनू अपने दोस्त के साथ विदेश भागना चाहता था।उसने अपने हत्या से पहले अपने पिता से पांच लाख मांगे थे वह भी अपने एक दोस्त को देने के लिए,जबकि वह इन पैसों से जेंडर चेंज कराना चाहता था। पांच लाख मिलतना तो दूर,उसे पिता की डांट फटकार मिल रही थी। इसी गुस्से में उसने पूरे परिवार की जान ले ली।प्रबुद्ध वर्ग अब इस घटना पर जो विचार प्रकट कर रहा है,उसमें परिवार के बड़ों द्वारा समय समय पर होने वाले संवाद की दूरी को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।