Friday, November 22, 2024
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वेद हमारी भारतीय संस्कृति के पोषक हैं,वेदों को हमारे जीवन में उतारना होगा तभी संस्कारों को बढ़ावा मिलेगा : ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी

by Newz Dex
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वेद ज्ञान का भंडार हैं, वेदों को जानने के लिए प्रचार प्रसार का होना बहुत जरूरी है और इस कार्य में जयराम विद्यापीठ जुटी हुई है : कुलपति प्रो. सचदेवा 

जयराम विद्यापीठ में तीन दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन का हुआ समापन 

देश के महान विद्वानों द्वारा शांति पाठ के साथ तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन किया गया

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। तीर्थों की संगम स्थली कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के तट पर तीन दिन से चल रहे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और राज्यों से संस्कृत एवं वेदों के महान विद्वानों के महाकुंभ का बुधवार को समापन हुआ। राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन के समापन सत्र में देशभर में संचालित जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने अध्यक्षता की व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की। इस सत्र में लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति डा. रमेश कुमार पांडेय विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए। लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो. शिव शंकर मिश्र समापन सत्र के संयोजक रहे। देश के महान विद्वानों द्वारा शांति पाठ के साथ तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन किया गया तथा देश भर से आए महान वेदों के ज्ञाता विद्वानों को सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने कहा कि यह धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में सौभाग्यशाली अवसर था कि चारों वेदों के महान ज्ञाता तीन दिवसीय महाकुंभ में एकत्रित हुए और यज्ञ से पूरे कुरुक्षेत्र में सकारात्मक एवं वैदिक वातावरण बना। उन्होंने कहा कि वेद हमारी भारतीय संस्कृति के पोषक हैं। वेदों को हमारे जीवन में उतारना होगा तभी संस्कारों को बढ़ावा मिलेगा। वेद पाठ के यज्ञ से समाज को नई दिशा देने के लिए वेदों पर गहन मंथन हुआ। जयराम विद्यापीठ को वेदों के महान वेद विद्वानों की सेवा एवं व्यवस्था करने का अवसर प्राप्त हुआ। भारतीय संस्कृति में वेदों की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। विद्यापीठ तो भारतीय संस्कृति की सेवा के लिए हर समय तत्पर है। जयराम संस्थाएं भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं राष्ट्र हित में हमेशा कार्यरत हैं।

ब्रह्मचारी ने कहा कि महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन एवं श्री जयराम विद्यापीठ कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में यह राष्ट्रीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। पूरे देश के विभिन्न राज्यों से चारों वेदों के सौ से अधिक महान विद्वानों ने तीन दिन तक मंथन कर अनुसंधान को नई दिशा दी। चारों वेदों के मंत्रोच्चारण से ब्रह्मसरोवर के तट पर विद्यापीठ से तीन दिन तक ध्वनि गूंजती रही। ब्रह्मचारी ने कुरुक्षेत्र में राष्ट्रीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन के आयोजन के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि इससे वेदों की शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों को वेदों को गहनता से जानने का मौका मिलेगा क्योंकि इन्हीं लोगों ने भविष्य में पूरे भारत एवं विश्व में वेदों का प्रचार करना है। उन्होंने कहा कि आज पूरे भारत में बहुत कम लोग वेदों को जानने वाले लोग हैं। यह भारतीय संस्कृति के लिए चिंता का विषय है। सम्मेलन में इस बात पर विद्वानों ने चर्चा की कि संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में अधिक से अधिक विद्यार्थी वेदों का अध्ययन करें। इस की व्यवस्था पर जोर दिया जाए।

ब्रह्मचारी ने कहा कि सरकार से भी मांग की गई है कि संस्कृत भाषा को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया जाए। जहां संस्कृत वेद विद्यालय एवं महाविद्यालय संचालित हैं उन्हें सरकार की ओर से पूरी सहायता मिलने चाहिए। ब्रह्मचारी ने बताया कि कुरुक्षेत्र की धरती अथवा राज्य में कहीं भी जयराम विद्यापीठ द्वारा संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। जयराम संस्थाएं संस्कृत एवं राष्ट्रवाद की भावना के लिए हर समय प्रयासरत है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ ने जयराम विद्यापीठ में  राष्ट्रीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन के आयोजन के भव्य एवं सफल आयोजन के लिए परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्हें भी इस सम्मेलन में शामिल होने का मौका दिया।

इस सम्मेलन में वेदों के महान ज्ञाताओं एवं देश के महान विद्वानों को भी इस सम्मेलन में सुनने का मौका मिला। कुलपति ने कहा कि वेद ज्ञान का भंडार हैं। वेदों को जानने के लिए प्रचार प्रसार का होना बहुत जरूरी है जिस कार्य में जयराम विद्यापीठ जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की धरती पर इस तरह के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजित होना अद्भुत अवसर था। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना भी संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में हुई थी। समय के अनुसार प्रबंधन एवं विस्तार हुआ। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 49 विभाग कार्य कर रहे हैं। 290 कालेज हैं और दो लाख विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। धीरे धीरे अंग्रेजी भाषा की बाध्यता नई शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत समाप्त होगी। कुलपति डा. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि आज पूरे देश में वेदों और संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के साथ आमजन को जोड़ने की आवश्यकता है। युवा वर्ग को वेदों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इस अवसर पर प्रो. शिव शंकर मिश्र समापन सत्र में सभी का धन्यवाद किया। इस मौके पर जयराम शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष व सेवानिवृत आयुक्त टी. के. शर्मा, निदेशक एस. एन. गुप्ता, के. के. कौशिक एडवोकेट, डा. कृष्ण रल्हन, पवन गर्ग, राजेश सिंगला, श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, रोहित कौशिक, राजेश शर्मा इत्यादि भी मौजूद थे। 

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