Friday, November 22, 2024
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अब तक शुरू नहीं हुई धान की सुचारू खरीद, मंडियों में मारे-मारे फिर रहे हैं किसान- हुड्डा

by Newz Dex
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बाजरा किसानों से भी हुआ खिलवाड़, ₹350-650 प्रति क्विंटल का हो रहा घाटा- हुड्डा

हमारी सरकार बनने पर खत्म की जाएंगी पोर्टल, रजिस्ट्रेशन, शेड्यूलिंग व 25 क्विंटल कैप जैसी फालतू शर्तें- हुड्डा

बारिश से खराब हुई धान, कपास, नरमा, ग्वार, तिल, मूंगफली और सब्जी का मुआवजा दे सरकार- हुड्डा

न्यूज डेक्स हरियाणा

चंडीगढ़ प्रदेश की बीजेपी-जेजेपी सरकार जानबूझकर धान, बाजरा और अन्य फसलों की खरीद का दिखावा मात्र कर रही। ऐसा लगता है, मानो सरकार एमएसपी से धीरे धीरे अपना हाथ खींचकर किसान को बाजार के हवाले करना चाहती है। हरियाणा की गठबंधन सरकार के सारे फैसले पूरी तरह किसान विरोधी साबित हुए है। क्योंकि, हरियाणा के किसान, आढ़ती व कमेरे पर रोज रोज नये नियम लादकर परेशान किया जा रहा है। 

यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा ने कहा कि सरकार की तरफ से बार-बार तारीख बदले जाने और आखिरकार 3 तारीख से सरकारी खरीद की बात कहने के बावजूद किसान आज मंडियों में मारे-मारे फिर रहे हैं। अब तक करीब 28 लाख क्विंटल धान आज मंडियों में पहुँच कर पड़ा हुआ है। लेकिन, प्रदेश की किसी भी मंडी में सुचारू रूप से खरीद शुरू नहीं हुई है। प्रदेश की मंडियां धान से अटी पड़ी है। यहां तक कि धान की ढेरियाँ लगते-लगते मंडी के बाहर सड़कों तक आ गई हैं। किसानों को मंडी लाई हुई फसल या तो प्राइवेट एजेंसीज को कम रेट पर बेचनी पड़ रही है या वापिस घर ले जानी पड़ रही। जिसके कारण उनपर किराए की दोहरी मार पड़ रही है।

हुड्डा ने कहा कि धान ही नहीं, बाजरा के किसानों के साथ भी सरकार ऐसा ही खिलवाड़ कर रही है। आज बाजरा का मार्केट रेट 900 से 1200 के बीच झूल रहा है। अगर इसमें सरकार द्वारा घोषित भावांतर भरपाई योजना के ₹600 भी जोड़ लिए जाएं तो भी किसानों को ₹350 से लेकर ₹650 प्रति क्विंटल तक का घाटा उठाना पड़ रहा है। अब तो खुद सरकार के विधायक भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर किसानों को एमएसपी देने की मांग कर रहे हैं। फिर भी सरकार किसानों की अनदेखी करने पर लगी हुई है। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों पर पोर्टल, रजिस्ट्रेशन, शेड्यूलिंग और गत वर्ष के 33 क्विंटल खरीद को कम करके 25 क्विंटल प्रति एकड़ की कैपिंग जैसी फालतू की शर्तें थोपी जा रही हैं। जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान किसानों को परेशान करने वाली ऐसी कोई व्यवस्था या शर्त नहीं थी। तब मंडी में पहुंचने वाले हर एक किसान से एक-एक दाने की फसल खरीदी जाती थी और साथ की साथ पेमेंट की जाती थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने खरीद प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया है कि किसानों के लिए फसल बेच पाना मुश्किल हो रहा है। पहले तो सरकार जानबूझकर खरीद में देरी करती है, फिर उसके बाद उठान में देरी की जाती है और उसकी वजह से किसानों की पेमेंट भी देरी से होती है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उन्होंने 3 तारीख को प्रदेश की कई मंडियों का दौरा कर किसानों की समस्याओं को देखा था। आज भी मंडी में अपनी धान लेकर बैठे किसानों को बारिश का डर सता रहा है। इतने दिनों से फसल पड़ी रहने की वजह से दाना भी काला पड़ना शुरू हो गया है। इन सबके लिए सरकार की लेटलतीफी जिम्मेदार है। और इसका पूरा खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ेगा। नमी और दाना खराब होने का बहाना बनाकर उन्हें फसल का कम रेट दिया जाएगा। यह किसानों के साथ अन्याय है। हुड्डा ने सरकार से फसल की जल्द और सुचारू खरीद करने और मानक नमी की मात्रा को बढ़ाने की मांग की। साथ ही, उन्होंने पिछले दिनों बारिश और आंधी की वजह से खराब हुई धान, कपास, नरमा, ग्वार, तिल, मूंगफली और सब्जी के मुआवजे के वितरण की मांग भी दोहराई।

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