Friday, November 22, 2024
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कला कीर्ति भवन में सांग लीलो चमन का हुआ सफल मंचन

by Newz Dex
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साची बात बता दे लीलो के खुशी मनारी सै, के बुझेगा चमन आज मेरे ब्याह की तैयारी सै…

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद के कला कीर्ति भवन में प्रत्येक सप्ताह आयोजित होने वाली सांस्कृतिक संध्या में सितम्बर माह का पहला कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें रोहतक के निदाना निवासी प्रदीप राय द्वारा साग लीलो चमन प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष राजकुमार सैनी मुख्यअतिथि के रुप में पहुंचे। वहीं भाजपा के पदाधिकारी सुशील राणा व विक्रम आदि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रमुख धर्मपाल गुगलानी तथा वरिष्ठ रंगकर्मी व हास्य कलाकार शिवकुमार किरमच ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेंटकर स्वागत किया। मंच का संचालन मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने किया।

हरियाणवी साग लीलो चमन की कहानी में आजादी से पहले की घटना पर आधारित किस्सा सुनाया गया। पाकिस्तान के लाहौर शहर में जानकी प्रसाद अपनी पत्‍‌नी और बच्चों के साथ रहता है। जानकी प्रसाद के तीन बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़ा देव शराब पीता है, उससे छोटा कृष्ण निकम्मा है और सबसे छोटा चमन पढ़ाई में होशियार है और साथ ही वह अपने स्कूल में पढ़ने वाली लीलो से प्यार भी करता है। परीक्षा के समय चमन अपने पिता से स्कूल की फीस के लिए पैसे मागता है, लेकिन उसके पिता के पास पैसे नहीं होते। घर में पड़े मा के कंगन भी देव शराब पीने के लिए चुरा लेता है। जिसके कारण चमन का पिता जानकी प्रसाद चोरी करने निकल पड़ता है। एक सेठ के घर से कुछ रुपये चुराकर जानकी प्रसाद घर आ जाता है, लेकिन तभी पुलिस भी पीछे पीछे आ जाती है और जानकी प्रसाद को गिरफ्तार करने लगती है।

चमन चोरी का इल्जाम अपने सिर ले लेता है और चमन को छह महीने की सजा हो जाती है। जिसके कारण उसके पिता का देहात हो जाता है। छह महीने की सजा काटने के बाद चमन घर आता है तो देखता है घर के हालात बिगड़े हुए हैं। जिसके कारण वह नौकरी करने मुंबई चला जाता है। कुछ साल बाद जब वह वापिस लाहौर आता है तो उसे पता चलता है कि देव शराब के नशे मे धुत रहता है, कृष्ण मसखरी के अलावा कुछ काम नहीं करता, जिसके कारण उसकी मा को सेठ राय बहादुर के घर काम करना पड़ रहा है। वह अपने भाईयों को साथ लेकर राय बहादुर के घर जाता है और अपनी मा को वापिस घर ले आता है। अपनी मा से चमन को पता चलता है कि लीलो को भी राय बहादुर ने अपने घर में रखा हुआ है और उसका नाम लीलो से बदलकर लैला रख दिया है। जब लीलो के विवाह की तैयारी हो रही थी तो उस प्रसंग को भी प्रदीप राय सांगी ने रागिनी के रूप प्रस्तुत किया। साची बात बता दे लीलो, के खुशी मनारी सै, के बुझेगा चमन आज मेरे, ब्याह की तैयारी सै।

तब चमन दोबारा देव और कृष्ण को लेकर सब्जी बेचने वाला बनकर लीलो को छुड़ाने जाता है। जहा राय बहादुर से उसका झगड़ा होता है। चमन लीलो को बचाने में तो कामयाब हो जाता है, लेकिन इस लड़ाई में उसका भाई कृष्ण मारा जाता है। इसके बाद चमन लीलो से शादी कर देव और अपनी मां को लेकर हिदुस्तान आ जाता है। साग में मुख्य भुमिकाएं प्रदीप राय, रफीक, मेनपाल, संदीप, पवन कुमार, राकेश, जोगिंद्र, हरीश, संदीप, कृष्ण लाल तथा मंजीत ने निभाई। कार्यक्रम के दौरान मुख्यअतिथि राजकुमार सैनी ने सभी को सम्बोंधित करते हुए कहा कि लोक कलाकार अपने प्रदेश की संस्कृति को जिंदा रखे हुए हैं। आज के आधुनिक युग में जब युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हो रही है, ऐसे में लोक कलाकार अपनी कला और संस्कृति के माध्यम से पुरानी परम्पराओं को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इस अवसर पर एडवोकेट राजाराम, आर.एस. गोलन, अनुज कुमार, धर्मबीर सिंह, महेंद्र कुमार, हीरालाल, सतपाल आदि भी उपस्थित रहे।

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