न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भारतीय संस्कृति के अति महत्वपूर्ण पर्व धनतेरस एवं आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरि जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा सनातन वैदिक संस्कृति में पर्व एवं परम्पराओं में भारतीय जीवन दर्शन पर प्रभाव विषय पर युवा संवाद कार्यक्रम फतुहपुर स्थित मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक प्रार्थना से हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं ने प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने का संकल्प लिया । कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी रामपाल आर्य ने की। युवा संवाद में विभिन्न क्षेत्रों से अनेक युवाओ ने भागीदारी की और अपने विचार रखे।
मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य माना जाता है, इन्हें भगवान विष्णु का भी अवतार कहा गया है, महाभारत तथा पुराणों में विष्णु के अंश के रूप में धनवंतरी जी का उल्लेख प्राप्त होता है।
डॉ. मिश्र ने कहा कि धन्वंतरि जी एक महान चिकित्सक थे और उन्हें देव पद भी प्राप्त हुआ और समुद्र मंथन के समय पृथ्वी लोक पर इनका अवतरण हुआ। समुद्र मंथन से शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिये दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। सनातन वैदिक संस्कृति में मानव जीवन पर पर्व एवं पंरपराओं का बहुत प्रभाव है। संस्कृति और जीवन दर्शन के अभाव में मानव जीवन पशु तुल्य है।आज आवश्यकता है कि हम अपने जीवन मे भारत और भारतीयता को आत्मसात करे। कार्यक्रम में मिशन के सदस्य, विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।