न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। सनातन धर्म वेदों पर आधारित धर्म है, जो अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियां, मत, सम्प्रदाय और जीवन दर्शन समेटे हुए है।विश्व का सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म है। यह विचार निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने अंतरराष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह 2021 के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा 27 नवंबर से 14 दिसम्बर 2021 तक आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम की योजना के संदर्भ में मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र से श्री दक्षिण काली पीठ परिसर हरिद्वार में व्यक्त किये। अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती समारोह 2021 के उपलक्ष्य में 06 दिसम्बर 2021 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में श्रीमद्भागवतगीता की भूमिका विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि होंगे।
निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने कहा व्यक्ति के उत्थान के लिए यह आवश्यक है कि वह नैतिक और भौतिक दोनों पक्षों को समान रूप से विकसित करने का प्रयास करे । येन केन प्रकारेण से अर्जित किए धन से भौतिक साधन तो प्राप्त किए जा सकते हैं परन्तु नैतिकता के गुणों का विकास न होने से सुख शान्ति का सर्वथा अभाव रहता है । इन्हीं नैतिक गुणों का विकास कैसे हो , सही जीवन जीने की कला का ज्ञान गीता में दिया गया है । श्रीमद्भागवतगीता में प्रमुख रूप से राष्ट्रधर्म की ही शिक्षा दी गई है । इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति का राष्ट्र के प्रति क्या धर्म होना चाहिए कौन से गुण होने चाहिए जिससे वह राष्ट्र का सुयोग्य नागरिक बन सके ।
राष्ट्रधर्म के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति में राष्ट्रवादिता, पराक्रमशीलता, पारदर्शिता, दूरदर्शिता, मानवतावाद, अध्यात्मवाद, विनयशीलता जैसे गुण हों । गीता में इन्हीं तत्वों को विकसित करने का ज्ञान दिया गया है । राष्ट्र की संस्कृति की इकाई कुल की अर्थात परिवार की संस्कृति होती है।गीता वास्तव में कर्म योग का ग्रंथ है। कर्मयोग का अर्थ है कर्म करते हुए लक्ष्य की ओर अग्रसर होना। हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई संघर्ष चलता रहता है । इनसे विचलित हुए बिना निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा आज वैश्विक स्तर पर विभिन्न प्रकार के षड़यंत्र सनातन धर्म द्वारा किये जा रहे है।दुनिया की विस्तारवादी सोच आज भारतीय संस्कृति के लिए तमाम प्रकार से अवरोध उत्पन्न कर रही है। आज आवश्यकता है हम सब सनातन वैदिक जीवन मूल्यों को अपने जीवन मे आत्मसात करे। कालजयी वैदिक सनतान संस्कृति का वैश्विक दृष्टि से भविष्य उज्जवल है।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा अपनी तर्कपूर्ण शिक्षाओं और प्रकाशपूर्ण प्रेरणाओं के कारण श्रीमद्भगवदगीता को वैश्विक ग्रंथ का गौरव प्राप्त है। वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में गीता तनाव प्रबंधन के लिए अत्यन्त कारगर कुंजी साबित हो रही है। देश-विदेश के प्रसिद्ध प्रबंधन गुरु भगवदगीता के प्रबंधन सूत्रों का लाभ उठा कर उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। गीता के प्रबंधन सूत्रों को अपने प्रतिष्ठानों में लागू करने वाली देशभर की प्रतिष्ठित प्रबंध संस्थान इनके नतीजों से काफी उत्साहित व प्रसन्न है।मानवीय प्रबंधकों के अनुसार भागमभाग और गलाकाट प्रतिस्पधा के वर्तमान दौर में श्रीमद्भागवतगीता ग्रन्थ को मानव जीवन की सर्वोत्कृष्ट आचार संहिता कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।