न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। इसे आयुर्वेद का चमत्कार ही कहेंगे, चलने-फिरने में असमर्थ आरव आज दौड़ रहा है। बाबैन के गांव इसरेहड़ी का 3 साल का आरव जो वात-वहसंस्थान (सैरिबरल अटैक्सिया) रोग से पीड़ित था। वह चलते-चलते गिर जाता था मगर छह माह के आयुर्वेदिक उपचार के दौरान ही दौड़ने लगा। आरव 15 महीने में बच्चों को लगने वाले टीके के बाद से सैरिबरल अटैक्सिया रोग से ग्रसित हो गया था। इस रोग के कारण वह चलते-चलते सुध-बुध खोकर गिर जाता था। परिवार द्वारा चंडीगढ़ से सीटी स्कैन और शहर के तमाम डॉक्टरों से इलाज कराया। पंद्रह महीने चले इलाज के बाद भी आरव की सेहत में कोई सुधार नहीं दिखा। मगर श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल एवं कॉलेज के बाल रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कटारिया द्वारा दी गई आयुर्वेदिक औषधियों से वह चल-फिर रहा है।
सहायक प्रो. अमित कटारिया ने बताया कि छह महीने पहले आरव के माता-पिता उसे अस्पताल लेकर आए थे। तब वह चलने-फिरने में असमर्थ व ठीक से बैठ भी नहीं पाता था। यानी स्थिति बहुत खराब थी। उसके माता-पिता तमाम प्रकार के इलाज के बाद हार चुके थे। उनका भी हौसला बढ़ाया। आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा उसका इलाज चल ही रहा है और रिजल्ट आने भी शुरू हो गए है। आरव अब आम बच्चों की तरह भाग-दौड़ सकता है। प्रो. डॉ. शंभू दयाल शर्मा ने बताया कि सैरिबरल अटैक्सिया जिसे आयुर्वेद में वात वह- संस्थान रोग के नाम से जानते हैं। यह रोग आमतौर पर हैड ट्रोमा (सर की चोट), स्ट्रोक (दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, ब्रेन इन्फेक्शन के कारण होता है। इस बीमारी के कारण रोगी चलने में असमर्थ हो जाता है। मगर आयुर्वेद में इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। बाल रोग विभाग के डॉ. अमित कटारिया बच्चों से जुड़ी बीमारियों के ऊपर सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
कर्मजीत आरव की माता ने बताया कि आरव को 15 महीने में बच्चों को लगने वाले तीन टीके लगे थे। टीका लगने के उपरांत ही उसे यह रोग हुआ। आरव उठते- बैठते अपनी सुध-बुध खोकर गिर जाता था। शहर के कई डॉक्टरों से इलाज चला। चंडीगढ़ से सीटी स्कैन कराया। मगर कोई फायदा नहीं हुआ। किसी से मिली जानकारी के आधार पर आयुर्वेदिक अस्पताल में छह महीने से आरव का इलाज चल रहा है। अब वह पहले से ठीक है और चल भी रहा है।
श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज संभव है। आयुर्वेद में रोग के लक्षण पहचान कर उसको जड़ से खत्म किया जाता है। हमारे संस्थान का प्रयास है जिले के नागरिकों को बेहतर इलाज व सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इसमें महती भूमिका अस्पताल के डॉक्टर निभा रहे हैं।