Tuesday, December 3, 2024
Home haryana भाजपा-जजपा सरकार कर रही धान-बाजरा बोने वाले किसान से धोखा-रणदीप सुरजेवाला

भाजपा-जजपा सरकार कर रही धान-बाजरा बोने वाले किसान से धोखा-रणदीप सुरजेवाला

by Newz Dex
0 comment

कहा-मंडी मज़दूरों की मज़दूरी कम कर भाजपा-जजपा छीन रही गरीबों की रोटी

ओछे हथकंडे अपनाकर एमएसपी को ही समाप्त करने का आरोप भी लगाया

न्यूज डेक्स संवाददाता

जींद। धान की सरकारी खरीद शुरू होने के दावों पर पहले ही दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला जायजा लेने रविवार को जींद की अनाज मंडी में पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने मोदी व खट्टर सरकारों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा की इन सरकारों का किसान-मज़दूर विरोधी, क्रूर व निर्दयी चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया है। आए दिन नए-नए षडयंत्रकारी मनसूबों से किसान के पेट पर लात मारना अब मोदी-खट्टर-दुष्यंत चौटाला सरकारों की फितरत बन गई है। नए-नए हथकंडे अपनाकर एमएसपी को ही समाप्त किया जा रहा है। किसान व किसानी को तबाह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी व खट्टर सरकारें किसानों को राहत दे, अन्यथा गद्दी छोड़ दें।

पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा में धान की सरकारी खरीद 25 सितंबर से शुरू होनी थी। इस बारे सरकारी पत्र भी जारी कर दिया गया। लाखों क्विंटल धान 20 सितंबर से ही प्रदेश की मंडियों में आना शुरू हो गया। 11 दिन बीत जाने के बाद भी एक फूटी कौड़ी धान की एमएसपी पर सरकारी खरीद नहीं हुई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार ने खरीद के सरकारी मापदंड ही जारी नहीं किये तो खरीद कैसे होगी।उन्होंने कहा कि अन्नदाता किसान पर वज्रपात करते हुए मोदी सरकार ने 30 सितंबर को धान की सरकारी खरीद की तिथि को टालकर 11 अक्टूबर, कर दिया।

तीन दिन पहले 1 अक्टूबर को भारत सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह माना कि हरियाणा में धान में नमी की मात्रा 22.7 प्रतिशत है। हरियाणा सरकार कहती है कि 17 प्रतिशत से अधिक नमी वाली धान नहीं खरीदेंगे।भाजपा सरकार के इस फैसले का किसानों और कांग्रेस ने घोर विरोध किया। विरोध के चलते मोदी-खट्टर सरकारों को झुकना पड़ा। धान की खरीद 3 अक्टूबर से करने के निर्णय की घोषणा की, पर मोदी व खट्टर सरकारों को दोगुला चरित्र व किसान विरोधी चेहरा तथा षडयंत्र अभी भी बंद नहीं हुआ। इसका उदाहरण देते हुए सुरजेवाला ने बताया कि धान व बाजरा खरीदी के साल 2021-22 के मापदंड आज तक भी जारी नहीं किए।

सच्चाई यह है कि मोदी-खट्टर सरकारों जानबूझकर व षडयंत्रकारी तरीके से खरीफ फसलों में दशकों से निर्धारित नमी की मात्रा, दाना सिकुड़ने व रंग बदलने के मापदंड जारी नहीं किए, ताकि एमएसपी पर खरीद हो ही न सके। अपने आप एमएसपी चोर दरवाजे से खत्म हो जाए।केंद्र व प्रदेश सरकारों के आंकड़ों में यह साफ लिखा है कि 17 प्रतिशत नमी से अधिक होने पर धान खरीद नहीं की जाएगी। तो फिर बताएं कि धान या बाजरे की खरीद होगी कैसे, क्योंकि मोदी सरकार खुद मानती है कि हरियाणा के धान में नमी की मात्रा तो 22.7 प्रतिशत है?   

इस समय हरियाणा की मंडियों में 20 लाख क्विंटल से अधिक धान खुले में पड़ा है। खट्टर-दुष्यंत जी की जोड़ी ये बताए कि बेमौसमी बारिश और तूफान की मार सह रहा किसान अपनी फसल कैसे बचाए, कहां लेकर जाए और किसे बेचकर आए? उन्होंने कहा कि मौसम और मोदी-खट्टर सरकारें, दोनों ही मिलकर अन्नदाता को मारने पर जुटे हैं। एमएसपी पर धान खरीद तब हो पाएगी, जब नमी की मात्रा में मोदी-खट्टर सरकारें नमी पर 25 प्रतिशत छूट देंगे। 

दूसरे पहलू पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-पिछड़े वर्गों के मंडी मजदूरों की रोजी-रोटी पर आक्रमण भी किया गया है। मंडी में फसल उतारने, सफाई व बोरी इत्यादि भरने का काम करने वाले अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्गों के हजारों-लाखों मजदूरों के पेट पर भाजपा-जजपा सरकार ने लात मारने का निर्णय किया है। मंडियों में मजदूरों को दी जाने वाली प्रति बैग मजदूरी के दाम 12.76 रुपया प्रति बैग से घटाकर 8.56 रुपया प्रति बैग कर दिए गए हैं। यानि हर मंडी मजदूर को प्रति बैग 4.20 रुपया कम भुगतान होगा। डूबती अर्थव्यवस्था व कोरोना महामारी के बीच ये गरीब अपना पेट कैसे पालेंगे?

तीसरा उदाहरण उन्होंने दिया कि एमएसपी पर सरकारी खरीद 33 क्विंटल प्रति एकड़ से कम कर 25 क्विंटल प्रति एकड़ करना घोर पाप है। किसान औसतन 35 क्विंटल तक धान प्रति एकड़ पैदा करता है। ऐसे में 10 क्विंटल धान को किसान कहाँ बेचेगा।इसी प्रकार परफेश में बाजरे की सरकारी खरीद पर सवाल उठाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि पिछले साल हरियाणा में बाजरे की 7,76,909 मीट्रिक टन सरकारी खरीद हुई। इस साल उसमें 80 प्रतिशत कटौती करने का निर्णय कर दिया गया है। सरकार केवल 1,25,000 मीट्रिक टन बाजरा ही खरीदेगी। किसान को 2250 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी की बजाय मुश्किल से 1200-1300 रुपए प्रति क्विंटल भाव मिल रहा है।

भावांतर योजना में रुपए 600 प्रति क्विंटल का भुगतान अगर जोड़ भी दिया जाए, तो भी किसान को एमएसपी से 450-500 रुपया प्रति क्विंटल कम भाव मिलेगा। जींद मंडी सहित भिवानी, नारनौल, महेन्दरगढ़, बाढड़ा आदि मंडियों में बाजरे की इस दुर्गति का जीता-जागता सबूत साफ है। उन्होंने कांग्रेस जी और से मांग की कि धान, बाजरा व अन्य खरीफ फसलों के ‘खरीद मापदंड’ आज ही जारी किए जाएं तथा उसमें 25 प्रतिशत नमी की छूट, दाना सिकुड़ने व काला पड़ने पर समय की मांग के मुताबिक छूट दी जाए, एमएसपी खत्म करने का भाजपाई षंडयंत्र बंद कर प्रति एकड़ 33 क्विंटल फसल खरीद को बहाल किया जाए, अनुसूचित जाति-पिछड़े वर्गों के मंडी मजदूरों की मजदूरी बहाल की जाए, बारिश से हुई खराब फसल का 7 दिन में मुआवज़ा दिया जाए।

उन्होंने कहा कि मनोहर लाल खट्टर- दुष्यंत चौटाला या तो उपरोक्त मांगें मानें या फिर गद्दी छोड़ें।इस दौरान सुरजेवाला के साथ कांग्रेस नेता ईश्वर नैन, अंशुल सिंगला, रघुबीर भारद्वाज, महावीर कंप्यूटर, संदीप सांगवान, वीरेंदर जागलान, वज़ीर ढांडा, धर्मेंद्र पहलवान, राजकुमार गोयल, दिनेश मिन्नी, धर्मपाल प्रधान, राजू लखीना, राज सिंह रेढू, रणदीप सहारन, शालु गर्ग, पूर्व पार्षद सुमेर पहलवान, प्रवीन ढिल्लो, पूर्व जिला पार्षद नरेश भनवाला, रणबीर पहलवान, अशोक मलिक, कमल चौहान, वीरेंद्र रायचंदवाला, सतीश रेढू, मंजीत सैनी, किरण सैनी, लाजवंती ढिल्लो, रामफल कुंडू, नरेंद्र खरब, पूर्व पार्षद शाम लाल जांगड़ा, पर्व पार्षद संजय शर्मा, पूर्व पार्षद जोगेंद्र सैनी व पूर्व पार्षद हरफूल सैनी आदि मौजूद थे।

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00