संदीप गौतम/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा हिन्दी दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय छात्र निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन देशभर में एक साथ 14 सितम्बर को किया जाएगा, जिसमें लाखों की संख्या में छात्र भाग लेंगे। यह जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि संस्कृति बोध परियोजना के विभिन्न आयामों में छात्र निबन्ध प्रतियोगिता महत्वपूर्ण आयाम है, जिसमें 12 भारतीय भाषाओं में कक्षा 4 से 12 तक के लगभग 10 लाख छात्र भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता चार वर्गों शिशु वर्ग, बाल वर्ग, किशोर वर्ग और तरुण वर्ग के लिए आयोजित होती है, जिसमें शिशु वर्ग (कक्षा 4-5) के लिए ‘प्रातः काल उठि के रघुनाथा’ विषय, बाल वर्ग (कक्षा 6-8) के लिए ‘मित्रक दुःख रज मेरु समाना’ विषय, किशोर वर्ग (कक्षा 9-10) के लिए ‘नारिधर्म कछु ब्याज बखानी’ एवं तरुण वर्ग (कक्षा 11-12) के लिए ‘भय बिनु होइ न प्रीति’ विषयों पर निबंध प्रतियोगिता में भाग लेंगे।
डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि देशभर में विद्यालय स्तर पर आयोजित होने वाले श्रेष्ठ पांच निबन्धों को प्रांतीय समिति में भेजा जाएगा। तत्पश्चात् प्रांतीय समिति द्वारा उनमें से वर्गानुसार प्रथम निबन्ध केन्द्रीय कार्यालय विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान को भेजा जाएगा और संस्थान द्वारा समिति अनुसार परिणाम घोषित किया जाएगा। प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरस्कार स्वरूप सद्साहित्य प्रदान किया जाएगा।
विचारों को उचित तरीके से स्पष्ट कर पाने की कला को सीखना ही निबन्ध-लेखन का मूल मंतव्य
डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कहा कि विचारों को उचित तरीके से स्पष्ट कर पाने की कला को सीखना ही निबन्ध-लेखन का मूल मंतव्य है। निबन्ध लेखन अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।’’ निबन्ध लेखक को अपनी बात किसी अन्य मत से प्रभावित हुए बिना स्वच्छन्द कहनी चाहिए।
भारतीय संस्कृति के विषयों पर लाखों विद्यार्थी एक साथ लिखेंगे निबंध
डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रत्येक वर्ष भारतीय संस्कृति के अलग-अलग विषयों पर छात्रों के लिए निबंध लेखन का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी भारतीय संस्कृति को दर्शाते विषय ‘प्रातः काल उठि के रघुनाथा’, ‘मित्रक दुःख रज मेरु समाना’, ‘नारिधर्म कछु ब्याज बखानी’, ‘भय बिनु होइ न प्रीति’ लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति का भारतीय भाषाओं से अटूट सम्बन्ध है। दोनों एक-दूसरे के पोषक हैं।