न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र और ऋतान्वेषी योगायन फाउंडेशन जल्द शोध कार्यों को लेकर मिलकर काम कर सकते हैं। इसके लिए आयुष विवि में दोनों संस्थाओं के पदाधिकारियों के बीच बैठक हुई। इस बैठक में यज्ञ से संबंधित कई विषयों पर बातचीत हुई। भविष्य में दोनों संस्थान मिलकर यज्ञ का पर्यावरण और मानव जीवन पर क्या प्रभाव रहता है। इन विषयों पर शोध करेंगे। इसके साथ ही समझौते को आगे बढ़ाने के लिए दोनों ओर से कदम बढ़ा दिये गए हैं।
आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए यज्ञ एक सबसे बड़ा और आसान उपाय है। आयुर्वेद शास्त्र में यज्ञ की धूनी देने का महत्व बताया गया है। यज्ञ के धूम द्वारा अग्निहोत्र के माध्यम से हम नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तन करते हैं। शारीरिक और मानसिक व्याधियों के खोए हुए संदर्भ यदि प्राचीनतम यज्ञ पद्धति में फिर से ढूंढा जा सके तो शारीरिक ही नहीं मानसिक रोगों का भी सफल उपचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा ये पृथ्वी 25 लाख तत्वों से मिलकर बनी है। प्रकृति जड़ और मनुष्य चेतन है। मगर एक तीसरा तत्व भी है जो जड़ और चेतन को मिलाता है। हमारे ऋषि-मुनि वातावरण को शुद्ध करने के लिए अग्निहोत्र यज्ञ किया करते थे। भारत की जो ये प्राचीन परंपरा है वैज्ञानिक है। इसलिए हमारे पूर्वजों का जो दिया ज्ञान है पहले हमें उसे ही सिद्ध करना है इसके लिए आयुष विवि और ऋतान्वेषी योगायन फाउंडेशन मिलकर शोध कार्य करेंगे।
साऊथ कोरिया से वैज्ञानिक डॉ. राजेश के. राज ने कहा कि पिछले दस सालों में लगभग अड़तालिस से पचास छोड़े- बड़े शोध यज्ञ पर हुए है और यज्ञ के लगभग सभी आयम पर बहुत काम हुआ हैं। जैसे यज्ञ की भस्म, यज्ञ के धुएं और यज्ञ में प्रयोग होने वाला जल कलश। कुरुक्षेत्र में विशाल और भव्य लक्षचंडी महायज्ञ होने जा रहा है। इस महायज्ञ में हजारों श्रद्धालु और यजमान एकत्रित होंगे। यज्ञ से पर्यावरण तो शुद्ध होगा साथ ही श्रद्धालुओं के शरीर और मन के विकार भी दूर होगें। हमारी टीम द्वारा यज्ञ के तीन विभागों पर अध्ययन किया जाएगा। पहला पर्यावरण से संबंधित है, दूसरा यज्ञ में प्रयोग होने वाले कलश के जल में केमिकल कंपोजिशन का अध्ययन किया जाएगा। यज्ञ का धुआं जो चारों ओर फैलता है, उससे पशु-पक्षी जो हमारे जीवन में सहयोगी हैं इसकी भी स्टडी की जाएगी। वैसे हमारा रिसर्च यज्ञ के कई आयामों को लेकर है। उन्होंने कहा कि जो जातक पूजा करेंगे या पुजारी, उनके बल्ड सैम्पल लिए जाएंगे और यज्ञ का मनोवैज्ञानिक और सामाजिक क्या प्रभाव उन पर रहा, इसका अध्ययन किया जाएगा। वैसे बहुत सारी समस्याएं समाज और देश में व्याप्त है। जो वैज्ञानिकों के लिए भी चुनौती है भारतीय अध्यात्म और सनातन संस्कृति में ही इन समस्याओं का उत्तर छिपा है। इस दौरान आयुष विवि से डीन एकेडमिक आशीष मेहता, डॉ. रजनीकांत, अतुल गोयल, मनोज कुमार और दिल्ली से डॉ मनीष, जयपुर से प्रतीक, दिल्ली से कुलदीप मथूरिया उपस्थित रहे।