कहा, धान की खरीद तुरंत शुरु की जाए
एमएसपी से पीछा छुड़ाना चाहती है सरकार : अरोड़ा
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। धान की खरीद शुरु न करने से भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया है। यह आरोप पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक अरोड़ा ने अपने निवास स्थान पर पत्रकारों से वार्तालाप करते हुए लगाया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव सुभाष पाली, कांग्रेसी नेता ओमप्रकाश हथीरा व टेकचंद बारना भी उपस्थित थे। अरोड़ा ने कहा कि पहले हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने घोषणा की थी कि 25 सितंबर से धान की खरीद शुरु हो जाएगी उसके बाद इस तिथि को बढाकर एक अक्तूबर कर दिया गया और अब केंद्र सरकार ने एक फरमान जारी कर दिया है कि धान की खरीद 11 अक्तूबर से शुरु होगी। उन्होने कहा कि मंडियां धान से भरी हुई हैं। किसान पिछले कई दिनों से मंडी में धान लेकर आया हुआ है।
कुरुक्षेत्र में तो हालात यह है कि ब्रह्मसरोवर के चारों ओर पार्किंग स्थल धान से अंटे पडे हैं। इसके अलावा अनेक धर्मशालाओं के सामने भी धान की ढेरियां लगी हुई हैं। ऊपर से मौसम की मार पड़ रही है और अब धान खरीद की तारीख को आगे बढाने से सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया है। ऐसे हालात में किसान औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होगा। अरोड़ा ने आरोप लगाया कि सरकार एमएसपी से पीछा छुडाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अगेती धान की फसल के लिए रोपाई की तारीख 15 जून घोषित कर रखी है और यह फसल तीन माह में तैयार हो जाती है। 15 सितंबर तक फसल तैयार होने के बाद कटाई शुरु हो गई थी। 11 अक्तूबर तक तो शहर की सडकें भी धान की ढेरियों से अंट जाएंगी। इसी के साथ-साथ सरकार ने किसानों पर दोहरी मार करते हुए खरीद की मात्रा भी 25 क्विंटल प्रति एकड कर दी है। जबकि पिछले वर्ष यह 35 क्विंटल प्रति एकड थी। धान की अनेक किस्मों का 30 से 35 क्विंटल तक प्रति एकड उत्पादन होता है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि इसी के साथ-साथ सरकार ने मंडी में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भी कम कर दी है। महंगाई के इस दौर में मजदूरी बढाने की बजाए कम करके मजदूरों के साथ भी घोर अन्याय किया है। उन्होने कहा कि बाजरे की खरीद बंद करके सरकार किसानों को उजाडऩे पर तुली हुई है। अरोड़ा ने सरकार से मांग की कि तुरंत धान की खरीद शुरु की जाए, नही तो किसान उजड़ जाएगा। पूर्व मंत्री ने सत्तारूढ दल के विधायकों से मांग की कि उन्हे किसानों के हित में तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।