न्यूज डेक्स संवाददाता
जींद।यूपी के लखीमपुर खोरी में हुई घटना के विरोध में सोमवार को जिले के किसान बिफर गए। किसानों ने जींद-हिसार मार्ग व जींद बरवाला मार्गों को जाम कर दिया। सयुंक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में डीसी कार्यालय का घेराव भी किया। इस दौरान भारी पुलिस बल भी टैंक्त रहा। सुबह करीब 9 बजे जींद-हिसार मार्ग पर स्थित गांव रामराये बस अड्डा पर रामराय, राजपुरा भैंन, गुलकनी आदि गांवों के किसानों ने यूपी के लखीमपुर में किसानों पर हुए अत्याचार के संबंध में जींद-हाँसी रोड को मोटे लक्कड़ डालकर जाम कर दिया है। इससे पहले सुबह 8 बजे जींद-बरवाला मार्ग पर स्थित गांव ईटल कलां बस अड्डा पर करीब 60-70 लोगों ने जाम कर दिया।
जाम की सूचना मिलते ही सदर थाना प्रभारी मनीष कुमार व डीएसपी पुष्प खत्री दोनों जगह किसानों को समझने पहुंचे, मगर किसान टस से मस नहीं हुए। करीब 4 घंटे की मशक्कत के बाद अधिकारी किसानों को मना लेने में कामयाब हुए। किसानों ने जाम खोल दिया।उधर, खटकड़ टोल से सयुंक्त किसान मोर्चा, कंडेला खाप, खेड़ा खाप के पदाधिकारियों की अगुआई में सैकड़ों किसान सुबह ही ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर जिला मुख्यालय पहुंच गए। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे किसानों ने डीसी कार्यालय को पूरी तरह घेर लिया। घेराव करने वाले सैकड़ों किसानों में मुख्यतया आज़ाद पालवां, सतबीर बरसोला, सिक्कम देवी, कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश कंडेला, राज सिंह कंडेला, जगतसिंह लोहचब आदि प्रमुख थे। किसानों ने प्रदर्शन करते हुए डीसी नरेश नरवाल को ज्ञापन दिया।
किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए घटना के लखीमपुर खोरी आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। नारेबाजी के बीच तनाव का माहौल देखते हुए माैके पर एएसपी नीतिश अग्रवाल, डीएसपी धर्मबीर भारी पुलिस बल के साथ तैनात रहे। किसानों को रोकने के लिए लघु सचिवालय के बाहर और डीसी कार्यालय से पहले तीन जगहों पर बैरिकेडिंग की गई थी, लेकिन किसानों की संख्या ज्यादा होने के कारण पुलिस ने बैरिकेडिंग हटा दी और किसानों को लघु सचिवालय में जाने दिया। डीसी कार्यालय के नीचे एक घंटे से ज्यादा समय तक किसान धरने पर बैठे रहे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए लखीमपुर खीरी में हुई घटना की निष्पक्ष जांच कराने और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र को पद से हटाने की मांग की।
किसान नेता आजाद पालवां, सतबीर पहलवान, बिजेंद्र संधू, कैप्टन भूपेंद्र, ओमप्रकाश कंडेला ने कहा कि लखीमपुर खीरी के आरोपितों को सजा मिलनी चाहिए। अगर मामले की निष्पक्ष जांच करके आरोपितों पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो संयुक्त मोर्चा के फैसले अनुसार किसान आंदोलन तेज करेंगे। किसान नौ माह से नए कृषि कानूनों के विरोध में शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार आंदाेलन को बदनाम करने के लिए बार-बार उकसा रही है। लखीमपुर में हुई घटना से सरकार का तानाशाही रवैया सबके सामने आ गया है।