लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने किया जीओ गीता के युवा चेतना सम्मेलन का शुभारंभ
जीओ गीता सभागार का किया उदघाटन, जीओ गीता संग्रहालय का किया अवलोकन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरूक्षेत्र। लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि गीता किसी भाषा, प्रांत, धर्म की नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता का ग्रंथ है। यह ग्रंथ हमारे जीवन की पाठशाला है। हम इसे पढक़र अपने जीवन की सहीं राह पर पढ़ सकते हैं। यह हमें जीवन जीने का रास्ता बताती है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला शनिवार को गीता ज्ञान संस्थानम में जीओ गीता की तरफ से आयोजित युवा चेतना सम्मेलन में मुख्यातिथि के रुप में बोल रहे थे। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, हरियाण के खेलमंत्री संदीप सिंह, सांसद रतन लाल कटारिया, सांसद नायब सिंह सैनी, सांसद अरविंद शर्मा, सांसद सुनीता दुग्गल, विधायक सुभाष सुधा, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी ने जीओ गीता सभागार का उदघाटन किया और इसके बाद जीओ गीता संग्रहालय का अवलोकन किया।
इसके उपरांत गीता पूजन के साथ युवा चेतना सम्मेलन का शुभारंभ किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि हरियाणा की ऐतिहासिक भूमि कुरुक्षेत्र पूरे विश्व को जीवन जीने का मार्ग दर्शन कर रही है। स्वयं महात्मा गांधी मानते थे कि जैसे हमें मां पालती है, उसी तरह पवित्र ग्रंथ गीता हमें नई प्रेरणा देता है। व्यक्ति के जीवन में अंधकार या कठिनाई होती है तो गीता हमें राह दिखाती है। गीता के छोटे से सार को पढऩे के बाद हमारे जीवन के हर संशय को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें चुनौतीपूर्ण और संघर्षपूर्ण जीवन जीना है तो पवित्र ग्रंथ गीता पढऩी चाहिए। महाभारत में भी जब अर्जुन संशय में थे तो भगवान श्री कृष्ण ने गीता का संदेश दिया था। 5 हजार वर्ष बाद भी गीता का सार प्रासंगिक है। व्यक्ति सामाजिक जीवन में कठिनाई में उलझता है तो गीता से राह मिलती है। कर्मयोग में लिखा है कि मनुष्य को कर्म करना चाहिए। यदि व्यक्ति कर्म को कर्तव्य मानकर चलेगा तो लक्ष्य की प्राप्ति होगी। कई बार लक्ष्य की प्राप्ति न होने पर निराशा भी होगी लेकिन पवित्र ग्रंथ गीता हमारी निराशा को खत्म करने का काम करती है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज के डिजिटल युग में नौजवान बौधिक रूप से क्षमतावान है और विश्वभर में नेतृत्व कर रहे हैं, यदि उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान भी हो जाए तो जीवन सहीं दिशा में चलेगा। हमें अपने जीवन में गीता का संदेश अपनाना चाहिए। ओम बिड़ला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद को अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव को देश और विदेशों तक पहुंचाने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि जियो गीता संस्थान हर घर में गीता के ज्ञान को पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। भगवान श्री कृष्ण और गीता पर व्यापक शोध के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह अत्यंत सराहनीय कदम है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि भारत भगवान राम की धरती है, यहां इतने वर्षों बाद भी भगवान राम क जीवन आदर्श जीवन जीने की राह दिखाता है। यह भगवान श्री कृष्ण की धरती है जो कर्म करने की राह दिखाती है। यहां से भगवान बुद्ध ने विश्वभर को करूणा, कृपा, दया व प्रेम के भाव को दिखाया। तभी भारत विश्वगुरू कहलाता है।
आजादी के आंदोलन में श्रीमद्भगवद्गीता का योगदान रहा। आजादी के आंदोलन में शामिल शहीदों ने गीता से कर्म करने और लडऩे की प्रेरणा ली। आज भी हजारों वर्षों पुराना गीता का ज्ञान हमारे जीवन में प्रासंगिक है। हर व्यक्ति गीता पढऩे के बाद कर्म योग की तरफ बढ़ता है। कर्म के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना यही गीता का ज्ञान है। यह हमें नैतिकता के मार्ग पर लेकर जाती है। कोविड काल में हमने बता दिया कि हम सामूहिक शक्ति से कैसे बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। आज भौतिक दुनिया में शांति की जरुरत है। हम सुख और दुख में भगवान की शरण में जाते हैं, यही हमारी संस्कृति है। पवित्र ग्रंथ गीता से हमें नई प्रेरणा मिलती है और हम कोशिश करते हैं कि संसद में लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए नैतिकता से संसद चला सकें। हमें अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी अनुसरण करना चाहिए।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि श्रीमदभागवद गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसको केवल सुनने, पढऩे या स्मरण करने से नहीं बल्कि इस ग्रंथ के सार को जीवन में उतारने से इसका पूरा लाभ लिया जा सकता है। स्वामी ज्ञानानंद महाराज के मार्गदर्शन में हरियाणा सरकार द्वारा पिछले 6 वर्षों से गीता जंयती समारोह को भव्य तरीके से अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। भगवान श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र की इस धरती पर अर्जुन को जो संदेश दिया था वह आज भी प्रासांगिंक है, जिस भी व्यक्ति ने श्री मदभगवद गीता के एक श्लोक को भी अपने जीवन में उतार लिया तो उसे जीवन में निराशा छू भी नहीं पाएगी। गीता के अध्ययन करने से सारी चिन्ताएं खत्म हो जाएगी। गीता में भी यह संदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया है कि कर्म करो, फल की चिन्ता मत करो। व्यक्ति का मन चंचल होता है और अपेक्षा करने से ही निराशा और असंतोष आता है। इसलिए गीता के ज्ञान को जीवन में उतार कर आशा और नई ऊर्जा के साथ जीवन में कर्म करने की प्ररेणा लेकर आगे बढ़े।
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि श्रीमदभगवद गीता अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव आयोजित करके मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अन्तर्राष्टï्रीय स्तर पर पवित्र ग्रंथ गीता के ज्ञान को पंहुचाने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उन्होंने धर्म धरा कुरूक्षेत्र को नमन करते हुए कहा कि जीओ गीता के माध्यम से युवाओं को नई प्रेरणा और ऊर्जा देने का कार्य किया जा रहा है। जीओ गीता के युवाओं द्वारा रक्तदान शिविर जैसे सामाजिक कार्यों के साथ-साथ गीता पाठ कोविड काल में सेवाभाव से कार्य किए गए है। युवा निराश न हो इसके लिए वे समय समय पर शैक्षिणिक संस्थानों में जाकर श्रीमदभगवद गीता का संदेश देते रहते हैं जिससे युवाओं में नई ऊर्जा का संचार हो। हरियाणा सरकार के सौजन्य से विगत वर्ष लंदन में गीता महोत्सव आयोजित किया गया। अन्य देशों में भी गीता जंयती महोत्सव मनाने के लिए लोग आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग जीओ गीता के साथ जुड़े और चेतना ग्रुप बनाए।
उन्होंने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में विभिन्न विदेशों के युवा वर्चुव्ल माध्यम से जुड़े हुए है। रविवार प्रदेश की हर जेल में जीओ गीता के सदस्यों द्वारा गीता पाठ और हवन यज्ञ किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि नेत्रहीन लोगों के लिए ब्रेन लिपि में जीओ गीता ने श्रीमदभगवद गीता का अनुवाद करवाया गया है जिससे की उनमें आत्मविश्वास पैदा हो सके। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रेरणा बने श्रीमदभगवद गीता इसके लिए हरियाणा सरकार के प्रयास सराहनीय है। उन्होंने हमारा राष्टï्र,हमारा गौरव हमारी संस्कृति, हमारा गौरव, भगवदगीता हमारा गौरव का आह्वïान भी किया और कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों से गीता को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया।
हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हर वर्ष अन्तर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव मनाया जा रहा है। स्वामी ज्ञानानंद महाराज गीता के संदेश को देश के अलावा विदेशों में भी फैलाने का काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों दिए अपने संबोधन में कहा था कि सब अधिकारों की बात करते है, लेकिन अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं। संविधान में भी हमें अधिकारों के साथ-साथ कृतव्यों के बारे भी बताया गया है जिनका सभी को पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी विधानसभा में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए संदेश के रथ की प्रतिमा लगाई गई है तथा प्रवेश द्वार पर श्रीमदभगवद गीता ग्रंथ को रखकर सुशोभित किया गया है जिससे की विधानसभा में प्रवेश करते समय सभी विधायकों को सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा मिल सके।
खेल एवं युवा मामले मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि आज का युग श्रीमद भगवाद गीता से बहुत कुछ सीख रहा है। उन्होंने युवाओं से आह्वïान किया कि वे अपने लक्ष्य को पूरा करने के बाद भी अगले लक्ष्य निर्धारित करें। उन्होंने अपने खेल जीवन के अनुभव सांझा करते हुए कहा कि जब उनके सामने विकट परिस्थितियां 2006 में खड़ी हो गई थी तो उन्होंने अपने मन से सवाल किया कि भगवान ने मुझे ही क्यों इसके लिए चुना है जबकि मैं उस समय विश्व कप खेलने जा रहा था। उन्होंने कहा कि जीवन में जब भी कठिनाई आती है उससे भागे नहीं बल्कि उसका डटकर सामना करें। गीता में सभी सवालों का जवाब है। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने सवालों जवाब वर्ष 2018 में मिला जब उन्हें सफलता हासिल की।
उन्होंने कहा कि युवा सपने अवश्य ले और लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़े। भाजपा के राष्टï्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया है, उसे स्वामी ज्ञानानंद जी विश्व में जन-जन तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। गीता का ज्ञान मानव धर्म के लिए था और यह संदेश था कि धर्म की रक्षा के लिए हमें अपनों के खिलाफ खड़ा होना पड़े तो भी हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। आज के समय में बच्चे डिप्रेशन जा रहे हैं और तनाव एवं निराशा से बचाने के लिए बच्चों को गीता ज्ञान के प्रति जागरूक कर उन्हें डिप्रेशन जैसी बीमारी से बचाए। उन्होंने यह भी कहा कि अराजकता, नक्सलवाद, आंतकवाद जैसी समस्याओं के समाधान के लिए गीता ही एक मास्टर की है।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक सतीश ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। देश की स्वतंत्रता के 4 बड़े परोधा जिनमें बाल गंगाधर तिलक जिन्होंने माडले जेल में गीता रहस्य ग्रंथ लिखा, वीर सावरकर जिन्होंने विदेश कपडों की होली जलाई और गीता के श्लोको को जेल की दीवारों पर लिखा, महात्मा गांधी और विनोबा भावे ने भी स्वतंत्रता के साथ-साथ स्वदेशी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग जॉब सिकर नहीं बल्कि जॉब प्रोवाईडर बने। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश रोजगार सर्जन के लिए एक सफल मॉडल प्रस्तुत कर रहा है।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला की धर्मपत्नी डॉ. अमिता बिडला, बेटी आंकाक्षा बिडला, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री एवं अम्बाला के सांसद रतनलाल कटारिया, कुरूक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी, रोहतक के सांसद अरविन्द शर्मा, सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल, विधायक सुभाष सुधा, मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार कृष्णबेदी, वाईस चांसलर डॉ. मारकंडेय आहुजा, अरूण ठाकुर, महोत्सव के नोडल अधिकारी एवं प्रधान सचिव विजय दहिया, अंबाला मंडल की आयुक्त रेणु फुलिया, उपायुक्त मुकुल कुमार, पुलिस अधीक्षक डॉ. अंशु सिंगला, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, भाजपा प्रदेश महामंत्री डा. पवन सैनी, जिलाध्यक्ष राजकुमार सैनी, पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर मिर्जापुर, विजय नरुला, उपेन्द्र सिंघल, सौरव चौधरी, महेन्द्र सिंगला, हंसराज सिंगला, सहित काफी संख्या में श्री कृपा, जीओ गीता के सदस्य मौजूद रहें। कार्यक्रम के समापन अवसर जीओ गीता के राष्ट्रीय महामंत्री प्रदीप मित्तल द्वारा सभी का धन्यवाद किया गया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के पब्लिसिटी ओएसडी गजेन्द्र फौगाट तथा मीनाक्षी पांचाल वर्मा ने यहां कण-कण में गीता का वास, गीता का ज्ञान यहां गीत के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण द्वारा महाभारत में अर्जुन को दिए गए गीता ज्ञान का बखान किया। बाक्स:- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर व श्रीमदभगवद गीता का पूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इससे पूर्व उन्होंने जीओ म्यूजिम का अवलोकन भी किया। कार्यक्रम में पहुंचने पर मुख्यातिथि एवं अन्य अतिथियों का जीओ गीता संस्था के पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर स्वागत एवं धन्यवाद किया गया। बाक्स: इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला, मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज द्वारा लिखी गई तीन पुस्तकों भगवद गीता साथी भी सहारा भी, आओ अर्जुन बने, स्वार्थी नहीं परमार्थी, प्रमादी नहीं पुरूषार्थी का विमोचन भी किया गया।