न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मïसरोवर के पावन तट पर जहां एक ओर पर्यटक इस भव्य आयोजन का लुफ्त उठा रहे है, वहीं दूसरी ओर ब्रह्मïसरोवर के इस पावन तट पर दूसरे प्रदेशों से आए हुए शिल्पकारों की अदभुत शिल्पकला ने इस भव्य आयोजन की फिजा में रंग भरने का काम किया है। अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव में दूर-दराज से आए हुए शिल्पकारों ने ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर लगने वाले गीता महोत्सव के क्राफ्ट और सरस मेले में अपने हाथों की कारागिरी से महोत्सव में आने वाले पर्यटकों को आत्मविभुर होने पर मजबूर कर दिया है। शिल्पकारों के हाथों से बनी सुंदर-सुंदर आकृतियों की शिल्पकला पर्यटकों के मन को बहुत ही लुभा रही है। ऐसे ही पलवल से आए कमलेश ने बताया कि वे पलवल के गांव उटावड से आए है और वे अपने साथ पहाडी मिट्टी, चिकनी मिट्टी से बनी हुई सुदंर-सुंदर आकृतियां लेकर आए है।
उन्होंने बताया कि वे इस महोत्सव में पिछले कई वर्षों से आ रहे है। हाथ से बनी हुई मिट्टïी की सुंदर-सुंदर आकृतियां पर्यटकों के मन को बहुत लुभा रही है। उन्होंने बताया कि वे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपने साथ फलावर पोर्ट व भगवान की सुंदर-सुंदर प्रतिमा के साथ-साथ मिट्टी से बनी हुई घर के सज्जा सजावट का सामान लेकर आए है। उन्होंने बताया कि वे इन प्रतिमाओं की आकृतियों को तीन तरह की मिट्टी जिसमें चिकनी, पहाडी और बाणी मिट्टी से बनाते है। इसके लिए वे इन तीन तरह की किस्मों की मिट्टी को एक महीना पहले छानकर मिलाकर एक पॉलिथीन के नीचे दबा देते है ताकि यह तीन तरह की किस्मों की मिट्टी अच्छी तरह से मिल जाए और इसके बाद वे इन मिट्टïी से चॉक पर सुंदर-सुंदर आकृतियों के प्रारूप तैयार करतेे है। उन्होंने बताया कि इस तरह की सुंदर-सुंदर आकृतियों को बनाने में काफी समय लग जाता है और उनके पास इस सामान की कीमत 150 रुपए से 2500 रुपए तक की है।