Thursday, November 21, 2024
Home Kurukshetra News नाटक टंटया भील की प्रस्तुति ने झकझोरा, कलाकारों ने लूटी वाहवाही

नाटक टंटया भील की प्रस्तुति ने झकझोरा, कलाकारों ने लूटी वाहवाही

by Newz Dex
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20 दिवसीय कार्यशाला में तैयार नाटक टंट्या भील का हुआ सफल मंचन

भीलों का मसीहा जननायक टंट्या बना इण्डियन रॉबिनहुड

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन कुरुक्षेत्र में आयोजित 20 दिवसीय नाट्य कार्यशाला के समापन अवसर पर नाटक टंटया भील का मंचन हुआ। इस मौके पर संस्कार भारती कुरुक्षेत्र ईकाई के अध्यक्ष डा. अशोक शर्मा बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। वहीं हरियाणा कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक महाबीर गुड्डू ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में मंच संचालन विकास शर्मा का रहा। ऋषिपाल के निर्देशन में चल रही कार्यशाला में हरियाणा के जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, हिसार आदि जिलों के रंगमंच के कलाकारों ने अभिनय की बारीकियां सीखते हुए नाटक टंटया भील का मंचन किया।

नाटक में दिखाया गया कि टंटया भील स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक बड़े योद्दा के रुप में लड़े थे । आदिवासी समुदाय से सम्बंध रखने वाले टंटया भील व उसके पूरे समुदाय को अंग्रेजों की यातनाओं का सामना करना पड़ा। भोग विलास के लिए आदिवासी महिलाओं का शोषण करने वाले अंग्रेजों के खिलाफ टंटया ने जब आवाज उठाई तो अंग्रेज भील समुदाय को समाप्त करने की फिराक में लग गए। ऐसे में समुदाय के ही एक गद्दार कुटेल ने लालचवश अंग्रेजो की मदद की और टंटया के साथ-साथ अन्य भीलों को भी मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसे में टंटया की मां अपने बेटे की मौत का बदला कुटेल से लेती है और उसे जान से मार डालता है। भील समुदाय में टंटया को देवता की तरह पूजा जाने लगा। कहा जाता है कि आज भी बहुत आदिवासी घरो मे टंट्या भील कि पुजा की जाती है। टंट्या भील के शौर्य की गाथा वर्ष 1857 के बाद उभरी।

जननायक टंट्या ने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा ग्रामीण आदिवासी जनता के साथ शोषण और उनके मौलिक अधिकारों के साथ हो रहे अन्याय और अत्याचार की खिलाफत की। दिलचस्प पहलू यह दिखाया गया कि स्वयं प्रताड़ित अंग्रेजों की सत्ता ने जननायक टंट्या को इण्डियन रॉबिनहुड का खिताब दिया। 20 दिन की कार्यशाला में कलाकारों ने अभिनय को तराशते हुए उम्दा प्रदर्शन किया। लगभग 25 कलाकारों के दल ने टंटया भील की जीवन यात्रा को जींवत ढंग से सभी के सामने प्रस्तुत किया। नाटक में अभिनय करने वाले कलाकारों में ललित शर्मा, अमित जटैन, पारस शर्मा, पार्थ शर्मा, अंकित कुमार, अभिनव, अमित, जसनूर कौर, कुमार ईशांत, जसनूर थिंद, अभिषेक कुमार, कुलदीप, टिंकू, गुंजन गेरा, नम्रता, अनु रानी, सूर्यांश चावला, तुषार, रघुबीर सिंह, रमन कुमार, नीरज, विक्की, मनोज कुमार आदि शामिल रहे। अंत में मुख्यअतिथि अशोक शर्मा ने सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र तथा नाटक निर्देशक ऋषिपाल को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

वहीं अपने सम्बोंधन में अशोक शर्मा ने कहा कि देश के विकास के लिए युवा वर्ग का रचनात्मक कार्यों से जुड़ाव अति आवश्यक है। युवा वर्ग की सोच और ऊर्जा का सही उपयोग यदि राष्ट्र के हित में हो तो भारत को विश्व गुरु के स्थान पर देखा जा सकता है। महान क्रांतिकारियों के बलिदान और शौर्य की गाथाओं को जब युवा वर्ग अपनी प्रतिभा के माध्यम से पहचान दिलाने का प्रयास करते हैं तो आमजन को आजादी के लिए किए गए संघर्ष का मूल्य पता चलता है। अंत में महाबीर गुड्डू ने मुख्यअतिथि को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार व्यक्त किया। इस मौके पर वी.पी.वर्मा, योगिता, धर्मपाल गुगलानी, सीमा काम्बोज, मनीष डोगरा आदि भी उपस्थित रहे।

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