भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग वर्ष 2022 तक सौंपेगा सर्वे रिपोर्ट
सर्वे रिपोर्ट से होगा सरस्वती नदी के ऐतिहासिक पहलुओं का खुलासा
बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने की चर्चा
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने कहा कि हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान और गुजरात की पावन धरा से बहने वाली प्राचीन एवं पवित्र सरस्वती नदी के परत दर परत इतिहास का सर्वे किया जाएगा। यह सर्वे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग सहित देश के जाने माने भू वैज्ञानिक करेंगे। इस सर्वे की रिपोर्ट वर्ष 2022 तक सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट के बाद ही पवित्र सरस्वती नदी के पहलुओं का खुलासा हो पाएगा। बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सरस्वती एक्सीलेंट रिसर्च सेंटर के सभागार में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, इसरो व ऑनलाइन प्रणाली से जुड़े वैज्ञानिकों की एक बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।
इससे पहले बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की प्रोजेक्ट निदेशक डा. दिपाली कपूर, सीनियर वैज्ञानिक मनोज शुक्ला, सीनियर वैज्ञानिक हर्ष तिवारी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सरस्वती एक्सीलेंस शोध केन्द्र के निदेशक डा. एआर चौधरी, ऑनलाइन प्रणाली से जुडे इसरों के पूर्व महाप्रबंधक जेआर शर्मा, उप निदेशक बीके बांदरा, इसरो के सेवानिृवत निदेशक एके गुप्ता, सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के शोध अधिकारी डा. दीपा व जीएस गौतम ने प्राचीन सरस्वती नदी को लेकर किए जा रहे सर्वे के ऊपर तकनीकी रूप व वैज्ञानिक दृष्टिï से खुलकर चर्चा की है। बोर्ड के उपाध्यक्ष ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मार्गदर्शन में प्राचीन सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर प्रवाहित करने के प्रयास लगातार सरकार द्वारा किए जा रहे है। इस नदी को प्रवाहित करने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, इसरो व देश के जाने माने भूवैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे है।
यह वैज्ञानिक हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात राज्यों में सरस्वती नदी के उदगम स्थल से लेकर गुजरात तक के पूरे चैनल का सर्वे करेंगे और इन राज्यों में यह तलाश किया जाएगा कि अभी भी धरती के नीचे किस-किस जगहों पर पानी के चैनल है और इन चैनल की उत्पत्ति और अभी तक धरती के नीचे बहने के क्या संस्थान रहे है। इसके साथ ही मिट्टी की परत दर परत पर भी शोध किया जाएगा कि किस तह पर सरस्वती नदी प्रवाहित होने के साक्ष्य रहे है और इस पवित्र नदी की गहराई कितनी रही होगी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों की सर्वे रिपोर्ट में पवित्र सरस्वती नदी की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस रिपोर्ट को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा वर्ष 2022 तक सौंपा जाएगा। इस कार्य को करने के लिए हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के साथ भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के बीच वर्ष 2018 में एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे। उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के बाद सबसे प्राचीन एवं पवित्र सरस्वती नदी के इतिहास के बारे मे जानकारी मिलेगी और इतिहास के पन्नों में एक नया अध्याय भी जुडेगा। इन शोध कार्यों से देश की युवा पीढी को सरस्वती नदी के ऐतिहासिक पहलुओं से आत्मसात करने का अवसर भी मिलेगा।