न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 6 सितंबर। शिरोमणि अकाली दल हरियाणा की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष बीबी रविंदर कौर अजराना ने आज जम्मू-कश्मीर की अधिकारिक भाषाओं से पंजाबी भाषा के बहिष्कार पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि पंजाबी न केवल जम्मू-कश्मीर राज्य के एक बड़े हिस्से की मातृभाषा थी, बल्कि इसे जम्मू और कश्मीर के संविधान में भी मान्यता प्राप्त थी। इसके बावजूद, पंजाबी भाषा के खिलाफ भेदभाव की खबरें समझ से परे हैं।
बीबी रविंदर कौर धर्मनगरी के गुरुद्वारा बैकुंठधाम में पार्टी की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल से अपील की कि वे राज्य की अधिकारिक भाषा के रूप में पंजाबी की स्थिति को बहाल करें। बीबी अजराना ने कहा कि अकाली दल ने हमेशा पंजाबियों की मातृभाषा के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी है और भविष्य में भी ऐसा करने से नहीं कतराएंगे।
बीबी रविंदर कौर ने कहा कि पंजाबी भाषा का सिख समुदाय के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में अधिकारिक भाषाओं से पंजाबी का बहिष्कार अल्पसंख्यक विरोधी कदम के रूप में देखा जा रहा है और इसे निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा सिख विरोधी कदम के रूप में देखा जाएगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के फैसले उन प्रचारकों के लिए खतरनाक गोला-बारूद साबित हो सकते हैं, जो हमेशा देश के संवेदनशील सीमावर्ती राज्यों, खासकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने के अवसरों की तलाश में रहते हैं। बीबी रविंदर कौर ने इस कदम को भारत के संविधान में निहित हर शब्द का उल्लंघन करार दिया, जो विविधता में एकता की भावना को व्यक्त करता है।
उन्होंने कहा कि इस कदम से देश में सहकारी संस्कृति और राजनीतिक संघवाद के विचार को चोट पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के समर्थकों की दूरदर्शी सोच ने एक बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहु-भाषी देश का सपना देखा था। इस आदर्श को बनाए रखने और बढ़ावा देने में क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
राज्य अध्यक्ष ने कहा कि पंजाबी भाषा संविधान में मान्यता प्राप्त अधिकारिक भाषाओं में से एक थी और यह दुनिया भर में पंजाबियों की मातृभाषा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों जैसे हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर को एक विशेष दर्जा प्राप्त है और इसलिए किसी भी तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा