पुरातन, वर्तमान व भविष्य के सतत्य का संकल्प है नए भारत की नई शिक्षा नीति: कैलाश
आर्यन/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि आज की यह संगोष्ठी इसलिए महत्वपूर्ण है चूंकि इस चर्चा में सभी स्टेक होल्डर को शामिल किया गया है। जब यह शिक्षा नीति बनाई गई तो इससे बनाने से पहले लाखों लोगों से चर्चा की गई थी। शिक्षण मंडल का उदेश्य यही था कि भारतीय शिक्षा नीति में भारतीयता का समावेश कराने हेतू संगठन बना। 1835 में लार्ड मकाले ने जिस तरह से भारतीय शिक्षण व शिक्षा को नुकसान पहुंचाया था। लेकिन भारतीय समाज एक इस तरह का समाज है जिसे जब चुनौती मिलती है तो वह और अधिक मजबूती के साथ आगे आ खड़ा होता है। भारत में सभी शिक्षा नीतियां उसी जिजिविषा का परिणाम रही है।
उन्होंने कहा कि 1947 के बाद भी हम भारत केंद्रित शिक्षा नीतियां नहीं बना सके, यह हमारी असफलता थी। पहली बार भारत को भारत केंद्रित शिक्षा नीति देने का प्रयास किया गया है। 34 वर्षों के बाद नई शिक्षा नीति में सभी स्टेक होल्डर का महत्वपूर्ण योगदान है, सभी के सुझावों को शामिल किया गया है, तभी सभी इसका प्रशंसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी शिक्षा नीति बनने के बाद भी कुछ लोग बिना किसी कारण के इसे लागू करने में अवरोध पैदा करना चाहते हैं। नई शिक्षा नीति भारत का भाग्य बदलने वाली है। चूंकि इसमें भारत का बोध है, इससे भारत का युवा सबल व सशक्त बनेगा।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में भारत शिक्षा नीति से और अधिक मजबूत व सशक्त होकर विश्व गुरू बनेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी बहुत अच्छी शिक्षा नीतियां आई लेकिन उनका क्रियान्वन नहीं हुआ। नई शिक्षा नीति में विस्तार के साथ साथ गुणात्मक शिक्षा नीति पर विशेष बल दिया गया है। मानव क्षमता को प्राप्त करते हुए न्यायपूर्ण व न्यायसंगत विकास के साथ देश का विकास ही इसका मुख्य ध्येय है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति एक दस्तावेज नहीं है यह भारत का संकल्प है। नई शिक्षा नीति दस्तावेज नहीं है भारत के करोड़ों लोगों का भावी पीढ़ियों के लिए संकल्प है यह युवा पीढी की विशिष्टताओं को बाहर लाकर युवा पीढ़ी को नया आकार देगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति पुरातन, वर्तमान व भविष्य के सतत्य का संकल्प है।
गुरू जंम्भेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में समावेशी शिक्षा पर जोर दिया गया है। उन्होंने बताया कि तकनीकी शिक्षा की बेहतरी के लिए एक बेहतरीन माॅडल नई शिक्षा नीति में प्रस्तुत किया गया है। देश में अच्छे व नए शिक्षण संस्थान स्थापित किए जाएं इसके लिए विशेष प्रावधान नई शिक्षा नीति में किया गया है। उन्होंने कहा कि 21वी सदी में भारत को बड़ी तेज गति से आगे ले जाने मंे यह नई शिक्षा नीति कारगर साबित होगी। श्री टंकेश्वर ने कहा कि जिस मेहनत के साथ इस नीति को बनाया गया है उसी मेहनत व इच्छा शाक्ति के साथ इसे लागू करना भी जरूरी है।
भारतीय शिक्षण मंडल के विश्वविद्यालय ईकाई के अखिल भारतीय प्रमुख डाॅ अरविंद जोशी ने कहा कि इस नीति की सबसे बड़ी खूबी है कि इसे सभी और से सराहना मिल रही है। इसका एकमात्र कारण भी यह है कि इसमें सभी हितधारकों के साथ संवाद कर इसे तैयार किया गया है जिसके कारण इसकी अलोचना की बजाए इसमें किए गए प्रावधानों की देश भर के शिक्षाविद्व सराहना कर रहे हैं। जोशी ने कहा कि नई शिक्षा नीति से स्कूल स्तर से लेकर उच्चतर शिक्षा में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। भारत की आने वाली पीढ़ियों को भारत कंेद्रित व गुणवतापूर्ण शिक्षा मिले, यही इस शिक्षा नीति का उदेश्य है। इस मौके पर उन्होंने इन चर्चाओं का स्वागत करते हुए कहा कि इस पर निरंतर विचार मंथन की आवश्यकता है व उसे पूरी इच्छा शाक्ति के साथ लागू करने की आवश्यकता है।
बंगलौर से उद्योगपति एवं व्यवसायी आदित्य स्प्रू ने कहा कि हमारे बच्चे व युवा भारत का भविष्य है। देश को एक ऐसी शिक्षा नीति की जरूरत थी जो हमारी आने वाली पीढियों को रास्ता दिखाए। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे असंख्य लोग हैं जिन्होंने भारत के युवाओं को नहीं दुनिया भर के युवा को शिक्षित व दीक्षित करने का काम किया है। दुनिया आज जिस तेज गति के साथ आगे बढ रही हैं उस गति से हम आगे कैसे बढ़ें,इसके लिए जरूरी है कि हम सभी अपनी सक्षमता को बढाएं। नई शिक्षा नीति की खूबी यह है कि वह युवाओं के लिए बहुत ही लचीली है। अगर विद्यार्थी एक विकल्प के साथ कई विकल्पों पर एक साथ काम करना चाहते हैं, वे नई शिक्षा नीति कर सकते हैं। भविष्य के लिए खुद को तैयार करने के लिए ऐसे प्रयास जरूरी है।
स्प्रू ने कहा कि मुझे आशा है कि इस शिक्षा नीति के माध्यम से हम अपने युवाओं के सपनों को पूरा कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति भारतीयता के साथ साथ भविष्य के साथ खुद को जोड़ने का मंच साबित होगी। पंकज नफाड़े ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल का उदेश्य देश की शिक्षा में भारतीयता अर्थ आत्मीयता का प्रचार प्रसार करना है। नई शिक्षा नीति में भारतीय आत्मीयता को रखने का प्रयास किया गया है। शिक्षण मंडल वर्षों से इस दिशा में कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि 1969 में शिक्षण मंडल की स्थापना की गई थी तब से लेकर यह भारतीयता के विकास के लिए कार्य कर रहा है
नफाड़े ने भारतीय शिक्षण मंडल के विभिन्न प्रकल्पों के बारे में विस्तार से प्रकाश से चर्चा की। उन्होंने बताया कि 2015 में शिक्षण मंडल ने भारतीय शिक्षा को लेकर एक पुस्तक का प्रकाशन किया गया था इसमें देश भर में सुझाव आमंत्रित किए गए थे। देश भर के वि़द्वानों ने अपने सुझाव दिए थे। वर्ष 2018 में दिल्ली में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय रखने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया गया था। नई शिक्षा नीति मंे उसे शामिल किया गया है।
इस मौके पर प्रोफेसर तेजेंद्र शर्मा ने सभी वक्ताओं का परिचय देते हुए कहा कि देश में विकास में विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानो का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षा एक ऐसा विषय है जिसमें एक विद्यार्थी से लेकर अन्य कई स्टेक होल्डर जुडे होते हैं। हरियाणा प्रांत ईकाई का उदेश्य यह था कि एक मंच पर शिक्षा से जुड़े हितधारकों को एकत्रित कर इस विषय पर चर्चा की जाए। इसलिए शिक्षण मंडल हरियाणा ईकाई की और से इस परिचर्चा का आयोजन किया गया है। इस मौके पर उन्होंने इस चर्चा में सभी वक्ताओं का स्वागत किया व उनका आभार जताया।
उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल की हरियाणा प्रांत ईकाई भविष्य में इस तरह की चर्चाओं का निरंतर आयोजन करेगा। इस मौके पर छात्र हितधारक के रूप में नैंसी वर्मा व अमित ने भी विद्यार्थियों के नजरिए से शिक्षा नीति से विद्यार्थियों को होने वाले लाभ पर चर्चा की । उन्होंने कहा कि विद्यार्थी प्रत्येक शिक्षा नीति का सबसे महत्वपूर्ण स्टेक होल्डर है। नई शिक्षा नीति पूरी तरह से छात्र केंद्रित है, 21वीं सदी में भारत का युवा सबल व सशक्त बने वे सभी उपाय शिक्षा नीति में शामिल किए गए हैं। दोनो छात्रों ने अपनी चर्चा में डिजिटल लाॅकर के साथ साथ छात्र उपयोगी विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति भारत का विश्व गुरू बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। वेबीनार का संचालन डाॅ संजीव शर्मा ने किया।