जयराम विद्यापीठ में पूर्णाहुति के साथ हुआ गायत्री अनुष्ठान का समापन
जयराम विद्यापीठ में तीन दिन से चल रहे सिद्ध मंत्रों के साथ गायत्री अनुष्ठान का समापन
गायत्री अनुष्ठान पर संत महापुरुषों तथा ब्राह्मणों का हुआ पूजन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में श्री जयराम विद्यापीठ में तीन दिन से चल रहे नियमित गायत्री मंत्र जाप अनुष्ठान यज्ञ एवं पूजन का पूर्ण विधि विधान के साथ समापन हुआ। गायत्री अनुष्ठान के तीसरे दिन अमावस्या पर मंत्रों के साथ मां गायत्री से साधना सिद्ध शक्तियों और मनोकामना पूर्ति की आराधना की गई। इस अवसर पर यजमान परिवार के सदस्यों ने सर्व जन के लिए सुख, शांति, समृद्धि की कामना कर हवन किया।
परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने यजमान गोयल परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद दिया एवं मंगलकामनाएं की। पूर्णाहुति के बाद महाआरती की गई। इसमें गायत्री मंत्र का जाप किया गया। इस मौके पर गायत्री अनुष्ठान के यजमान जगदीश गोयल, सतप्रकाश, सुरेश गोयल, सत्यनारायण, राम भगत, रोशन लाल, वेद प्रकाश, सतीश गोयल, नवीन गोयल, अजय गोयल, संजय गोयल, समर्थ गोयल, राम कुमार गोयल, मांगे राम गोयल एवं अन्य गोयल परिवार के सदस्यों ने निर्विघ्न अनुष्ठान के समापन पर आवाहित देवी देवताओं का आभार व्यक्त करते हुए गुरु पूजन किया गया।
उन्होंने विशेषकर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी को नमन किया। मुख्य यज्ञशाला में आचार्य राजेश लेखवार शास्त्री व प. पंकज कौशिक सहित 21 विद्वान ब्राह्मणों ने यज्ञ पूर्णाहुति के साथ अनुष्ठान समापन के उपरांत मंत्रोच्चारण के साथ सर्वदेव पूजन एवं संत महापुरुषों के साथ गुरु पूजन करवाया। इस मौके पर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में यजमान परिवार ने अमावस्या दान किया गया। विद्यापीठ में तीन दिन से अलौकिक दैवीय शक्तियों एवं मंत्रोच्चारण के साथ चल रहे गायत्री मंत्र जाप अनुष्ठान का समापन हुआ। तीन दिन तक चले अनुष्ठान में ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा सवा लाख गायत्री मंत्रों के जाप के साथ यज्ञ में आहुतियां डाली गई। अनुष्ठान के समापन पर 21 विद्वान ब्राह्मणों एवं वेदाचार्यों का यजमान परिवार के सदस्यों ने पूजन एवं दक्षिणा के साथ आभार व्यक्त किया गया।
ब्रह्मचारी ने कहा कि गायत्री उपासना, अनुष्ठान एवं यज्ञ का अवसर सौभाग्यशाली लोगों को प्राप्त होता है। गायत्री उपासना एवं अनुष्ठान का पुण्य लाभ पूर्ण विधि विधान और आस्था से ही श्रद्धा रखने वाले साधक प्राप्त करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रायः मध्यान्ह और संध्या साधना के विधान निश्चित हैं। साधक अपनी सुविधा अनुसार कम या अधिक मात्रा में गायत्री उपासना का मुक्त लाभ हर कोई भी ले सकता है। ब्रह्मचारी ने बताया कि भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में उच्च स्तर का ब्रह्म तेज, सिद्धि और प्राण की प्रचुर मात्रा अर्जित करनी हो, किसी सांसारिक कठिनाई को पार करना हो अथवा कोई सकाम प्रयोजन हो, उसके लिये गायत्री यज्ञ एवं अनुष्ठान की विशेष साधनायें सम्पन्न की जाती है।
गायत्री कृपा से किसी भी भौतिक या आध्यात्मिक कार्य में जुटा जाए तो जीवन यात्रा बड़ी सरल हो जाती है। दीनता, रोग, शोक, विरोध, आक्रमण, आपत्तियाँ और भय इत्यादि के निवारण के लिये गायत्री अनुष्ठान करना चाहिए। इस मौके पर जयराम शिक्षण संस्थान के निदेशक एस एन गुप्ता, श्रवण गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, के. के. कौशिक, खरैती लाल सिंगला, राजेश सिंगला, सुरेंद्र गुप्ता, पवन गर्ग, टेक सिंह लौहार माजरा, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, मेवा राम, सुनील गौरी, मकान सिंह, राम जिवारी, प्रवीण कुमार, पुरुषोत्तम, रामपाल, कमल व विकास इत्यादि भी मौजूद थे।