जयराम विद्यापीठ में प्रारम्भ हुआ नवरात्र दुर्गा सप्तशती शतचंडी अनुष्ठान
दुर्गा सप्तशती शतचंडी अनुष्ठान में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का प्रारम्भ हुआ पूजन
दुर्गा शतचंडी अनुष्ठान से होता है दुश्मनों का विनाश : ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी
जयराम विद्यापीठ दुर्गा सप्तशती पाठ कर रहे हैं ब्रह्मचारी और ब्राह्मण
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। देशभर में फैली जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने सर्वकल्याण एवं विश्व शांति की भावना से जयराम विद्यापीठ में शारदीय नवरात्रों के अवसर पर विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ नवरात्र दुर्गा सप्तशती पाठ व शतचंडी अनुष्ठान प्रारम्भ किया। विद्यापीठ की यज्ञशाला में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से पूरे नवरात्र 21 ब्राह्मणों द्वारा द्वारा निरंतर दुर्गा सप्तशती पाठ व शतचंडी अनुष्ठान किया जाएगा। अनुष्ठान के यजमान के तौर पर अशोक गर्ग, कुसुम गर्ग, राजीव शर्मा तथा उनके परिवार के सदस्यों ने पूजन करवाया। नौ दिवसीय नवरात्र अनुष्ठान के बारे में ब्रह्मचारी ने बताया कि मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है उसे शतचंडी यज्ञ बोला जाता है।
उन्होंने बताया कि शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है और सौभाग्य इस विधि के बाद साथ देने लगता है। उन्होंने बताया कि वेदों में दुर्गा सप्तशती पाठ व शतचंडी अनुष्ठान की महिमा के बारे में यहाँ तक बोला है कि शतचंडी यज्ञ एवं अनुष्ठान के बाद दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। इस अनुष्ठान को भगवान श्री गणेशजी, भगवान शिव शंकर, नव ग्रह, और नव दुर्गा (देवी) को समर्पित करने से मनुष्य जीवन धन्य होता है। इसी अवसर पर ब्रह्मचारी ने विद्यापीठ के ब्रह्मचारियों को नौ दिन तक चलने वाले अनुष्ठान की विधि भी बताई।
दुर्गा सप्तशती पाठ व शतचंडी अनुष्ठान करवा रहे आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार ने बताया कि विद्यापीठ में हर नवरात्रों पर ब्रह्मचारियों, विद्यार्थियों और ब्राह्मणों द्वारा पूरे नियमों के साथ दुर्गा सप्तशती पाठ तथा शतचंडी अनुष्ठान किया जाता है। इस अवसर पर रोहित कौशिक के साथ जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, के के कौशिक एडवोकेट, श्रवण गुप्ता, खरैती लाल सिंगला, राजेश सिंगला, रोहित शर्मा, सतबीर कौशिक, प्राध्यापक प्रवीण शर्मा, राम जिवारी, कमल शर्मा, दीपक शर्मा, पुरुषोत्तम शर्मा, मनोज कुमार, संत कुमार इत्यादि भी मौजूद थे।