डीईओ अरुण आश्री ने वामन पुराण कथा के समापन कार्यक्रम में की शिरकत
कथावाचक आचार्य शुकदेव ने वामन पुराण कथा का पाठ
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। स्थानीय सन्निहित तीर्थ पर श्री ब्राहमण एवं तीर्थोद्घार सभा की तरफ से चल रही वामन पुराण कथा का विधिवत समापन हुआ। इस अवसर पर मुख्यातिथि के रुप में जिला शिक्षा अधिकारी अरुण आश्री ने शिरकत की है। डीईओ अरुण आश्री ने कहा कि वामन द्वादशी का मेला कुरुक्षेत्र में आयोजित होना अपने आप में एक ऐतिहासिक पल है। भारतीय परम्पराओं में वामन भगवान का अवतार भगवान विष्णु का मानव के रुप में प्रथम अवतरण है। सभा ने 25 वर्ष के बाद वामन द्वादशी मेले का पुन: जागृत करके बड़ा सराहनीय कार्य किया है, उन्हेंं उम्मीद है कि यह मेलो एक दिन विशाल रुप धारण करेगा।
इस मौके पर कथावाचक आचार्य शुकदेव ने व्यास पीठ से बोलते हुए कहा कि जब दान देने वाला अंहकारी हो जाता है, तो भगवान विष्णु उसे स्वीकार नहीं करते। राजा बलि को भी अपने दानी होने का अंहकार हो गया था, उसके अहंकार को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन भगवान के रुप में अवतार लेकर लीला रची। भगवान विष्णु ने राजा बलि के दादा प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया था कि तुम्हारे पिता हरिणयकश्यप को मैंने मारा है, लेकिन भविष्य में तुम्हारे वंशज कितने भी उदंडी क्यों ना हो जाए, मैं उनका वध नहीं करुंगा, इसलिए भगवान विष्णु ने राजा बलि को मारा नहीं बल्कि लीला रचकर उसका अंहकार समाप्त किया। वामन पुराण कथा के समापन पर आयोजित आरती में केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, मुख्य सलाहकार जय नारायण शर्मा, सरंक्षक केके कौशिक, डा. सत्यदेव, प्रधान पंडित पवन शास्त्री, प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा, श्याम तिवारी, नितिन भारद्वाज लाली सहित अनेक श्रद्घालुओं ने भाग लिया।