Monday, November 25, 2024
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पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा फाउंडेशन ने किया ब्रह्मसरोवर में नौका विहार का विरोध

by Newz Dex
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कुरुक्षेत्र के तीर्थों में बसती है नंदा जी की आत्मा,नौका चली तो आत्म होगी छलनी : अरुण

प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखेगा नंदाजी फाउंडेशन : केआर अरुण

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। ब्रह्मसरोवर में प्रस्तावित नौका विहार का विरोध अब  पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा फाऊंडेशन दिल्ली के चेयरमैन केआर अरुण ने किया है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना नंदाजी के प्रयासों से हुई थी। उनकी आत्मा कुरुक्षेत्र और कुरुक्षेत्र के तीर्थों में बसती है। कुरुक्षेत्र के लिये नंदाजी द्वारा किये गये प्रयासों के कारण ही देश के दिग्गज राजनेता भी उन्हें राज ऋषि कहकर संबोधित करते थे। अरुण ने कहा कि नंदाजी लंबे समय तक कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की कमान संभालते हुए अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे थे। अपनी इच्छा से केडीबी का अध्यक्ष पद छोडऩे के बाद भी उन्होंने अपने जीवनकाल में ब्रह्मसरोवर और अन्य तीर्थों की मर्यादा को भंग नहीं होने दिया। अरुण ने कहा कि आज नंदाजी परलोक में हैं,लेकिन उनकी स्मृति में ब्रह्मसरोवर तट पर उनका स्मारक स्थल सदाचार स्थल अनेकों लोगों की श्रद्धा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि केडीबी द्वारा ब्रह्मसरोवर में जो नौका विहार करने की योजना बनाई है, वह ना केवल नंदाजी,बल्कि ब्रह्मसरोवर जैसे पावन तीर्थ की आत्मा को छलनी करने जैसी योजना से कम नहीं है। उन्होंने श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा द्वारा किये जा रहे विरोध का समर्थन करते हुए कहा कि गुलजारी लाल नंदा फाउंडेशन इसका समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि भविष्य में भी यदि किसी भी स्तर पर तीर्थों की मर्यादा को चोट पहुंचाई जाती है तो इसके लिए सभा इसी तरह अपनी भूमिका निभाती रहेगी। अरूण ने कहा कि किसी भी कीमत पर ब्रह्मसरोवर की मर्यादा भंग नही होने दी जाएगी। यह तीर्थ करोडों श्रद्धालुओं की आस्था का तीर्थ है। जो लोग इसे सैर सपाटा करने के लिए नौकाविहार की योजना बना रहे हैं। उन्हे शायद भारतीय संस्कृति और तीर्थ परंपराओं का रत्ती भर भी ज्ञान नही है।  

जब ब्रह्मसरोवर में नहीं था पानी, नंदाजी ने किया था कीचड़ से स्नान
अरुण ने कहा कि जब नंदाजी कुरुक्षेत्र आए थे तो उस समय ब्रह्मसरोवर में केवल दलदल थी और इसमें कमल के फूल और पत्ते ही थे। ब्रह्मसरोवर की यह दशा देख नंदाजी ने इसके जीर्णोद्धार का संकल्प लिया था और ब्रह्मसरोवर में पानी के स्थान पर दलदल से निकाली गई कीचड़ को अपने शरीर पर मला था। उसके बाद उन्हीं के प्रयासों से ब्रह्मसरोवर का ना केवल कायाकल्प हुआ,बल्कि देश दुनिया से हर साल लोग यहां ब्रह्मसरोवर पर पहुंचते हैं। इस भव्य और पवित्र स्थल की किसी भी सूरत में मर्यादा भंग नहीं होने दी जाएगी। फाउंडेशन ब्रह्मसरोवर की पवित्रता को बचाने के लिए हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखेगा।  

मानद सचिव के बयान से उभरा है विवाद
श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के महासचिव रामपाल शर्मा का कहना है कि ब्रह्मसरोवर में नौकाविहार योजना शुरु करने की सुगबुगाहट काफी दिनों से चल रही थी। इसी बीच कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा द्वारा मीडिया में यह बयान दिया था कि केडीबी द्वारा ब्रह्मसरोवर में नौकाविहार करने की योजना प्रस्तावित है। इसके बाद यह जानकारी पुख्ता हो गई और सभा ने इसका विरोध करने का निर्णय लिया। नगर की अनेक सामाजिक तथा धार्मिक संस्थाओं ने भी सभा को इस संघर्ष में समर्थन देने का ऐलान किया है।

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