Friday, November 22, 2024
Home haryana पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इस वर्ष धान की पराली की मात्रा में काफी कमी होने की उम्मीद है

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इस वर्ष धान की पराली की मात्रा में काफी कमी होने की उम्मीद है

by Newz Dex
0 comment

धान की पराली की मात्रा में कमी लाने के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिले

दोनों केन्‍द्र तथा एनसीआर राज्य सरकारों ने धान की पराली की मात्रा को कम करने के लिए कदम उठाए हैं

फसल और किस्मों के विविधीकरण, जैव-अपघटकों के व्यापक इस्‍तेमाल सहित फसल अवशेष प्रबंधन पर अधिक ध्यान देकर, भूसे के एक्स-सीटू उपयोग को बढ़ावा देकर और व्यापक आईईसी गतिविधियों एवं जागरूकता कार्यक्रमों के माध्‍यम से बेहतर फसल अवशेष प्रबंधन की उम्मीद है

न्यूज डेक्स इंडिया

दिल्ली। धान की पराली की मात्रा में कमी लाने की दिशा में उठाए गए कदमों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में धान का कुल रकबा चालू वर्ष के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में 7.72 प्रतिशत कम हो गया है। इसी प्रकार, गैर-बासमती किस्म से कुल धान की पराली की मात्रा पिछले वर्ष की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 12.42 प्रतिशत कम होने की संभावना है।

केन्‍द्र सरकार और हरियाणा, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारें फसलों में विविधता लाने के साथ-साथ धान की पूसा-44 किस्म के उपयोग को कम करने के उपाय कर रही हैं। गैर-बासमती किस्म की फसलों से धान की पराली को जलाना प्रमुख चिंता का विषय है। फसल विविधीकरण और पूसा-44 किस्म के स्‍थान पर कम अवधि तथा अधिक उपज देने वाली किस्में पराली जलाने के मामले में नियंत्रण हेतु रूपरेखा और कार्य योजना का हिस्सा हैं।

हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष धान की पराली की कुल मात्रा में कमी आएगी। इस वर्ष पंजाब में धान की पराली की कुल मात्रा 1.31 मिलियन टन (2020 में 20.05 मिलियन टन से घटकर 2021 में 18.74 मिलियन टन), हरियाणा में 0.8 मिलियन टन (2020 में 7.6 मिलियन टन से 2021 में 6.8 मिलियन टन) और उत्तर प्रदेश के आठ एनसीआर जिलों में 0.09 मिलियन टन (2020 में 0.75 मिलियन टन से 2021 में 0.67 मिलियन टन) तक घटने की संभावना है। 

संबंधित राज्यों में पराली की कुल मात्रा 2020 में 28.4 मिलियन टन थी, जो अब 2021 में घटकर 26.21 मिलियन टन होने की उम्मीद है। गैर-बासमती किस्म में और भी कमी होने की उम्मीद है। विशेष रूप से गैर-बासमती किस्म की फसलों से धान की पराली की मात्रा 2020 में पंजाब में 17.82 मिलियन टन से घटकर 2021 में 16.07 मिलियन टन और हरियाणा में 2020 में 3.5 मिलियन टन से घटकर 2021 में 2.9 मिलियन टन होने की उम्मीद है।

आयोग ने एक व्यापक ढांचे के माध्यम से संबंधित राज्य सरकारों को कम अवधि और जल्दी परिपक्व होने वाली फसलों की किस्मों को बढ़ावा देने का निर्देश दिया था,क्योंकि उन्हें काफी कुशलता से प्रबंधित किया जा सकता है और धान की पराली के प्रबंधन के लिए एक व्यापक माध्‍यम प्रदान किया जा सकता है। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की सिफारिशों के अनुसार, सीएक्यूएम ने इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों के साथ सकारात्‍मक प्रयास किया था। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों के साथ-साथ पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में भी पानी की अत्‍यधिक खपत करने वाली धान की फसल वाले क्षेत्र को वैकल्पिक फसलों की ओर मोड़कर फसल विविधीकरण कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं। 

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00