न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से भारतीय समाज के दर्शन की पुनर्स्थापना की। गीता ज्ञान का ऐसा दिव्य स्रोत है, जो स्वयं व्यक्ति से मैत्री का संदेश देता है। यह एक ऐसा मनोवैज्ञानिक संवाद है, जो अवसाद से घिरे मनुष्य को उबारने का काम करता है। यह विचारमातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने अंतरराष्ट्रीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती समारोह-2021 के उपलक्ष्य में संत इसर सिंह अकादमी, पेहवा द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाओं विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ.श्रीप्रकाश मिश्र, अकादमी के प्रधानाचार्य रमेश ठाकुर, विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रवीण शर्मा एवं अकादमी की प्रबंध समिति के सदस्यों ने संयुक्त रूप से माँसरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन से किया। अकादमी परिसर पहुंचने पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र का अकादमी कीछात्राओं एवं शिक्षक समूह द्वारा पुष्पगुच्छ देकर भव्य स्वागत किया गया। अकादमी के विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों कीप्रस्तुति दी। विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से गीता का संदेश दिया।
मुख्य अतिथि डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता व्यक्ति को समाज से जोड़ने का महान ग्रंथ है। श्रीमद्भगवद्गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकास क्रम, हिन्दू संदेशवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म-कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी-देवता, उपासना, प्रार्थना, यम-नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्व जन्म, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्म-सिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव आदि समस्त विषयों का ज्ञान विद्यमान है। श्रीमद्भगवद्गीता का मुख्य ज्ञान है कि कैसे स्थितप्रज्ञ पुरुष बनना, ईश्वर को जाननाया मोक्ष प्राप्त करना।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता योगेश्वर श्रीकृष्ण की वाणी है। इसके प्रत्येक श्लोक में ज्ञानरूपी प्रकाश है जिसके प्रस्फुटितहोते ही अज्ञान का अंधकार नष्ट हो जाता है। ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गों की विस्तृत व्याख्या की गई है। इन मार्गों पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। डॉ- मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के निष्काम कर्मयोग से प्रेरित होकर हमारे देश के गुरु परंपरा ने देश की सुरक्षा, अखंडता एवं एकता के लिए अपना सर्वस्व आर्पित कर दिया। भारत देश सदैव सिक्ख गुरु ऋणी रहेगा।
कार्यक्रम की अतिविशिष्ट अतिथि डी.ए.वी. कॉलेज पेहवा के प्रो. प्रवीण शर्मा ने श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा किश्रीमद्भगवद्गीता की विशेषता यह है कि इसे जिस भाव से, जिस भी मनःस्थिति से और जिस भी समय पढ़ा जायेगा, वह वैसा ही प्रभाव देगी। आनंद औरविषाद दो विरोधी परिस्थिति हैं और दोनों ही में श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ किया जाता है। यही श्रीमद्भगवद्गीता का सामाजिक दर्शन हैं।
आभार ज्ञापन करते हुए अकादमी के प्रधानाचार्य रमेश ठाकुर ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश है, उठो ओर चुनौतियों के विरुद्ध लड़ो।दुनियां के प्रमुख ग्रंथों में यही एक ऐसा ग्रंथ है जिसका अध्ययन सकारात्मक सोच के साथ उसका बौद्धिक दायरा भी बढ़ाती है। अकादमी की प्रबंधसमिति द्वारा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम में अकादमीके शिक्षक, विद्यार्थी एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।