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शिक्षिका अनिता जय सिंह ने किया मंझरिया प्राथमिक विद्यालय का कायाकल्प न्यूज डेक्स यूपी संत कबीर नगर,5 सितंबर। आज शिक्षक दिवस है। कहना न होगा कि कोई भी सभ्यता अपने शिक्षकों के कंधे पर खड़ी हो कर ही बुलंदियों तक पहुंचती है। शिक्षक यदि अपने कर्तव्य पथ पर देश, काल को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़े तो वह कुछ भी कर सकता है। यूं ही चाणक्य ने नहीं कहा था कि सृजन और विनाश दोनों उसकी गोद मे पलते हैं। उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के मंझरिया गांव में प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका हैं अनीता जय सिंह। विद्यालय गांव के तनिक बाहर है, सो बच्चों की उपस्थिति अत्यल्प रहती थी। गांव में अधिकांश तथाकथित पिछड़ी जातियों के लोग रहते हैं, सो शिक्षा के प्रति उदासीनता भी थी। 2014 में अनीता जय सिंह की जब नियुक्ति हुई तो विद्यालय की दशा देख कर उन्हें बहुत बुरा लगा। फिर एक दो वर्षों बाद उन्होंने स्वयं दशा बदलने की ठानी। थोड़ा सा परिवार से सहयोग लिया और अपने पास से 55 हजार रुपये खर्च कर के “इनोवेटिव सोच” द्वारा विद्यालय का स्वरूप रेलबे डब्बे जैसा कर दिया। बच्चों की उत्सुकता बढ़ी, तो थोड़ी संख्या बढ़ी। संख्या बढ़ी तो शिक्षकों ने परिश्रम किया और उनको इतना प्रेरित किया कि वे रोज विद्यालय आने लगे। स्कूल चल निकला। दस-पंद्रह बच्चों वाले स्कूल में सवा सौ बच्चे हो गए। इतना ही नहीं, अब हर साल नवोदय के लिए भी एक दो बच्चे निकल रहे हैं। यह बदलाव है… वे इतने पर ही नहीं रुकीं। समाज में प्रवेश किया और घरेलू हिंसा मुक्ति, नशा मुक्ति, सामाजिक सशक्तीकरण आदि के लिए भी प्रयास किया। विद्यालय के बाद रोज घंटे दो घंटे पोषक क्षेत्र में रह कर समाज को दिशा देती हैं। यह एक आम शिक्षक का सामान्य सा प्रयास भर है। सब करें तो देश बदल जायेगा। परिस्थितयां विपरीत हो सकती हैं, संसाधन कम हो सकते हैं, पर यदि मनुष्य प्रयास करे तो विपरीत परिस्थितियों में कम संसाधनों के साथ काम कर के भी समाज को दिशा दी जा सकती है। और यह कार्य सबसे बेहतर शिक्षक ही कर सकते हैं। |