Friday, November 22, 2024
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श्रीमद्भागवद् गीता के आदर्शों पर चलकर ही मानव का हो सकता है कल्याण: आचार्य भारद्वाज

by Newz Dex
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गीता श्रवण से मनुष्य को होता है आत्मज्ञान
जयराम विद्यापीठ में चल रहे हैं श्रीमद्भागवद् गीता प्रवचन 

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न हुई पावन गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र में श्री गीता जयंती महोत्सव चल रहा है। इस अवसर पर जयराम विद्यापीठ में व्यासपीठ से श्रीमद्भागवद् गीता श्रवण करते हुए आचार्य प. रणबीर भारद्वाज ने बताया कि  श्रीमद्भागवद् गीता के आदर्शों पर चलकर मनुष्य न केवल धर्म का पालन कर सकता है बल्कि वह सम्पूर्ण मानव जाति का कल्याण कर सकता है। श्रीमद्भागवत गीता न केवल धर्म का उपदेश देती हैं, जीवन जीने की कला भी सिखाती है। महाभारत के युद्ध के पहले अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं।

प. भारद्वाज ने बताया कि महाभारत के युद्ध में जब पांडवों और कौरवों की सेना आमने सामने होती हैं तो अर्जुन अपने बन्धुओं को देख विचलित हो जाते है। महात्मा विदुर के बारे में चर्चा करते हुऐ बताया कि जहां अधर्मी और पापी लोगों का वास हो ऐसी जगह पर अन्न ग्रहण करने और ऐसे लोगों का संग करने वालों वालों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। ऐसी जगह पर तो भगवान भी भोजन नहीं ग्रहण करते। भरी सभा में दुर्योधन ने विदुर जी का बहुत अपमान किया व उन्हें अपशब्द कहे। विदुर जी अपमान से विचलित नहीं हुए क्योंकि उन्हें अपने प्रभु श्रीकृष्ण का सहारा था। अत: उन्होंने धृतराष्ट्र का संग छोड़ दिया और वन में एक झोंपड़ी बना कर तपस्या करने लगे।

आचार्य भारद्वाज ने कहा कि प्रभु वहीं रहते हैं जहां उनके भक्त प्रेम से आर्द्र हो कर उनका कीर्तन करते हैं। अचानक द्धारकाधीश विदुर जी की झोपड़ी में पहुंचे। उन्होंने विदुर जी से खाने को भोजन मांगा। विदुर जी हतप्रभ रह गए कि प्रभु ने दुर्योधन के घर नहीं खाया। प्रभु बोले-जहां आप नहीं खाते, वहां मैं भी नहीं खाता। दुर्योधन के छप्पन भोग त्याग कर भगवान ने विदुरानी के घर जाकर केले के छिलकों की भाजी का भोग लगाया। आज भगवान की भक्तिमय गाथा तथा प. रोहित कौशिक के मधुर भजनों ने लोगों को भाव विभोर कर दिया।

तीसरे दिन के प्रवचनों की समाप्ति पर राजेंद्र सिंघल, श्रवण गुप्ता, ईश्वर गुप्ता, खरैती लाल सिंगला, के. के. कौशिक, टेक सिंह लौहार माजरा, सुरेंद्र गुप्ता, कुलवंत सैनी, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, यशपाल राणा, आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री, मेवा राम, प्रवीण कुमार, रामपाल, पुरुषोत्तम व जितेंद्र इत्यादि ने आरती की। 

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