Monday, November 25, 2024
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राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में ख्यातिप्राप्त कवियों ने बिखेरी काव्य खुशबू, वीरों को किया नमन

by Newz Dex
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बर्बादी से जंग लड़ी है तब आजाद हुए हैं हम, रोम रोम में इंकलाब भर जिंदाबाद हुए हैं हम….

कभी दुश्मन यहां आने की तैयारी नहीं करते, अगर देश के गद्दार गद्दारी नहीं करते…

वंदे मातरम कहना अगर लोगों को स्वीकार नहीं, उनसे कहदो उन्हें जीने का अधिकार नहीं

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। सैनिकों के शौर्य पर न कोई प्रश्नचिन्ह यदि, ठाने शत्रु को ये जड़ से उखाड दे़ते हैं कोई दो दो हाथ करना भी यदि चाहता तो, एक बार में ही भूमि पे पछाड़ देते हैं, कोई मां या मातृभूमि पे कुदृष्टि डालता तो, ऐसे आईनो के चेहरे बिगाड़ देते हैं, वंशज भरत के हैं सामने हो सिंह के भी खेल खेल में ही जबड़े उखाड देते हैं जैसी देशभक्ति से ओत प्रोत व बेहतरीन रचनाओं के द्वारा हरियाणा कला परिषद् के कलाकीर्ति भवन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कवि मनवीर मधुर ने वीरों को नमन किया। आजादी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में पूर्व नप अध्यक्षा उमा सुधा, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर तथा जजपा के युवा जिलाअध्यक्ष जसविंद्र खैरा की गरिमामयी उपस्थिति में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर मारकण्डा नैशनल कॉलेज के प्राचार्य अशोक चोधरी, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष रजनीश गुप्ता, प्रसिद्ध कलाकार वी.पी.वर्मा ने भी कवि सम्मेलन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई । मंच संचालन विकास शर्मा व सम्मेलन का संचालन गायत्री कौशल के द्वारा किया गया। हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने सभी अतिथियों तथा आमंत्रित कवियों को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया। 

कवि सम्मेलन में सुप्रसिद्ध कवि मनवीर मधुर ने वीर रस से भरा काव्य पाठ कर देशभक्ति का परिचय दिया। बर्बादी से जंग लड़ी है तब आजाद हुए हैं हम, रोम रोम में इंकलाब भर जिंदाबाद हुए हैं हम, तोड़ी सभी गुलामी की जंजीरे पर इस कारण से, मिटे कईं आजाद यहां पर तब आजाद हुए हैं हम, भले बिखरे स्वयं का घर, ये कीमत कौन देता है, अगर बेखौफ जीते हो तो हिम्मत कौन देता है, सिपाही और सैनिक ही रहे बांधे कफन सर पर, बताओ छोड़ कर इनको शहादत कौन देता है और बलिदानी, त्यागी और तपस्वी जन्म लेते रहे, ऐसी रही भारत महान की परम्परा, भूखे रहे रोटी या कि खास की चुनी हो किंतु झुकी नहीं राष्ट्र स्वाभिमान की परम्परा, शत्रुओं को भूलकर देते नहीं क्षमादान, ये थी राष्ट्रद्रोह के निदान की परम्परा, दो तो युद्ध में शहीद, दो चुने गए दिवार, टूटने नहीं बलिदान की परम्परा जैसे देशभक्ति से ओतप्रोत काव्य पाठ के द्वारा मधुर ने आजादी के लिए दिए गए बलिदानों के वास्तविक अर्थ को समझाया। 

वहीं कवि डा. राजीव बटिया ने भी भारत माँ के टुकड़े करके तुमको चैन नहीं आया,दोनों हाथ कटा कर माँ के तुमको चैन नहीं आया, लूट पाट हत्याएँ करा के तुमको चैन नहीं आया, ,बसे बसाए घर उजाड़ कर तुमको चैन नहीं आया, सारा हिन्दुस्तान जला कर तुमको चैन नहीं आया, तो सुनो तुम्हारी मनमानी को और नहीं चलने देंगे, कसम राम की भारत को अब और नहीं बँटने देंगे, वंदे मातरम कहना अगर लोगों को स्वीकार नहीं, उनसे कहदो उन्हें जीने का अधिकार नहीं जैसी ओजपूर्ण कविताओं के माध्यम से मां भारती के चरणों में वंदना की। 

मथुरा से आए राधाकांत पाण्डे ने झुकने नहीं दिया तिरंगा किसी हाल में भी, यह बात नई पीढ़ियों को भी बताएं हम, जाति, पंथ, मजहब बाद में प्रथम देश वक्त आ गया है इस भाव को जगाए हम, आज तक सीमा पर डटे हुए हमारे लिए उनके लिये भी अभियान ये चलाएं हम, देश के निमित्त प्राण दांव पे लगा रहे जो, एक दिया उनके भी नाम का जगाएं हम। किसी ने उम्र काटी रात दिन सुखे निवालों में, तरसता है अंधेरो से कोई आने उजालों में, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी छोड़कर साहब जरा सोचो हम उलझे हैं किन सवालों में और राष्ट्र हेतु जानना हो निज कर्म का महत्व,पूछियेगा जाके कभी किसी देशभक्त से,लोक के निमित्त कैसे हड्डियां भी देते दान, भाव ये समझियेगा जाकर विरक्त से, शान्ति का प्रयास करना तो ठीक है परंतु, कैसे बात कीजियेगा किसी उन्मक्त से, नेताजी ने हमको बताया यूं नहीं मिली है, आज़ादी की कीमत चुकाई गई रक्त से। जैसी पंक्तियों के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त किया। एक से बढ़कर एक वीर रस की कविताओ के माध्यम से कवियों ने न केवल देशभक्ति की भावना का महत्व समझाया बल्कि युवाओं में देशप्रेम को भी जगाया। 

इनके साथ ही कवयित्री मोनिका देहलवी ने भी अपने भावों को सांझा किया। शिखर सी है धवलता और मन चट्टान जैसा है, मेरे देश का सैनिक मेरे भगवान जैसा है, मैं अब हरगिज नहीं करती किसी का चरण वंदन, खड़ा सरहद पे हर सैनिक मेरे भगवान जैसा है जैसी पंक्तियों में जहां मोनिका ने वीर रस की झलक दिखाई वहीं, वेद पुराण कथा ना जाना ना रामायण ज्ञान किया है, ना श्लोक पढ़े भगवद् के ना गीता गुणगान किया है, प्रेम किया है प्रेम पढ़ा है, प्रेम सा ही ज्ञान हुआ है, प्रेम पढ़ा तो जान गई मैं मीरा ने क्यूं विषपान किया है के द्वारा श्रृंगार रस भी श्रोताओं की नजर किया। वही कार्यक्रम का संचालन कर रही स्थानीय कवयित्री गायत्री कौशल ने मेरी सांसों के संग मेरे हमेशा साथ चलता है, मेरे दिल में मेरी रुह में तुम्हारा प्यार पलता है, ये दुनिया खुबसूरत है तेरे दम से मेरे हमदम, ना जिस दम में तुम हो मेरा दम निकलता जैसी पक्ंितयो से अपना काव्य पाठ किया। इनके अलावा करनाल से राजेश कुमार व कुरुक्षेत्र के वीरेंद्र राठौर ने भी कविताएं सुनाकर माहौल को खुशनूमां बनाया। रवि पांचाल ने देशभक्ति से भरे गीत सुनाकर कार्यक्रम में चार चांद लगाने का प्रयास किया। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि बलवान सिंह, नरेश सागवाल, धर्मपाल गुगलानी, सीमा काम्बोज, मनीश डोगरा, उपेंद्र सहित श्रोता उपस्थित रहे। 

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