मानव का पहला शत्रु अज्ञानता है : राघव कृष्ण
ब्रह्मचारी कर रहे हैं निरंतर गायत्री अनुष्ठान पाठ
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से पितृ पक्ष के चलते श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में आयोजित भागवत पुराण की कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से विख्यात कथावाचक राघव कृष्ण महाराज ने संगीतमयी शैली में कहाकि जीवन सत्य का मार्ग ही सबसे सशक्त मार्ग है। उन्होंने कथा में मानव जीवन के विभिन्न घटनाक्रमों पर चर्चा करते हुए कहाकि कैसी भी परिस्थिति हो सत्य के मार्ग को छोड़ना नहीं चाहिए। कथा के प्रारम्भ में यजमान परिवार के पवन प्रकाश गुप्ता, अशोक सिंघल, शशि सिंघल, सुनील सिंघल, मुकेश गुप्ता, सुलक्षणा गुप्ता, अनिल गुप्ता, अनीता गुप्ता, पुनीत गुप्ता, रेखा, प्रवीण गुप्ता, किरण, राजेश गुप्ता व मीनू गुप्ता इत्यादि ने व्यासपीठ पर भागवत पुराण की विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की।
विद्यापीठ के सेवक रोहित शर्मा ने बताया कि विद्यापीठ की मुख्य यज्ञशाला में निरंतर 21 विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा गायत्री पितृ अनुष्ठान पाठ किया जा रहा है। कथा से पूर्व गायत्री अनुष्ठान में यजमान परिवार द्वारा पूजा की जाती है। शुक्रवार को भी कथा में राघव कृष्ण महाराज के मधुर भजनों की रसधारा पर कथा प्रेमी झूम उठे। कथावाचक ने कहा कि पूर्व काल में जो भी काम किया है, उसका फल इस युग में जरूर मिलता है। इसलिए जो प्राणी अच्छे कर्म करता है, उसके कर्म की पूजा होती है। उन्होंने कहा कि मानव का पहला शत्रु अज्ञानता है। पहली गुरु उसकी मां है।
राघव कृष्ण ने बताया जिस तरह भगवान श्रीराम ने सत्य के मार्ग पर चलकर रावण का वध किया, उसी तरह वर्तमान समय में लोगों को अपने अंदर छिपी बुराई रुपी रावण को मारने की जरूरत है। कथावाचक ने बताया चार तरह की स्थितियों में अभिमान मनुष्य की बुद्धि को हर लेता है। विद्या, शक्ति, धन और उपाधि या पद का अभिमान अगर किसी को हो जाए तो उसका पतन निश्चित है। इस मौके पर श्रवण गुप्ता, के के कौशिक, खरैती लाल सिंगला, टेक सिंह लौहार माजरा, राजेश सिंगला, मुनीश मित्तल, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, रणबीर भारद्वाज, मेवा सिंह, पुरुषोत्तम, रामपाल, राम जिवारी, विकास, कमल, जितेंद्र भारद्वाज इत्यादि भी मौजूद थे।