Wednesday, April 16, 2025
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48 कोस के तीर्थों का भ्रमण करने के लिए कुरुक्षेत्र पहुंचेगा संत समाज:सुधा

by Newz Dex
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श्री स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर में एकत्रित होगा संत समाज

पांच नवंबर को कार्यक्रम के साथ आनलाइन प्रणाली से जुड़ेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम मनोहर लाल, महंत बंसीपुरी महाराज के साथ-साथ महान संत करेंगे कार्यक्रम में शिरकत 

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि 48 कोस के तीर्थों के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों का भ्रमण करने के लिए संत समाज के महान लोग 5 नवंबर को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर पहुंच रहे हैं। यह कार्यक्रम श्री स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर से शुरू होगा। इस कार्यक्रम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी जुड़ेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री महंत बंसीपुरी जी महाराज तथा संत समाज के सभी लोगों से ऑनलाइन प्रणाली से वार्तालाप करेंगे। कुरुक्षेत्र के स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर में पांच नवंबर को होने वाले इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने विधायक सुभाष सुधा के बातचीत की और धार्मिक कार्यक्रम को सफल और यादगार बनाने के लिए कहा है।

इस कार्यक्रम में पांच नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल आनलाइन प्रणाली से संत समाज के महान संत बंसीपुरी महाराज के साथ-साथ सभी संतों से वार्तालाप करेंगे। इसके बाद थानेसर विधायक सुभाष सुधा ने शुक्रवार देर सायं बातचीत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्व प्रसिद्ध धर्मनगरी में है। इस धरा के कण-कण में इतिहास और पौराणिक गाथाएं छिपी हुई हैं। इतना ही नहीं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश भी कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर दिए, जो आज भी पूर्णतया प्रासंगिक हैं। यह महाभारत काल से भी पहले थानेसर नगर स्थाणु तीर्थ की वजह से विख्यात रही है। विभिन्न शास्त्रों के मुताबिक सबसे पहले धरती पर स्थाणु तीर्थ पर ही शिवलिंग की स्थापना और पूजा हुई थी।

बताया जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने खुद यहां पर शिवलिंग को स्थापित किया था। तंत्र शास्त्रों में भी इसका उल्लेख मिलता है। मंदिर की विशेषता है कि स्थाण्वीश्वर महादेव के नाम से ही शहर का थानेसर नाम पड़ा है। इसके अलावा मंदिर के अंदर की जो छत है वह छतरीनुमा बनी हुई है, जिस पर कलाकृति उभरी हुई है। इसे महाभारत काल से भी पहले का मंदिर माना जाता है। मंदिर के नजदीक से सरस्वती नदी बहने का उल्लेख मिलता है। मंदिर के ठीक सामने एक कुंड बना हुआ है, जिसमें नहाने से बीमारियां ठीक होने की बात भी कही गई है। विधायक ने कहा कि स्थाण्वीश्वर महादेव महाभारत काल से भी पहले का है। महाभारत एवं पुराणों में वर्णित कुरुक्षेत्र का यह पावन तीर्थ थानेसर शहर के उत्तर में स्थित है। इस तीर्थ का सर्वप्रथम उल्लेख बौद्ध साहित्य में उपलब्ध होता है। महावग्ग ग्रंथ में थूणा नामक गांव का उल्लेख मिलता है।

इसी प्रकार दिव्यावदान बौद्ध ग्रंथ में थूणं और उपस्थूण नामक गांवों का उल्लेख है। कालांतर में थूणं नामक यह स्थान स्थान तीर्थ नाम से प्रसिद्ध हुआ। वामन पुराण में इसे स्थाणु तीर्थ कहा गया है जिसके चारों ओर हजारों शिवलिंग है जिनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि स्वयं प्रजापति ब्रह्मा ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। वामन पुराण में स्थाणु तीर्थ के चारों और अनेक तीर्थों का वर्णन आता है। इस तीर्थ के चारों ओर विस्तृत एक वट वृक्ष का उल्लेख मिलता है। स्थाणु तीर्थ के नाम पर ही वर्तमान थानेसर नगर का नामकरण हुआ जिसे प्राचीन काल में स्थाण्वीश्वर कहा जाता था। थानेसर के वर्धन साम्राज्य के संस्थापक पुष्पभूति ने अपने राज्य श्रीकंठ जनपद की राजधानी स्थाण्वीश्वर नगर को ही बनाया था। हर्षवर्धन के राजकवि बाणभट्ट के द्वारा रचित हर्षचरित महाकाव्य में स्थाण्वीश्वर नगर के सौंदर्य का अनुपम चित्रण किया है।

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