माता-पिता व गुरु के आशीर्वाद से माथे की लकीरें बदल जाती हैं : ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी
ब्रह्मचारी ने श्री गणेश महोत्सव पर दी सद्कार्यों एवं निस्वार्थ सेवा की प्रेरणा
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में मानव समाज के कल्याण एवं विश्व में धर्म की रक्षा की कामना के साथ सेवा की प्रेरणा देते हुए श्री गणेश उत्सव के उपलक्ष्य में नियमित भगवान श्री गणेश का पूजन एवं आरती की जा रही है। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी भी पूजन एवं आरती में शामिल हो रहे हैं। रविवार को भी गणेश उत्सव के अवसर पर विद्यापीठ के ट्रस्टियों एवं अन्य श्रद्धालुओं ने गणपति श्री गणेश के दरबार में हाजिरी लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। ब्रह्मचारी ने बताया कि भगवान श्री गणेश ने माता पिता शिव पार्वती की परिक्रमा कर ही पूरे विश्व की परिक्रमा का एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।
उन्होंने कहाकि माता-पिता की सेवा एवं सम्मान से बढ़ कर संसार की कोई पूजा नहीं है। माता-पिता व गुरु के आशीर्वाद से तो मनुष्य के माथे की लकीरें बदल जाती हैं। ब्रह्मचारी ने कहा कि संसार का हर प्राणी अपने जीवन को सुखी बनाना चाहता है। सुख पाने का एक ही रास्ता है कि आप सद्कार्य में प्रवृत हो जाएं एवं सदैव अच्छे कार्य करें। उन्होंने कहा कि जो लोग अपने धर्म का सम्मान नहीं करते, वे जीवन में हार जाते हैं। दुख की घड़ी में जो इंसान दूसरों की मदद करता है, वह अपना धर्म निभाता है।
विद्यापीठ के सेवक रोहित कौशिक ने ‘करूं वंदन तेरा शिव गौरी नंदन’, ‘गौरी लाल तेरा दीदार हो जाए’ तथा ‘गणपति तुम्हारे भक्तजनों में हमसे बढ़कर कौन’ इत्यादि भजनों का गुणगान किया। इस अवसर पर राजेंद्र सिंघल, के के कौशिक, कुलवंत सैनी, श्रवण गुप्ता, खरैती लाल सिंगला, एस एन गुप्ता, राजेश सिंगला, भरपाई देवी, रामकरण, आशुतोष गर्ग, राज दुलारी, सुषमा गर्ग, अनंत राम, राम निवास, अमन, अशोक कुमार, अशोक गर्ग, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री, रामजुहारी, रामपाल, पुरुषोत्तम इत्यादि भी मौजूद थे।