हरियाणा की लोककला को संरक्षित करेगा एन.आई.डी.: डॉ. अनीता
विरासत में राज्य स्तरीय कार्यशाला का उद्घाटन
संदीप गौतम/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जीटी रोड मसाना में नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाईन कुरुक्षेत्र, एच.एस.आर.एल.एम. हरियाणा तथा एसोसिएशन ऑफ हरियाणवी इन ऑस्ट्रेलिया एएचए के संयुक्त तत्वावधान में हरियाणा सांस्कृतिक प्रदर्शनी एवं हरियाणा हस्तशिल्प हुनर कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर हरियाणा स्टेट रूरल लाईवलीहुड मिशन की सीईओ डॉ. अमरेन्द्र कौर ने कहा कि हरियाणा की हस्तकला को अंतर्राष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से इसको बाजार प्रदान किया जाएगा। डॉ. कौर विरासत में राज्य स्तरीय हस्तशिल्प कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बोल रही थी।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में फुलकारी, बंधेज, पीलिया, ओढ़णी, दामण, पंखी, ब्लॉक प्रिटिंग, बुणाई कला, हरियाणा की क्रॉसिया की कला, टोकरने बनाने की कला, खजूर के पत्तों से बनने वाले विषय-वस्तुओं की कला, आभूषण बनाने की कला तथा मिट्टी से बनने वाली विषय-वस्तुओं की कला को संरक्षित करने के लिए हस्तशिल्पकारों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मौके पर नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन कुरुक्षेत्र की निदेशक ने प्रदेश के हस्तशिल्पकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एन.आई.डी. के सभी शिक्षक प्रदेश के हस्तशिल्पकारों को प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी विषय-वस्तुओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कलात्मकता का स्वरूप प्रदान करने में सहायता करेंगे। इसके साथ ही कार्यशाला में हरियाणा की विविध कलाओं को संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ. महा सिंह पूनिया ने कार्यशाला की रूपरेखा के विषय में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. रणबीर सिंह ने कार्यशाला से संबंधित विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विरासत आने वाले दिनों में हरियाणवी संस्कृति के लिए वरदान साबित होगा। इस मौके पर मुख्यातिथि एवं विशिष्ट अतिथि ने विरासत हेरिटेज विलेज में हरियाणा सांस्कृतिक प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा शिल्पकारों की विविध विषय-वस्तुओं के विषय में जानकारी हासिल की। इस अवसर पर डॉ. मनोज, डॉ. शालिनी, डॉ. रणबीर सिंह, डॉ. महासिंह पूनिया सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
हरियाणवी कसीदाकारी पर हुआ मंथन
हरियाणा हस्तशिल्प हुनर कार्यशाला में पहले दिन अंबाला, हिसार, महेन्द्रगढ़, जींद, यमुनानगर, सिरसा तथा रोहतक के हस्तशिल्पकारों एवं प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कलाकारों ने हरियाणा की फुलकारी के विविध आयामों, बंधेज की बनाई एवं उसके रंगने की कला, पीलिया की छपाई एवं उसकी कलात्मकता, ओढऩी व दामण की लोककलात्मकता को जाना तथा बाजार के अनुसार उसको तैयार करने के लिए विविध पहलुओं पर डॉ. रणबीर सिंह, प्रो. स्वाति, प्रो. शालिनी तथा डॉ. महासिंह पूनिया ने हरियाणा की कसीदाकारी की विशेषताओं एवं विविधताओं के विषय में व्याख्यान दिए।